जन राजधानी गैरसैंण को स्थाई व पूर्णकालिक राजधानी घोषित करते हुए उत्तराखंड प्रदेश की समस्त विधानमंडल की कार्रवाई या वहां पर निर्मित बुराड़ी स्वर्ण भवन से संचालित करने को लेकर आयोजित हुआ विशाल कूच
देवभूमि मीडिया ब्यूरो देहरादून : जन राजधानी गैरसैंण को उत्तराखंड प्रदेश की स्थाई व पूर्णकालिक राजधानी बनाने की मांग को लेकर संघर्षरत संगठन गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने सोमवार को देहरादून स्थित नेहरू कॉलोनी के फव्वारा चौक से विधान मंडल भवन तक एक बेहद प्रभावशाली कूच का आयोजन किया गया।
कूच का समापन विधान मंडल के अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल को ज्ञापन सौंपकर किया गया। गैरसैंण राजधानी संबंधित ज्ञापन अपर नगर सचिव श्री मायादत्त जोशी द्वारा प्राप्त किया गया। जिसे डीएवी महाविद्यालय के पूर्व महासचिव सचिन थपलियाल ने पढ़ा। कूच के माध्यम से विधान मंडल अध्यक्ष को सौपे गए ज्ञापन में संगठन ने इस बात को जोरदार तरीके से उठाया है कि सरकार पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड की राजधानी पर्वतीय अंचल गैरसैण में स्थापित करने के लिए कार्य करे।
अभियान ने गैरसैंण स्थाई राजधानी पर कहा कि अभियान कृत संकल्पित है कि स्थाई राजधानी के सवाल को लक्ष्य तक पहुँचाया जाएगा। ज्ञापन में उत्तराखंड विधान मंडल अध्यक्ष से आशा जताई गई है कि विधानमंडल द्वारा जन राजधानी गैरसैंण को स्थाई व पूर्णकालिक राजधानी घोषित करवा प्रादेशिक इतिहास का स्वर्णिम अध्याय रचने में कामयाब सिद्ध हों।
ज्ञापन में कहा गया कि गैरसैण अभियान कर्मी, राज्य निर्माण की शक्तियां और राज्य के लिए सड़कों पर उतरे उत्तराखंड आंदोलनकारी और समस्त जनता बड़ी बेसब्री से सरकार के निर्णय पर टकटकी लगाए बैठी है। आज के ज्ञापन में कहा गया कि सरकार को उत्तराखंड आंदोलनकारी शक्तियों द्वारा 27 सितंबर 2000 को स्थाई राजधानी पर सौंपा गए ”राजधानी ब्लूप्रिंट” के अनुरूप कार्य करना प्रारंभ करना चाहिए।
ज्ञापन में कहा गया है कि ”राजधानी ब्लूप्रिंट” में सरकार से आग्रह किया गया था कि वह *21वीं सदी का राज्य, 21वीं सदी के राजधानी* सूत्र वाक्य सृजित करते हुए जन राजधानी गैरसैण को ”सेंट्रल जोन ऑफ कैपिटल कम्युनिकेशन सेंटर (Central Zone of Capital Communication Centre)” बनाया जाए और गैरसैण को ”अत्याधुनिक राजधानी (Advanced Capital) ” के तौर पर विकसित करें।
इस ज्ञापन में कहा गया है कि ”राजधानी ब्लूप्रिंट को आज की परिस्थितियों के अनुसार कंक्रीट के जंगल के रूप में विकसित न कर, एक विशुद्ध पर्यावरण आधारित राजधानी” के रूप में निर्मित किया जाना चाहिए । गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान ने अपने ज्ञापन में जन राजधानी गैरसैण को ”ई गवर्नेंस का मॉडल” के स्वरूप राजधानी विकसित करने का सुझाव दिया है।
इसमें कहा गया है कि उत्तराखंड की विषम परिस्थितियों को दृष्टिगत जहां आवश्यक कैबिनेट मीटिंग, सत्र संचालन व शासकीय कार्य जन राजधानी गैरसैण से संपादित हों, वही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि सभी जनप्रतिनिधि गण व विधायक गण अधिकांश समय अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों को ही समय प्रदान करें। ज्ञापन में कहा गया है कि यही यथार्थ रूप में जन लोकतांत्रिक व्यवस्था का पक्ष भी है।
दिए गए ज्ञापन में ”नियोजित विकास की अवधारणा” पर बल देते हुए, देहरादून के अस्थाई राजधानी बनने के बाद यहां तबाह हो चुके चाय बागान, लीची-खुमानी-अमरूद-आम आदि के लहलहाती बागान, मटर व बासमती पैदा करने वाले खेतों का समाप्त होना, सभी नदियों में अवैध अतिक्रमण और रोजाना लगने वाले गंदगी के अंबार को, शर्मसार करने वाला बताया गया है। अनियोजित विकास की वजह से वीवीआइपी (VVIP) आवाजाही के दबाव के कारण पुलिस के लिए अपराध नियंत्रण पर अंकुश लगा पाने में आ रही दिक्कत व जनता के ट्रैफिक संचालन का बामुश्किल संपादित होने को उजागर किया गया है।
ज्ञापन में अस्थाई राजधानी देहरादून पर जरूरत से ज्यादा बल देने के कारण अधिकारियों, डाक्टर, शिक्षक व अधिकांश राज्य कर्मियों का पहाड़ों में सेवाएं देना शान के खिलाफ समझने की मानसिकता को खतरनाक बताया गया है। पौड़ी में गढ़वाल कमिश्नर का न बैठना, शिक्षा निदेशालय का देहरादून ले आना आदि सब जनप्रतिनिधियों, अधिकारीगणों का यहीं देहरादून में रैन-बसेरा बनाने की जुगत लड़ाने को, पलायन की मानसिकता को मजबूत बनाने वाला करार दिया गया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि गैरसैण राजधानी का निर्मित न होने से पर्वतीय प्रदेश को राजनीतिक शक्ति का केंद्र नहीं मिल पा रहा है, जिससे गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं और पर्वतीय अंकों में वीराना पसरने लगा है। कोई भी दूर-दृष्टि रखने वाले और राष्ट्र चिंतन रखने वाले व्यक्ति, आने वाले भयावह परिणामों का आकलन कर सकता है। सीमांत प्रदेश उत्तराखंड के लिए इस मनोवृत्ति को खतरनाक बताया गया है।
