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त्रिशूल पर्वत फतह करने गए वायुसेना के एक पर्वतारोही की मौत,दो गंभीर

  • गुरुवार सुबह तीनों को उस इलाके से रेस्क्यू किया गया 
  • तीनों पर्वतारोहियों को जोशीमठ के मिलिट्री अस्पताल में दाखिल किया गया 
  • एम एच में हुई एक पर्वतारोही की मौत 

देहरादून : वायुसेना के एक पर्वतारोहण के लिए त्रिशूल पर्वत पर गए एक पर्वतारोही दल के तीन सदस्यों की तबीयत बिगड़ गई। इन्हें हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू कर जोशीमठ में सेना हॉस्पिटल लाया गया, जहां एक की मौत हो गई और दो गंभीर रूप से अभी भी बीमार हैं। जोशीमठ के एसडीएम परमानंद राम ने बताया कि पर्वतारोही को तबियत बिगड़ने पर रेस्‍क्यू किया गया था। जिसे जोशीमठ सेना के चिकित्सालय में भेजा गया। लेकिन रास्ते में ही जवान की मौत हो गई। हालांकि दो और घायल जवानों को रेस्‍क्यू कर लिया गया है और उन्हें एमच जोशीमठ में भर्ती किया गया है जहाँ दोनों गंभीर हालत में हैं ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार चमोली जिले त्रिशूल पर्वत पर पर्वतारोहण के लिए वायु सेना के तीन पर्वतारोही त्रिशूल पर्वत पर पर्वतारोहण के लिए वायु सेना का एक 20 सदस्यीय दल 23 सितम्बर को गया था। ये दल त्रिशूल के बेस कैंप परपहुंचे ही थे कि बुधवार को इस पर्वतारोही दल के तीन सदस्यों की अचानक तबीयत बिगड़ने लगी। इसकी सूचना एसडीआरएफ भेजी गयी । पर्वतारोही दल ने सभी तरह की आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर अनुमति लेने के बाद पर्वतारोहण शुरू किया था । लेकिन काफी ऊंचाई तक पहुँचने के बाद तीनों की तबियत गड़बड़ा गई थी । एयर फोर्स का हेलीकॉप्टर इस दल के तीनों बीमार कर्मचारियों का त्रिशूल में 14 हजार फीट से रेस्क्यू कर जोशीमठ लाया। 

मिली जानकारी तबियत ख़राब होने की सूचना पर वायु सेना का एक हेलीकॉप्टर इनकी मदद के लिए उस स्थान को खोजकर वहाँ पहुंचा जहाँ ये तीनों बुरी तरह बीमार पड़ें थे। हेलीकाप्टर के साथ गए बचाव दल ने इन्हें यहां से रेस्क्यू कर जोशीमठ के मिलिट्री अस्पताल में दाखिल किया , जहां पहुँचते ही एक पर्वतारोही की मौत हो गई। बाकी दोनों सदस्यों की हालत उपचार की बाद अभी भी गंभीर बनी हुई है।

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार एक सप्ताह पहले वायुसेना का यह दल त्रिशूल पर्वतारोहण के लिए गया था। त्रिशूली पर्वत नन्दा देवी वायसफेयर के अंतर्गत आता है। वन विभाग देहरादून से इन्होंने अनुमति ली थी। बुधवार की शाम को जानकारी एसडीआरएफ को दी गई। सेना के हेलीकॉप्टर ने गुरुवार सुबह तीनों को उस इलाके से रेस्क्यू किया जहाँ तीनों गंभीर रूप से बीमार पड़े हुए थे। सनद रहे इससे पहले भी त्रिशूल पर्वतारोहण के दौरान कई हादसे हो चुके हैं। जिनमें कई पर्वतारोहियों की जानें जा चुकी हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के चमोली जिले में नंदादेवी आधार क्षेत्र वाले त्रिशूल पर्वत की ऊंचाई समुद्रतल से 7120 मीटर है। सबसे पहले इस चोटी पर  4 जून 1958 को  पर्वतारोही दल पहुंचा था, जिसका नेतृत्व कैप्टन एन कुमार कर रहे थे। इस पर्वत पर सेना, वायु सेना के साथ-साथ अन्य पर्वतारोही भी पर्वतारोहण के लिए आते हैं। रोमांच और साहासिक अभियान में रूचि रखने वाले लोगों के लिए त्रिशूल पर्वत पर पर्वतारोहण बेहद रूचिकर और साहसिक माना जाता है। 

 

 

devbhoomimedia

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