UTTARAKHAND

नए मोटरयान अधिनियम पर दंड की दरों में राहत दे सकती है सरकार !

डीएल, आरसी नहीं दिखाने पर तत्काल चालान नहीं काट सकती पुलिस

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून : नए मोटरयान अधिनियम को लेकर उत्तराखंड परिवहन विभाग ने कंपाउंडिंग की नई दरों का प्रस्ताव तैयार कर दिया है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि सरकार उसके प्रस्ताव को स्वीकार करे। कैबिनेट की बैठक में नए मोटरयान अधिनियम के क्रियान्वयन और उसके बारे में आगामी मंत्रिमंडल की बैठक में गहन विचार विमर्श किये जाने के संकेत मिले हैं।

सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड परिवहन विभाग ने कंपाउंडिंग की नई दरों का प्रस्ताव तैयार कर दिया है। इस प्रस्ताव में कंपाउंडिंग शुल्क की दरों को दो से पांच गुना तक करने की योजना है। लेकिन इन प्रस्तावों पर अंतिम मुहर कैबिनेट को लगानी है।

परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि यह विषय कैबिनेट की बैठक में लाया जा रहा है। बैठक में नए एक्ट पर विचार किया जायेगा। उन्होंने बताया कि नए अधिनियम को लेकर जनजागरूकता की आवश्यकता है।उन्होंने कहा सुरक्षित यातायात व्यवस्था इस अधिनियम का मूल मकसद है।

वहीं सूत्रों की मानें तो कैबिनेट की बैठक में सरकार कंपाउंडिंग शुल्क की प्रस्तावित दरों में कमी का निर्णय ले सकती है।

ट्रैफिक पुलिस तत्काल चालान नहीं काट सकती : अधिवक्ता 

केंद्रीय मोटरयान अधिनियम के नियम 139 के तहत वाहन चालक को दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय देना होगा। ट्रैफिक पुलिस तत्काल चालान नहीं काट सकती है।

वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक घिल्डियाल के मुताबिक नया मोटरयान अधिनियम लागू होने के बाद से वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, पाल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट सर्टिफिकेट नहीं दिखाते हैं तो इसे तुरन्त जुर्म नहीं कहा जा सकता है।

उन्होंने बताया कि अधिनियम के नियम 139 में प्रावधान है कि वाहन चालक को दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। यदि चालक 15 दिन में वाहन के दस्तावेजों को दिखाने का दावा करता है तो उसका ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ चालना नहीं काटे सकेंगे लेकिन यदि उसके पास वाहन के कागजात ही नहीं हैं और मौके पर ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ इस बात से संतुष्ट हों तो चालान काटा जायेगा।

उन्होंने कहा कि एक्ट की धारा 158 में यह प्रावधान है कि एक्सीडेंट होने या किसी विशेष मामले में इन दस्तावेजों को दिखाने का समय सात दिन का होता है। यदि फिर भी चालान काटा जाता है तो चालक के पास कोर्ट में इसे खारिज कराने का पूरा विकल्प है।

वरिष्ठ अधिवक्ता के मुताबिक ट्रैफिक पुलिस गैर कानूनी तरीके से चालान काटती है तो इसका मतलब यह कतई नहीं कि चालक को चालान भरना ही पडे़गा। इस चालान को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट को लगता है कि चालक के पास सभी दस्तावेज हैं और उसको इन दस्तावेजों को पेश करने के लिए 15 दिन का समय नहीं दिया तो वह जुर्माना माफ कर सकता है।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा चालान में काटते वक़्त एक गवाह के हस्ताक्षर भी होना जरूरी है। कोर्ट में मामले के समरी ट्रायल के दौरान ट्रैफिक पुलिस को गवाह पेश करना होता है। पुलिस गवाह पेश करने में नाकाम होती है तो कोर्ट चालान माफ कर सकता है।

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