तेज हुई गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग
- जन-जागरण रैली के साथ ‘गैरसैंण विरोधी विचार’ का पुतला जलाया
- गैरसैंण को राजधानी बनाने को निकाला जनजागरण मार्च
- ‘ढोल-दमाऊं की ताल व जनगीतों के साथ किया जन-जागरण
देहरादून । उत्तराखंड की स्थाई राजधानी का मुद्दा ज़ोर पकड़ने लगा है। गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी बनाए जाने की मांग को लेकर प्रदेशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। इसी क्रम में देहरादून में भी शनिवार को बड़ा प्रदर्शन हुआ। ‘गैरसैंण राजधानी अभियान’ के तहत सैकड़ों आम लोगों ने गांधी पार्क से घंटाघर तक जन-जागरण रैली निकाली। गैरसैंण को राजधानी घोषित किए जाने की मांग करते हुए ‘गैरसैंण विरोधी विचार’ का पुतला भी जलाया गया।
प्रदेश की स्थायी राजधानी गैरसैंण को बनाये जाने की मांग को लेकर गैरसेंण राजधानी निर्माण अभियान से जुडे सदस्यों एवं आंदोलनकारियों ने ‘ढोल-दमाऊं की ताल पर जनगीतों के साथ जन-जागरण करते हुए मार्च निकाला। गैरसैंण विरोधी विचार का लैंसडाउन चौक पर पुतला दहन किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि हर हाल में गैरसैंण को राजधानी बनाये जाने को सरकार पर दवाब बनाया जायेगा।
यहां गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान से जुडे हुए सदस्य सुरेन्द्र सिंह पांगती के नेतृत्व में गांधी पार्क में इकटठा हुए और वहां पर उन्होंने प्रदेश की स्थायी राजधानी गैरसैंण को बनाये जाने की मांग को लेकर गैरसेंण राजधानी निर्माण अभियान से जुडे सदस्यों एवं आंदोलनकारियों ने ‘ढोल-दमाऊं की ताल पर जनगीतों के साथ जन-जागरण करते हुए मार्च निकाला तथा गैरसैंण विरोधी विचार का पुतला दहन किया।
राजधानी गैरसैंण निर्माण अभियान के बैनर तले विभिन्न संगठन, राज्य आंदोलनकारी और छात्र नेता गांधी पार्क में एकत्रित हुए। यहां पर मौजूद लोगों ने गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए अब तो सड़कों पर आओ…, लड़के लेंगे भिड़के लेंगे… आदि जनगीत गाए। इसके बाद छात्रों ने यहां पर नुक्कड़ नाटक के जरिए पहाड़ की पीड़ा को बताने का प्रयास किया। विभिन्न संगठनों के लोग यहां से मार्च करते हुए पार्क से बाहर निकले और गैरसैण को राजधानी बनाने के नारे लगाते हुए सड़क पर निकले। इस दौरान निकाले गए मार्च में मौजूद लोग पहाड़ी गीतों पर डांस करते हुए आगे बढ़े। यहां से घंटाघर से होते हुए लोग एस्लेहाल पहुंचे।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाए बिना उत्तराखंड राज्य की अवधारणा अधूरी है। उनका कहना है कि राज्य आंदोलन के दौर से ही गैरसैंण को राज्य की राजधानी बनाए जाने की मांग की जाती रही है, मगर आज तक यह सपना अधूरा है. राज्य बनने के बाद से आज तक सत्ताधारियों ने इस सपने को ध्वस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उनका कहना है कि आज जिस प्रकार से राजधानी के नाम पर पहाड़ की जनता को छलने का कार्य किया जा रहा है जिसे किसी भी दशा में सहन नहीं किया जायेगा। यह कभी ग्रीष्मकालीन तो कभी शीतकालीन राजधानी के नाम पर गैरसैंण ही नहीं बल्कि अपार जनभावना के साथ छल कर रहे हैं. लेकिन अब और नहीं. गैरसैंण उत्तराखंड की आत्मा है और इसके साथ छलावा अब किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस छलावे का प्रतिकार करने के लिए राज्यभर में हो रहे प्रदर्शनों के बीच ‘गैरसैंण विरोधी विचार का पुतला दहन किया जाता रहेगा।
