UTTARAKHAND

लाखों वर्ष पहले विशालकाय हाथियों और दरियाई घोड़ों का निवास था उत्तराखंड और यूपी का तराई

सहारनपुर जिले में शिवालिक रेंज के बादशाही बाग इलाके में लाखों वर्षों पुराना जीवाश्म मिला 

धरती पर पाए जाने वाले विशालकाय हाथी का जीवाश्म पांच से आठ मिलियन वर्ष पुराना बताया गया

देवभूमि मीडिया ब्यूरो

देहरादून : वन अधिकारियों और वन्यजीव संगठन वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) की एक संयुक्त टीम को सहारनपुर जिले में शिवालिक रेंज के बादशाही बाग इलाके में लाखों वर्षों पूर्व धरती पर पाए जाने वाले विशालकाय हाथी का जीवाश्म मिला है। यह लगभग पांच से छह मिलियन वर्ष पहले का बताया जाता है।
दुर्लभ जीवाश्म से पता चलता है कि हिमालय की तलहटी, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में सुंदर हरे-भरे तराई क्षेत्र, कभी विशालकाय हाथियों, जिराफों, घोड़ों और दरियाई घोड़ों का निवास था।
सहारनपुर मंडल के मुख्य संरक्षक वीके जैन की अगुवाई वाली टीम हाल ही में इस क्षेत्र में जानवरों की गिनती के लिए सर्वेक्षण कर रही है। इसी दौरान लाखों वर्ष पुराने जीवाश्म का पता चला। वनाधिकारियों का कहना है कि जीवाश्म जैसी दिखने वाली एक अजीब वस्तु की खोज के बाद, टीम ने इसे वन कार्यालय में लेकर आई और फिर जीवाश्म विशेषज्ञों की मदद लेने का फैसला किया।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक जीवाश्म विशेषज्ञों डॉ.आरके सहगल और सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. एसी नंदा ने पहले इसकी जांच की और फिर इसकी तुलना संस्थान के संग्रहालय में प्रदर्शित स्टेगोडन ( विशालकाय हाथियों की विलुप्त उप-प्रजाति) के नमूनों से की। इस आधार पर उन्होंने बताया कि जीवाश्म 5 से 8 मिलियन वर्ष पुराना हो सकता है।
इसे एक बड़ी खोज बताते हुए, सहारनपुर आयुक्त संजय कुमार ने कहा, यह देश में जीवाश्मों के आगे के अध्ययन का मार्ग प्रशस्त करेगा, विशेष रूप से शिवालिक रेंज में क्योंकि पहली बार इस तरह का एक पुराना जीवाश्म यहां पाया गया है।
इससे पहले स्टेगोडन के जीवाश्मों की खोज हिमाचल प्रदेश में काला अंब, साकेटी जैसे शिवालिक समूहों के अन्य स्थानों में भी की गई थी। स्टेगोडन का अस्तित्व नेपाल और पाकिस्तान की तलहटी में भी पाया गया। स्टीगोडन 11.6 मिलियन साल पहले अस्तित्व में थे। 4,100 साल पहले तक उनका अस्तित्व होने का अपुष्ट रिकॉर्ड है। 

devbhoomimedia

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