Uttarakhand

गैरसैंण राजधानी निर्माण के लिए छेड़ा जाएगा जनांदोलन

  • देहरादून राज्य की राजधानी के रूप में किसी भी कीमत पर नहीं मंजूर 
  • स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाये जाने को होगा जनांदोलनः उपाध्याय
देहरादून :  उत्तराखंड की अवधारणा के प्रतीक गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने के लिए प्रदेशभर में विशाल जनांदोलन छेड़ा जाएगा। देहरादून में आयोजित ‘गैरसैंण- जनमंथन’ परिचर्चा कार्यक्रम में इसका ऐलान किया गया। हिंदी भवन में आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में प्रदेशभर से आए लोगों ने भागेदारी की जिनमें उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, राजनीतिक और समाजिक क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी तथा छात्र-छात्राएं थे।
जन संवाद कार्यक्रम में मुख्य रूप से तीन प्रस्ताव पारित किए गए। पहला प्रस्ताव यह कि प्रदेश में दो-दो राजधानियों के बजाय एक ही राजधानी हो और वह गैरसैंण हो। दूसरा प्रस्ताव यह पारित हुआ कि देहरादून राज्य की राजधानी के रूप में किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं। तीसरा प्रस्ताव पारित किया गया कि देहरादून के रायपुर में प्रस्तावित विधानसभा भवन का निर्माण किसी भी सूरत में नहीं होने दिया जाएगा। 
वक्ताओं  ने कहा प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाये जाने की मांग को लेकर विभिन्न संगठनों से जुडे हुए युवाओं व अन्य लोगों ने मंथन किया और प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाये जाने का संकल्प लिया। यहां हिन्दी भवन में गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के अंतर्गत परिचर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा है कि पिछले 17 सालों में केवल गैरसैंण को राजनैतिक दलों ने केवल बयानबाजी करती रही लेकिन स्थाई राजधानी के लिए किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
अब स्थाई राजधानी को गैरसैंण बनाये जाने के लिए व्यापक स्तर पर संघर्ष किया जायेगा। कांग्रेस और भाजपा की सरकारें तो गैरसैण को स्थायी राजधानी न कभी बनायेंगी और न बनने देंगी । जो माहौल पिछली हरीश सरकार ने तैयार किया मौजूदा त्रिवेंद्र सरकार भी उसी को आगे बढा रही है। ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा के बाद उत्तराखंड की स्थायी राजधानी गैरसैण होने का तो सवाल ही नहीं उठता, यह प्रस्ताव तो गैरसैण को राजधानी बनाने से टालने की बडी कोशिश है पहाड़ की राजधानी पहाड़ में पहुंचाकर ही इस प्रदेश को बचा पाना संभव है, गैरसैण को स्थायी राजधानी घोषित करने की बात करते हैं। विपक्ष में होते हैं तो गैरसैण को राजधानी घोषित करने का प्रस्ताव लाते हैं । सार्वजनिक मंचों पर पहाड़ की राजधानी पहाड में होने की जरूरत बताते हैं और बंद कमरों की बैठकों में इस फैसले के सियासी नफा नुकसान गिनाते हैं। नौकरशाह किसी हाल में इसके लिए तैयार नहीं है और राज्य दो दो राजधानियों का बोझ कैसे झेलेगा । गैरसैण राजधानी बनने से ही राज्य की मूल अवधारणा साकार होगी। राज्य की ‘नयी’ शुरुआत गैरसैण राजधानी के नाम से शुरू की जाए। और अब युवाओं ने मन बना लिया है कि प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण को बनाये जाने के लिए वृहद स्तर पर आंदोलन किया जायेगा।
परिचर्चा कार्यक्रम में वक्ताओं ने गैरसैंण को पलायन और बेरोजगारी समेत प्रदेश की सभी बड़ी समस्याओं का हल बताते हुए जन-जागरण अभियान की जरूरत पर बल दिया। सभी वक्ता एक सुर में इस बात पर सहमत थे कि जब तक जन दबाव नहीं बनेगा तब तक कोई भी सरकार गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी नहीं बनाएगी। इसके लिए तय किया गया कि जल्द ही गैरसैंण को लेकर प्रदेश के सभी हिस्सों में जन-संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
पहले चरण में जिला एवं ब्लाक मुख्यालयों में छोटी-छोटी गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी जिसके बाद धीरे-धीरे बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। गैरसैंण पर रायशुमारी के साथ ही आंदोलन की जमीन तैयार की जाएगी और इसके बाद जनांदोलन छेड़ा जाएगा। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक पत्रकार मोहन भुलानी, रघुवीर बिष्ट तथा लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल थे।
प्रमुख वक्ताओं में राज्य आंदोलनकारी देव सिंह रावत, रविंद्र जुगरान, रघुवीर बिष्ट, इंद्रेश मैखुरी, योगेश भट्ट, प्रदीप सती, कर्नल अजय कोठियाल, वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल, छात्र नेता सचिन थपलियाल, मोहन रावत उत्तराखंडी भगवती प्रसाद मैंदोली, जगमोहन मेंदीरत्ता, पीसी थपलियाल, , केसर सिंह बिष्ट, पुरुषोत्तम भट्ट, समर भंडारी आदि थे। जनकवि अतुल शर्मा तथा उनके साथी जगदीप सकलानी ने जनगीत गाकर अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप कुकरेती ने किया।
वहीँ दूसरी ओर उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय महामंत्री जय प्रकाश उपाध्याय ने कहा है कि उत्तराखंड क्रांति दल ने राज्य आंदोलन के समय राज्य की राजधानी चंदर नगर गैरसैंण में बनाने के लिए संकल्प लिया था। राज्य की राजधानी गैरसैंण में होनी अति आवश्यक है। प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाये जाने की मांग को लेकर 18 दिसम्बर को जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन किया जायेगा 

