सचिवालय से पीएचक्यू तक दो दिन में भी नहीं पहुँच पायी सचिव की सुरक्षा फाइल !

- एक ओर फाइल अभी सचिवालय से लेकर पुलिस मुख्यालय के बीच ही चल रही
- दूसरी ओर सचिव और उसके परिजनों को पड़े हुए हैं जान के लाले
देहरादून : राज्य में चर्चित एनएच 74 घोटाले को खोलने वाले आईएएस अफसर सेंथिल पांडियन को अब धमकी भी मिलने लगी है। लेकिन उनकी सुरक्षा कि लेकर सरकार और शासन कितना संजीदा है, यह इस बात से पता चलता है कि उनकी सुरक्षा देने के बजाय उनको सुरक्षा कैसे दी जाय इस बात को लेकर फाइल अभी सचिवालय से लेकर पुलिस मुख्यालय के बीच ही चल रही है जबकि दूसरी तरफ सचिव को जान के लाले पड़े हुए हैं, और सबसे आश्चर्य कि बात तो यह फाइल दो दिनों में पांच सौ मीटर कि दूरी भी तय नहीं कर पायी है. तो आम आदमी की फाइल का क्या हश्र होता होगा।
हालाँकि शासन ने सेंथिल पांडियन की शिकायत पर सूबे के शासन ने गृह विभाग को सचिव और परिजनों को सुरक्षा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। लेकिन पांडियन को किस कैटागिरी की सुरक्षा दी जाय इस पर अब डीजीपी की अध्यक्षता में गठित कमेटी तय करेगी।
गौरतलब हो कि सचिव सैंथिल पांडियान ने कुमाऊं कमिश्नर रहते एनएच 74 घपले का खुलासा किया था। यूएसनगर में एनएच 74 के विस्तार के दौरान चार तहसीलों में जमीनों के अधिग्रहण में लगभग 300 करोड़ का यह घपला सामने आया था। इसमें सात पीसीएस अफसर जांच की जद में आए थे, जिनमें छह को अभी तक सस्पेंड भी किया गया है। वहीँ इनके साथ ही राजस्व विभाग के कई कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज हुई है।
वहीँ त्रिवेंद्र सरकार ने मार्च में इस घपले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, लेकिन केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के पत्र के बाद सीबीआई जांच से राज्य सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए थे हालाँकि सरकार बार-बार यह कहती रही है कि मामले कि जांच सीबीआई ही करेगी लेकिन सीबीआई ने अभी तक इस मामले को स्वीकार नहीं किया है। वर्तमान में इस मामले कि जांच एसआईटी कर रही है।
मामले के हाई प्रोफाइल हो जाने के बाद और कई अधिकारियों के मामले में संलिप्तता के चलते पांडियन ने कुछ ही दिन पहले इस घोटाले में शामिल लोगों से खुद औरअपने परिजनों को जान को खतरा बताया था। वहीँ उन्होंने कार्मिक विभाग को पत्र भेजते हुए सुरक्षा उपलब्ध कराने को कहा था। लेकिन शासन ने सीधे सुरक्षा बढाने के बजाय अन्य फाइलों की तरह पांडियन को सुरक्षा बढ़ाने की फाइल तैयार कर कार्मिक विभाग से गृह विभाग को भेज उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे।
बीते दिन अब प्रमुख सचिव (गृह) आनंदबर्द्धन ने डीजीपी अनिल रतूड़ी को पत्र भेजते हुए आईएएस पांडियन व उनके परिजनों को सुरक्षा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। आनंदबर्द्धन ने बताया कि सुरक्षा की कैटागिरी डीजीपी की अध्यक्षता में गठित कमेटी तय करेगी। उधर, डीजीपी अनिल रतूड़ी ने बताया कि अभी शासन का पत्र नहीं मिला है। पत्र मिलते ही उचित कदम उठाया जाएगा।
लेकिन सबसे हैरानी की बात तो यह है कि उधर शासन के एक अधिकारी को जान के लाले पड़े हुए हैं और इधर शासन से पीएचक्यू तक की महज़ 500 मीटर कि दूरी एक महत्वपूर्ण व्यक्ति की सुरक्षा सम्बन्धी फाइल तय ही नहीं कर पायी है ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आम आदमी की फाइलों का इस प्रदेश में क्या हश्र होता होगा।