मालन नदी में वन निगम द्वारा जमकर और गैरवैज्ञानिक तरीके से हो रहा खनन

वन निगम का कौन आधिकारी काट रहा है खनन की चांदी ?
शिवाली
कोटद्वार। भाबर क्षेत्र के अंतर्गत मालन नदी में वन-निगम का जंगल-राज चल रहा है। सवाल यह उठ रहा है कि जितना खनन हो रहा है तो क्या सरकार के खाते में रायल्टी के रूप में उतना पैसा भी जा रहा है ? चर्चा है कि खनन वाले इलाके में निगम का एक आला अधिकारी डम्परो और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से ओवर लोडिंग कर खनन के नाम पर चांदी बटोर रहा है। चश्मदीदों का दावा है कि 12 टायरा डम्पर नदी मे खनन कर रहे हैं, जबकि इससे पूर्व 12 टायरा डम्पर नदी में नहीं उतारे जाते थे।
चर्चा है कि निगम का एक बहुचर्चित अधिकारी ओवर लोडिंग 12 टायरा प्रति डम्पर के 12 हजार रुपये, ट्रैक्टर-ट्रॉली रजिस्ट्रेशन के नाम पर 3 हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर ट्रॉली और मालन नदी में स्टॉक रजिस्ट्रेशन के 18 से 20 हजार रुपये भी अवैध रूप से वसूल रहा है।
डम्परों में 170 कुंतल के स्थान पर 400 कुंतल के ओवर लोडिंग के 300 रुपये और प्रति ट्रैक्टर-ट्रॉली 150 रूपये घूस के रूप में निगम के इस अधिकारी द्वारा खुलेआम लिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं नदी में निगम द्वारा गैरवैज्ञानिक तरीके किये गए खनन से 30 से 40 फिट तक गहरे गड्डे तक खोद दिए गए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार ओवर लोडिंग खनन की शिकायत मिलने पर जब शनिवार को रेंजर शीतल वैध जब मालन नदी पहुंची और उन्होंने डम्परों को तोलने के लिए कहा तो निगम के इस (घूसखोर) चांदी बटोर रहे अधिकारी की शह पर डम्परों के चालकों और ट्रैक्टर-ट्रॉली चालकों ने हंगामा काटना शुरू कर दिया, जिसके बाद रेंजर वहां से चली गई।
लोगों का कहना है कि निगम के इस भ्रष्ट अधिकारी की उच्चस्तरीय जांच के साथ ही इसकी नामी-बेनामी चल-अचल संपत्ति की भी जांच कराई जानई चाहिए और यह भी पता किया जाना चाहिए कि आखिर किसके शह पर यहाँ इस तरीके से खनन किया जा रहा है।