इस कार्यक्रम की सफलता के बाद प्रदेश भर में इसी तर्ज पर मार्च निकाले जाएंगे और जनमानस को गैरसैंण के पक्ष में लामबंद किया जाएगा। जिस प्रकार से राज्य प्राप्ति आंदोलन किया गया और अब राजधानी गैरसैंण बनाये जाने के लिए उसी संघर्ष को दोहराया जायेगा। वक्ताओं का कहना है कि प्रदेश की डबल इंजन व पूर्ण बहुमत की सरकार को शीघ्र ही इस अवसर पर वक्ताओं ने गैरसैंण स्थाई राजधानी बनाये जाने के लिए जनांदोलन चलाये जाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए जो संघर्ष हुआ वह किसी से छिपा हुआ नहीं है और उत्तराखंड ने राज्य के निर्माण आंदोलन में जो खोया है वह किसी भी प्रदेश वासियों ने नहीं खोया है।
तमाम शहादतों के साथ साथ राज्य के वासियों ने अपने स्वाभिमान को दांव पर लगाया था। गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए मशहूर वैज्ञानिकों, बुद्धिजीवियों ने व्यापक अध्यययनों तथा अनुसंधानों के उपरांत राजधानी गैरसैंण को उपयुक्त पाया और जन भावनाओं को संकलित किया गया था। राज्य की राजधानी गैरसैंण बनाये जाने की आवश्यकता है लेकिन प्रदेश सरकार इस ओर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही इस दिशा में नहीं कर रही है और लगातार जन भावनाओं के साथ खिलवाड किया जा रहा है और केवल जनता को बरगलाने का काम किया जा रहा है जिसका लगातार विरोध किया जायेगा। इससे पूर्व पलायन पर आधारित नुक्कड नाटक भी प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर एस एस पांगती, जनकवि अतुल शर्मा, रविन्द्र जुगरान, जयदीप सकलानी, जगमोहन मेंदीरत्ता, पी सी थपलियाल, निर्मला बिष्ट, शकुंतला गुसांई, अशोक अकेला, रामलाल खंडूडी, पुरूषोत्तम शर्मा, वी एस रावत, महितोष मैठाणी, सुरेश नेगी, एस एस रजवार, कमल सिंह रजवार, सचिन थपलियाल, विकास नेगी, कुलदीप कुमार, भगवती प्रसाद, कपिल शर्मा, ललित नेगी, ललित जोशी, हेमंत बुटोला सहित अनेक आंदोलनकारी मौजूद रहे।
जन-जागरण रैली में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने भागीदारी की। प्रदर्शनकारियों में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की थी। अलग-अलग महाविद्यालयों के छात्र-छात्राएं हाथों में पोस्टर और तख़्तियां लेकर शिद्दत के साथ मार्च में जमे रहे। मार्च में राज्य आंदोलनकारियों, सामाजिक संगठनों, महिला संगठनों और पूर्व सैनिकों की भी अच्छी-खासी मौजूदगी रही। सभी ने एकमत से गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने पर जोर दिया।
मालूम हो कि उत्तराखंड राज्य गठन के सत्रह सालों बाद भी प्रदेश की राजधानी तय नहीं हो सकी है। राज्य आंदोलन के वक्त से ही गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाए जाने की मांग की गई थी, लेकिन सरकारों ने इस मुद्दे को उलझाए रखा। वर्तमान में प्रदेश में प्रचंड बहुमत की सरकार है और केंद्र में भी समान दल सत्ता में है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि ऐसे में डबल इंजन वाली सरकार के पास स्थाई राजधानी घोषित न करने की कोई वजह नहीं होनी चाहिए।
शनिवार को हुई रैली के माध्यम से प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की है कि अविलंब गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी घोषित किया जाए। यदि सरकार अभी भी स्थाई राजधानी के सवाल को हल नहीं करती तो प्रदेशभर में विशाल जनांदोलन छेड़ा जाएगा।