मिला सबसे पुराना समुद्री दिशा सूचक यंत्र और घंटा

- पुर्तगाली जहाज अरमाडा के मलबे के पास हुई खुदाई में मिले
- खुदाई के दौरान 1498 के जहाज का एक घंटा भी मिला
लंदन, (पीटीआई) : वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे पुराना एस्ट्रोलेब यानी कि समुद्री दिशा सूचक यंत्र खोजने में सफलता पाई है। उन्होंने बताया कि पुर्तगाल के खोजी वास्को डी गामा ने 14 शताब्दी में भारत की खोज के लिए अपनी दूसरी यात्रा के दौरान इसी का इस्तेमाल किया था। पुर्तगाली जहाज अरमाडा के मलबे के पास हुई खुदाई में मिले इस एस्ट्रोलेब को गिनीज वल्र्ड रिकार्डस ने दुनिया में अब तक का सबसे पुराना एस्ट्रोलेब बताया है। खुदाई के दौरान जहाज का एक घंटा भी मिला है। 1498 के उस घंटे को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में सबसे पुराने घंटे के तौर पर दर्ज किया गया है।
अरमाडा के मलबे के पास की गई खोदाई में मिले इस एस्ट्रोलेब की पहचान के लिए वैज्ञानिकों ने लेजर इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया था। माना जा रहा है कि सोद्रे नामक इस यंत्र को 1496 से 1501 के बीच में बनाया गया था। अन्य समुद्री दिशा सूचक यंत्रों के मुकाबले यह अनोखा है। प्राचीन समय के पुर्तगाल और स्पेन के खोजी समुद्री दिशा के ज्ञान के लिए एस्ट्रोलेब का इस्तेमाल किया करते थे। वास्कोडिगामा ने भी भारत की खोज के दौरान इसी एस्ट्रोलैब का इस्तेमाल किया था।
- पुर्तगाल का राष्ट्रीय चिह्न बना है सोद्रे एस्ट्रोलोब
अरमाडा जहाज के मलबे के पास से मिला सोद्रे एस्ट्रोलोब 175 मिलीमीटर के व्यास वाला डिस्क है जिसकी वजन 344 ग्राम है। अब तक यह पहला एस्ट्रोलोब है जिसपर पुर्तगाल का राष्ट्रीय चिन्ह बना हुआ था। विशेषज्ञों ने लेजर स्कैनिंग के बाद इसे अब तक सबसे पुराना एस्ट्रोलेब घोषित किया है। यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक के मार्क विलियम्स ने कहा, कि यह खोज बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस खोज के बाद इतिहासकार और वैज्ञानिक जान पाएंगे कि प्राचीन समय में समुद्र यात्री जहाज से किस तरह यात्र करते थे।’
- दुनियाभर में हैं ऐसे 104 दुर्लभ एस्ट्रोलेब
ब्रिटेन की वारविक यूनिवर्सिटी के मुताबिक जहाजों के मलबों के पास इनका पाया जाना दुर्लभ है। दुनिया में इस तरह के 104 एस्ट्रोलेब होने का अनुमान है। 1481 में अफ्रीका के पश्चिमी तट की ओर समुद्री यात्र करने वाले पुर्तगालियों ने सबसे पहले इसका इस्तेमाल किया था। 15 वीं शताब्दी के दौरान क्रिस्टोफर कोलंबस, बोटरेलोमू डियास और वास्को डी गामा अपनी कई महत्वपूर्ण यात्रओं के दौरान दिशा ज्ञान के लिए एस्ट्रोलोब पर ही निर्भर थे।