देहरादून : उत्तराखंड में गीत, संगीत और लोकगीत की यदि कहीं बात आए और रजनीकांत सेमवाल का नाम न आए ऐसा तो हो नहीं सकता। लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के बाद लोकगीतों में उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति का यदि कहीं समावेश मिलता है तो वह रजनीकांत के लोकगीतों के चित्रण में ही मिल सकता है। उनका अभिनय शानदार होने के साथ ही उत्तराखंड के वाद्य यन्त्र ढोल की थाप पर थिरकने को श्रोताओं को मजबूर कर देता है। उनके गीत और संगीत इतने कर्णप्रिय होते यहीं कि जब तक उनका दूसरा कोई एल्बम न आ जाए तब तक मन और मस्तिष्क में गूंजता रहता है।
इस लोकगीत के लोकार्पण पर रजनीकांत सेमवाल कहते हैं …तो लीजिए एक लम्बे अंतराल के पश्चात आपके समक्ष पुनः एक लोकगीत लेकर उपस्थित हुआ हूँ। इस लोकगीत का विडीओ रिलीज़ कर रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ कि आपको यह लोकगीत पसंद आएगा। कृपया इस लोकगीत को अपने सभी मित्रों को शेयर करें.
गीत का संगीत संयोजन रणजीत सिंह , अभिनय रजनीकांत सेमवाल , जागृति कोठारी छायांकन शुभम कैंतुरा,अजय गौनियाल ( creative budbak),सह निर्देशक सोहन चौहान ,एडिटर शुभम कैंतुरा,