मनणी बुग्याल के लिए पौराणिक मनणा माई लोकजात यात्रा हुई शुरू
- देवी ने मनणी नामक स्थान पर किया था महिषासुर का वध
GUPTKASHI : मद्महेश्वर घाटी के राकेश्वरी मंदिर से पौराणिक मनणा माई लोकजात यात्रा (आज) बुधवार से शुरू हो गयी । सुबह मां राकेश्वरी मंदिर में विशेष पूजा अर्चना के बाद मनणा माई की डोली को लोकमान्यताओं एवं परम्पराओं के साथ सैकड़ों ग्रामीण, श्रद्धालुओं और स्थानीय पर्वतारोहियों के साथ मनणी बुग्याल को प्रस्थान किया।
पांच दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 32 किमी दूरी तय करने के बाद मनणी बुग्याल पहुंचेगी।हिमालय की गोद में मनणी बुग्याल महेश मर्दनी का मंदिर स्थित है। पत्थरों से बना यह मंदिर आज भी पौराणिक स्थिति में है। प्रत्येक वर्ष सावन में आयोजित होने वाली इस यात्रा में रांसी गांव के ग्रामीणों के साथ ही स्थानीय ग्रामीण व ट्रेकर्स भी शामिल होते हैं।
पांच दिवसीय इस पैदल यात्रा में रांसी, सनेरा, पटूडी, थौली, द्वारा, कुलवाणी, धनरांसी, डागला, डोबरा पड़ावों से होते हुए मनणी बुग्याल में यात्रा पहुंचती है । इस क्षेत्र में दूर दूर तक फैले मखमली बुग्याल पर्यटकों व प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करती हैं। पर्यटक यहां से हथिनी पिक होते हुए केदारनाथ भी पहुचते हैं। इस अवसर पर राकेश्वरी मन्दिर रांसी में ग्रामीणों द्वारा जागर भी लगाए जाते हैं।
मंदिर के पुजारी भगवती प्रसाद भट्ट ने बताया कि दशकों से चली आ रही इस पौराणिक यात्रा को शासन-प्रशासन का सहयोग न मिलने के कारण अभी तक विशेष पहचान नहीं मिल पाई है। मान्यता है कि प्राचीनकाल में देवताओं और दानवों में युद्ध हुआ था। जिसमें देवता पराजित हुए और इंद्रलोक पर महिषासुर का राज हो गया। तब सभी देवताओं ने भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश से सुरक्षा मांगी। इसके बाद देवी की उत्पत्ति हुई। इसी देवी ने मनणी नामक स्थान पर महिषासुर का वध किया। इसलिए इसका नाम मनणा पड़ा ।