Uttarakhand

सरकारी दावा: ऑल वेदर रोड्स का निर्माण 31 मार्च 2019 तक होगा पूरा

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का कार्य 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य

देवबंद-रुड़की रेल लाइन के निर्माण के कार्य की कवायद फिर शुरू

देहरादून : चारधाम परियोजना(ऑल वेदर रोड्स) का निर्माण 31 मार्च 2019 तक हो जाएगा। भूमि अधिग्रहण और फॉरेस्ट क्लियरेंस के लिए सितंबर 2017 का लक्ष्य रखा गया है। कार्य में तेजी लाने के लिए साप्ताहिक मॉनिटरिंग की जा रही है। मंगलवार को सचिवालय में चार धाम परियोजना के प्रगति की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव एस.रामास्वामी ने सभी तरह की औपचारिकताएं पूर्ण करने के लिए अलग-अलग टाइम फ्रेम तय किये।

उन्होंने कहा कि 10 दिन बाद संबंधित जिलों के जिलाधिकारी, डीएफओ, काला(काम्पीटेंट अथॉरिटी फार लैंड एक्वीजीशन), वन निगम के अधिकारियों के साथ बैठक कर समीक्षा की जाएगी। भू-अधिग्रहण के बारे में प्रारंभिक अधिसूचना, सर्वे, जनसुनवाई और संयुक्त सर्वेक्षण का 70 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिया गया है। शेष कार्य टेंडर जारी करने की स्थिति में आ गए हैं। मंडलायुक्त गढ़वाल संबंधित जिलों में जाकर समन्वय बैठक करेंगे। जिससे कि कार्य में तेजी आ सके।

गौरतलब है कि चारधाम परियोजना(आल वेदर रोड्स) के निर्माण का लक्ष्य 2019-20 तय किया गया है। 889 कि.मी. सडकों के निर्माण पर 11,700 करोड रूपये व्यय होंगे। टू-लेन की इन सडको के निर्माण में चम्बा और राडी टाप(टिहरी, उत्तरकाशी) के पास सुरंग बनाई जायेंगी। 15 बडे, 101 छोटे पुल, 3596 कलवर्ट और 12 बाईपास बनाये जायेंगे। 29 स्थानों पर स्लाइड जोन प्रोटेक्शन और सभी सडकों पर क्रैश बैरियर बनाये जायेंगे। हर 30-50 कि.मी. दूरी पर लगभग 33 जन सुविधा केन्द्र होंगे।

चारधाम परियोजना में 07 सडकें शामिल है। 140 कि.मी. ऋषिकेश-रूद्रप्रयाग मार्ग 2166 करोड़ रूपये, 160 कि.मी. रूद्रप्रयाग-माणा मार्ग 1542 करोड रूपये, 144 कि.मी. ऋषिकेश-धरासू मार्ग 1627 करोड रूपये, 124 कि.मी. धरासू-गंगोत्री मार्ग 2079 करोड रूपये, 95 कि.मी. धरासू-यमनोत्री मार्ग 1920 करोड रूपये, 76 कि.मी. रूद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड मार्ग 806 करोड रूपये और 150 कि.मी. टनकपुर-पिथौरागढ़ मार्ग 1557 करोड रूपये से बनाया जायेगा। 

बैठक में अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव राजस्व हरबंस सिंह चुघ, सचिव वन अरविंद सिंह हयांकी, अपर सचिव शहरी विकास विनोद सुमन सहित अंय अधिकारी उपस्थित थे।

 

देवबंद रुड़की रेल लाइन के लिए भू-अधिकरण और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की  बैठक

देवबंद-रुड़की रेल लाइन के निर्माण के कार्य की कवायद फिर शुरू हो गयी है। पहले रेल निगम ने इस कार्य को स्थगित कर दिया था। मंगलवार को सचिवालय में मुख्य सचिव एस.रामास्वामी की अध्यक्षता में देवबंद रुड़की रेल लाइन के लिए भू-अधिकरण और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के बारे में बैठक की। 170 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली देवबंद-रुड़की रेल लाइन के निर्माण में 51 हेक्टेयर भूमि आएगी। इसमें 5 गांव का 11 किलोमीटर उत्तराखंड की सीमा में आएंगे।

मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि जिलाधिकारी हरिद्वार की अध्यक्षता में समन्वय समिति बनाई जाए। राजस्व, वन, बिजली, जल संस्थान, लोनिवि, उद्यान आदि विभागों के साथ संयुक्त निरीक्षण कर टाइम फ्रेम जारी किया जाए। सितंबर 2018 तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के प्रगति के समीक्षा की गई। फारेस्ट क्लियरेंस और भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है। इस माह के अंत तक क्षतिपूर्ति की धनराशि रेल निर्माण निगम को जमा करने के लिए कहा गया है।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का कार्य 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। लगभग 126 किलोमीटर लंबी रेल लाइन में 12 स्टेशन, 17 सुरंग, 36 पुल बनेंगे। इससे टिहरी, पौडी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, चमोली जिले के लोगों को लाभ होगा। रेल विकास निगम लिमिटेड द्वारा रेल मार्ग, सुरंग आदि का व्यापक सर्वेक्षण कर लिया गया है। ऋषिकेश में पुल बनाने के लिए एलटी(लो टेंशन) लाइन को डायवर्ट किया जाना है। पिटकुल की एचटी (हाई टेंशन) को डायवर्ट करने के लिए फॉरेस्ट क्लियरेंस लेना है। जल संस्थान की 01 सीवर लाइन और 03 वाटर सप्लाई लाइन को शिफ्ट किया जाना है। इसके साथ ही वन रंेज ऑफिस ऋषिकेश को भी शिफ्ट किया जाना है। भू-अधिग्रहण के लिए हुए प्रशासकीय व्यय के रूप में 5 करोड रुपए टिहरी, पौडी, रुद्रप्रयाग व चमोली जिलों को दिए गए हैं। भवन आदि परिसंपत्तियों का मूल्यांकन लोनिवि से कराया जा रहा है। 

बैठक में सचिव परिवहन डी.सेंथिल पांडियन, सचिव राजस्व हरबंस सिंह चुघ, सचिव गृह विनोद शर्मा, अपर सचिव शहरी विकास विनोद सुमन, चीफ प्रोजेक्ट इंजीनियर रेलवे प्रमोद शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। 

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