व्यास और दार्मा घाटियों में रोजगार और काष्ठ कला के संरक्षण के प्रयास

- धिराज गर्ब्याल का भागीरथ प्रयास और उनकी मेहनत सहित उनकी सोच से हुआ कायाकल्प
- पर्यटन विभाग की होम स्टे योजना को इन दोनों घाटियों के लोगों ने लिया हाथों-हाथ
देहरादून : उत्तराखंड राज्य के कुमायूं मंडल की दो खूबसूरत घाटियां व्यास और दार्मा घाटी जहाँ के लोग संपन्न तो हैं ही साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी यहाँ के लोग सूबे के अन्य सहूलियतों वाले स्थानों से कुछ कम नहीं। लेकिन रोजगार को लेकर इन घाटियों में पलायन नहीं हुआ है ऐसा नहीं कहा जा सकता अभी भी कुछ घरों में बुजुर्ग निवास करते हैं।सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अपने तीज-त्योहारों में यहाँ के लोग अपने -अपने घर गांवों कि तरफ जरुर लौटते हैं और अपने घरों में अपने पारंपरिक त्यौहार मनाते भी जरुर हैं। लेकिन अब भी कुछ घरों में जरुर ताले लगे नज़र आते हैं, इन्ही बंद घरों को यहाँ की आर्थिकी में बढोत्तरी के लिए कुमायूं मंडल विकास निगम ने होम स्टे योजना के लिए चुना है और इनको एकरूपता देने के लिए आजकल इन घरों पर पेंटिंग का काम चल रहा है।
उत्तराखंड का पर्यटन विभाग की होम स्टे योजना को इन दोनों घाटियों के लोगों ने हाथों हाथ लिया है क्योंकि इन घाटियों की सुन्दरता देखने अब प्रचार प्रसार के बाद देश विदेश के सैलानी भी आने लगे हैं । कुमायूं मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक धिराज गर्ब्याल का भागीरथ प्रयास और उनकी मेहनत सहित उनकी सोच से इन दोनों घाटियों के खाली पड़े मकानों को निगम ने होम स्टे योजना के तहत संवारने का काम शुरू किया है यह सब निगम को मिलते अपेक्षित परिणामों के बाद ही संभव हुआ है ।
निगम ने व्यास घाटी में होम-स्टे की सफलता के बाद अब दार्मा घाटी के सीमान्त गाँवों में होम स्टे को प्रेरित करने की दिशा में एक और पहल शुरू की है निगम के प्रबंध निदेशक धिराज गर्ब्याल के अनुसार कोशिश की जा रही कि निकट भविष्य में होम स्टे हेतु उपयोग में लाये जा रहे समस्त घरों में एकरूपता रहे व बाद में समस्त गाँव एक ही रूप में दिखे इसलिए केएमवीएन इन सीमान्त गाँवों में रिनोवेशन का कार्य करा रही है ताकि काष्टकला के संरक्षण के साथ ही साथ सीमान्त गाँवों में रोज़गार के अवसर भी उत्पन्न हों ,पलायन में कुछ हद तक रोक लगे एवं हमारे देश की सीमाएँ भी सुरक्षित हों।