आज दिए गए ज्ञापन के माध्यम से विधानमंडल अध्यक्ष का ध्यान इस ओर आकृष्ट करने का प्रयास किया गया है की विधानसभा भवन जो कि वर्तमान में संचालित है, वह दरअसल विकास भवन हुआ करता था और रिस्पना नदी के तट पर बना हुआ यह भवन अतिक्रमण श्रेणी का भवन है; जिसका ध्वस्तिकरण विधि अनुसार लंबित भी है। ज्ञापन में इस बिंदु को उठाया गया है कि राजधानी का सही आधार है प्रदेश का एकमात्र निर्मित विधानमंडल भवन भराड़ीसैंण ही है।
आज के ज्ञापन में आज तक अस्थाई राजधानी देहरादून तक के लिए शासनादेश निर्गत नहीं होने को भी गंभीर संवैधानिक त्रुटि बताया गया है; और साथ में कहा गया है यह सिद्ध करता है कि राजधानी गैरसैंण में ही निर्मित होगी। आज सौंपा गए ज्ञापन में इस बात पर भी सवाल उठाया गया है कि झारखंड की राजधानी रांची व छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर बना दी गई थी, तो इन दोनों राज्यों के साथ गठित उत्तराखंड जो कि भारत संघ का 27 वां राज्य था को राजधानी से क्यों वंचित रखा गया? उत्तराखंड के साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों किया गया, यह समझ से परे है।
ऐसा ज्ञापन में कहा गया है। आज कूच के लिए प्रातः 11:00 बजे से गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान के आंदोलनकारी नेहरू कॉलोनी स्थित फवारा चौक पर इकट्ठे होने शुरू हुए। लगभग 12:30 बजे आंदोलनकारी जोर-शोर से नारे लगाते हुए विधानमंडल भवन की ओर बढ़े। आज के कुछ के नेतृत्व के लिए अग्रणी पंक्ति में उत्तराखंड महिला आंदोलनकारियों ने मोर्चा संभाला।
आंदोलनकारी महिलाएं जिनमें श्रीमती रोशनी नेगी, श्रीमती रामेश्वरी रावत, श्रीमती सुधा तिवारी, श्रीमती लक्ष्मी बिष्ट, श्रीमती गीता बिष्ट, श्रीमती सुमन डोभाल काला, सुश्री शीला रावत आदि प्रथम पंक्ति में नेतृत्व मे रही। मातृ शक्ति के पीछे गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान के अभियान कर्मी, उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड क्रांति दल (डी), हमारा उत्तर जनमंच (हम), कौशल्या डबराल संघर्ष वाहिनी, उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच, उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ, उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति (ऋषिकेश), प्रवासी उत्तराखंड, आरटीआई लोक सेवा, उत्तराखंड विकलांग संघ, चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति, फुटबॉल रैफरी संघ आदि सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि सम्मिलित रहे।
कूच के माध्यम से विधानमंडल अध्यक्ष को सौंपे गए ज्ञापन में हस्ताक्षर करने वालों में गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान के संयोजक लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, मुख्य रणनीतिकार एवं अध्यक्ष नीति प्रभाग मनोज ध्यानी, युवा संयोजक मदन सिंह भंडारी, संचालनकर्ता विजय सिंह रावत, छात्र संयोजक सचिन थपलियाल, मुख्य व्यवस्थापक रविंद्र प्रधान, संरक्षक इंजीनियर आनंद प्रकाश जुयाल, संरक्षक रणवीर सिंह चौधरी, संरक्षक प्रदीप कुकरेती, चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के अध्यक्ष जबर सिंह पावेल, उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के जिला अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती, युवा छात्र नेता टिकरी कैंपस के पूर्व अध्यक्ष विकास सेमवाल,, उक्रांद नेता ओमी उनियाल, शांति प्रसाद भट्ट, उक्रांद जिला अध्यक्ष सुनील ध्यानी, पुष्कर सिंह भण्डारी कांग्रेसी नेता राजेंद्र शाह, राजेश चमोली, बेरोजगार संघ के महामंत्री वीरेश चौधरी, विकलांग संघ के अध्यक्ष बृजमोहन नेगी, कुलदीप सिंह, चंडी प्रसाद थपलियाल, गोविंद सिंह बिष्ट, फुटबॉल रेफरी संघ के वीरेंद्र सिंह रावत, मकानी लाल बिरस्वाल, हर्ष लाल मिश्रा, सुभाष रतूड़ी, चतुर सिंह वेगी, श्रीमती रोशनी नेगी, श्रीमती रामेश्वरी रावत, श्रीमती सुधा तिवारी, श्रीमती लक्ष्मी बिष्ट, श्रीमती गीता बिष्ट, श्रीमती सुमन डोभाल काला, सुश्री शीला रावत आदि समेत बड़ी संख्या में आंदोलनकारी सम्मिलित हैं।