तराई बीज विकास निगम में 16 करोड के घोटाले में प्राथमिकी

जांच में 10 दोषी, एक सेवानिवृत्ति पूर्व निलंबित
देहरादून । कभी अविभाजित उत्तर प्रदेश की शान रहा तराई बीज विकास निगम उत्तराखंड के नियंत्रण में आते ही 50 करोड रूपये के ऐसे घाटे में कैसे चला गया कि इसे अब कोई हाथ लगाने को तैयार नही है, इसका पता वर्ष 2015-16 में की गई गेहूं बीज बिक्री की प्रदेश की नई सरकार की जांच में लगा है । कृषिमंत्री सुबोध उनियाल ने इसकी भनक लगते ही अपर मुख्य सचिव डाक्टर रणवीर सिंह के नेतृत्व में जांच बैठाई और घपले के रणनीतिकार निगम के मुख्य अभियंता तथा प्रभारी विपणन पी के चौहान को सेवानिवृत्ति से एक सप्ताह पहले ही निलंबित कर दिया ताकि उसके देयक रोके जा सकें । मामला पिछली सरकार के अंतिम साल का है।
उनियाल ने सोमवार को विधानसभा भवन समिति कक्ष में पत्रकारों का यह जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रकरण में प्रबंध निदेशक को पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराने को कहा गया है और वे प्रकरण को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से एसआईटी को सौंपने को भी बात करेंगें । जांच समिति ने प्रथम दृष्टया चौहान समेत 10 जनों को दोषी पाया है जिनके खिलाफ मुकदमा होगा । घपले की अवधि में राजेंद्र भंडारी विभागीय मंत्री तथा पीएस बिष्ट निगम अध्यक्ष थे । जांच समिति में निदेशक कृषि गौरीशंकर, पुलिस महानिरीक्षक गणेश सिंह मार्तोलिया तथा संयुक्त सचिव सुनील श्रीपांथरी थे । कमेटी ने 20 जून को अपनी रपट दी लेकिन उस समय मंत्री उनियाल बाहर थे । जांच रपट की सूचना पर वे तत्काल लौटे । इस एक ही प्रकरण में निगम को 16 करोड का चूना लगा है। चिन्हित दोषियों में चौहान के अलावा कंपनी सचिव आर के निगम, मुख्य बीज उत्पादक अधिकारी दीपक पांडे, डिप्टी चीफ मार्केटिंग अफसर ए के लोहनी, उपमुख्य विपणन अफसर अजीत सिंह, उपमुख्य वित्तीय अफसर बीडी तिवारी, प्रशासनिक अधिकारी शिवमंगल त्रिपाठी, लेखाकार जीसी तिवारी तथा एकाउन्ट अफसर अतुल पांडे हैं ।
उनियाल ने बताया कि निगम मांग पर बीज उत्पादन करता है । इसके लिये 10 प्रतिशत अग्रिम लिया जाता है ओैर उत्पादन के बाद परिवहन से पूर्व वितरक से 15 प्रतिशत और लिया जाता है। अंतिम डिलीवरी के समय भी नकद या चौक-ड्राफ्ट के साथ 75 प्रतिशत मूल्य की बैंक गारंटी ली जाती है। इस प्रकरण में डेस्टिनेशन प्वांइट पर निगम की ओर से गोदाम किराये पर लिये गये और बाद में बीज खराब हो गया दिखा कर इसके निस्तारण को दो रियायती स्कीमें जारी कर दी गई । पहली में सात दिसंबर 2015 को 30 प्रतिशत रियायत पर 3180 रूपये प्रति क्विंटल की दर के विपरीत उत्तर प्रदेश में 2150 रुपये प्रति क्विंटल तथा बिहार में 2300 रूपये प्रति क्विंटल बिक्री दिखाई गई । इसके आद 14 जनवरी 2016 को एक नई रियायती स्कीम जारी की गई जिसमें 2350 रूपये प्रति क्विंटल की दर से 40 किलोग्राम के बीज के दो कट्टों के साथ एक कट्टा फ्री दे दिया गया । हर जिले में एक वितरक मनोनीत किया जाता है लेकिन इस मामले में उत्तर प्रदेश तथा बिहार में क्रमशः 10 और 15 वितरक इस प्रकार बनाये गये कि एक जिले में एकाधिक और किसी जिले में एक भी नही । इस स्कीम से लाभान्वित होने वालों में नेशनल हर्बल बरेली,साहू ब्रदर्स वाराणसी तथा कृषि सेवा केंद्र फरूर्खाबाद आदि रहे।
उनियाल ने बताया कि निगम ने स्कीमें दी किसानों के नाम पर लेकिन उससे लाभान्वित किया गया वितरकों को । इस तरह बीज का अधिकांश 63 प्रतिशत रियायत पर लुटा दिया गया । इसमें उत्तर प्रदेश में 10630 क्विंटल और बिहार में 6209 क्विंटल बीज बेचा गया । दूसरी स्कीम में बिहार में 11151 क्विंटल बिका दिखाया गया । निगम रिकार्ड में उस साल मांग कम और उत्पादन अन्य सालों से अधिक होना भी अनियमितता बताता है। उस साल गेहूं बीज उत्पादन तीन लाख 30 हजार 971 क्विंटल तथा प्रोसेंसिंग के बाद दो लाख 90 हजार क्विंटल बीज दर्शाया गया है।