यहां कचहरी रोड स्थित दल के केन्द्रीय कार्यालय पर पत्रकारों से बातचीत में उपाध्याय ने कहा है कि राज्य की सत्तासीन रही राष्ट्रीय पार्टियों ने इस महत्वपूर्ण और आवश्यक एवं उत्तराखंड की पहचान बनाने वाले बिंदु को केवल राजनीति का बिंदु बना कर रख दिया है। उत्तराखंड क्रांति दल राजधानी गैरसैंण में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है और भाजपा की वर्तमान सरकार को चेतावनी देना चाहता है कि वह इस संवेदनशील बिंदु पर अनर्गल बयान बाजी ना करें और तत्काल राजधानी को गैरसैंण में स्थापित करें। यदि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने ऐसा नहीं किया तो उत्तराखंड क्रांति दल जन आंदोलन के माध्यम से सरकार को करारा जवाब देने के लिए तैयार है।

वर्तमान सरकार इस संघर्ष के लिए भविष्य में तैयार रहें। उत्तराखंड क्रांति दल ने अपने इस वर्षों पुरानी मांग को जनभावनाओं के अनुरूप पूरा करने के लिए जनता के सहयोग से आंदोलन करने का निर्णय लिया है। इसी परिपेक्ष में उत्तराखंड क्रांति दल 18 दिसम्बर को प्रत्येक जिला मुख्यालयों पर धरना आयोजित करने जा रहा है। इसके उपरांत इस संवेदनशील बिंदु पर आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए 19- 20 दिसंबर 2017 को बीजापुर गेस्ट हाउस में दल के केन्द्रीय अध्यक्ष दिवाकर भटट, उक्रांद के वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी, त्रिवेंद्र सिंह पवार, बीड़ी रतूड़ी, डॉ नारायण सिंह जंतवाल, पुष्पेश त्रिपाठी, डॉक्टर शक्तिशैल कपूरवाण और दल के उपाध्यक्ष एवं महामंत्री और प्रवक्ता दो दिवसीय मंथन करेंगे।

उत्तराखंड क्रांति दल अब इनकी दोहरी चाल को जनता के बीच में ले जाकर जन आंदोलन खड़ा करेगा। ऐसे उन तमाम साथियों से अनुरोध एवं निवेदन किया जाएगा जो गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार है। राज्य आंदोलनकारियों की बिखरी हुई शक्ति को एकत्रित कर कर बड़ा जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा। पत्रकार वार्ता में जय प्रकाश उपाध्याय, महानगर अध्यक्ष संजय क्षेत्री, केंद्रीय प्रवक्ता सुनील ध्यानी, केंद्रीय सचिव धर्मेंद्र कठैत एवं युवा नेता गौरव उनियाल आदि शामिल थे।

devbhoomimedia

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