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भारी बरसात से आवासीय भवनों में पड़ी मोटी-मोटी दरारें

- भैंसारी के कई परिवारों पर मंडरा का मौत का साया
- गांव के बगल से बह रहा गदेरा खतरे को दे रहा न्यौता
देवभूमि मीडिया ब्यूरो

भैंसारी गांव का मंगल सिंह अपने पीछे तीन बच्चे और एक बूढ़ी मां को छोड़ गया। दो बेटियां हैं, जिनका शिक्षा का खर्चा उपहार समिति कर रही है। वहीं एक छोटा बेटा है। कमला बताती है कि बरसात के दिनों में ज्यों ही छत टपकने लगती है तो वह कम्बल और रजाई को बच्चों के ऊपर ओढ़ लेती हैं और खुद टपकती छत के नीचे आ जाती हैं। वर्ष 2013-14 में इस गरीब परिवार को इंदिरा आवास के तहत एक कमरा निर्मित तो किया गया, लेकिन ना ही इस कमरे में दरवाजे, खिड़की हैं और ना ही अभी तक लग पायी है। इसके अलावा पलस्तर भी नहीं हुआ है। भवन भी अनियोजित होने के कारण जगह-जगह से टपक रहा है।
दोनों कमरों की चारों दीवारें टपक रही हैं और भूस्खलन के कारण जमीन भी उबड़ खाबड़ हो चुकी है। कमरों की दीवारों पर मोटी-मोेटी दरारें आ गयी हैं। दरारें इतनी मोटी हो चुकी हैं कि इनसे आर-पार साफ देखा जा सकता है। कमला देवी कहती है कि रात भर वे अपने बच्चों के साथ सो नहीं पाती है। बच्चों को सुलाकर वह बरसात रूकने का इंतजार करती हैं। यदि बरसात रूक जाती है तोे कुछ पल वो भी आंखें बंद कर लेती हैं। भवन के बगल से ही छोटा सा गदेरा भी बह रहा है उससे भी मकान को खतरा उत्पन्न हो रहा है।
वहीं क्षेत्र की सामाजिक संस्था उपहार समिति के सचिव दिनेश उनियाल, सदस्य प्रदीप राणा, डीएस नेगी ने कहा कि समिति के सदस्यों ने क्षतिग्रस्त भवन की स्थिति का जायजा लिया है। गरीब परिवार की हरसंभव मदद की जायेगी। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी इस तरह के सामाजिक कार्यो में संस्था ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया है। इधर, उप जिलाधिकारी ऊखीमठ जीएस चौहान ने कहा कि परिवार की दयनीय स्थिति का पता चला है। शीघ्र ही सुरक्षा और भवन निर्माण के लिये पहल की जायेगी। लेकिन कब इसका जवाब किसी के पास नहीं है।