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महिला सैनिकों को युद्ध के दौरान नहीं मिल सकती विशेष सुविधाएं : सेना प्रमुख

नयी दिल्ली : एक बार फिर देवभूमि मीडिया की खबर सही साबित हुई है सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सेना में महिलाओं की भर्ती की बात पर कहा कि युद्ध के दौरान महिला सैन्य कर्मियों की तैनाती पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान तैनाती का फैसला खुद महिला सैन्य कर्मियों को ही करना है, क्योंकि इस दौरान उन्हें वहीं जिम्मेदारियां निभानी होंगी जो कि जवानों को निभानी पड़ती हैं। साथ ही इसके लिए उन्हें कोई विशष सुविधाएं नहीं दी जा सकती है। गौरतलब हो कि देवभूमि मीडिया ने सेना प्रमुख के सूत्रों के हवाले से खबर दी थी थी भारतीय सेना में महिलाओं की भर्ती पर सेना प्रमुख विचार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान हालात बिल्कुल अगल होते हैं, लेकिन फिर भी वे तैनाती चाहती हैं तो उन्हें वैसे ही रहना पड़ेगा, जैसे जवान रहते हैं। इस बीच उन्होंने युद्ध मोर्चे के दौरान टैंक में रहने वाले पुरुष जवानों का उदाहरण दिया।

रावत ने कहा कि युद्ध के समय ऐसे हालात हो जाते हैं कि जवानों को बिना शौचालय और बाकी सुविधाओं के रहना पड़ता है। वे एक ही टैंक के अंदर ही खाना बनाते हैं और सोते भी हैं। ये हालात महिला जवानों के हिसाब से ठीक नहीं है। लेकिन वे फिर भी तैनात होना चाहती हैं तो उन्हें समान भूमिका में समान जिम्मेदारियां निभानी होंगी।

रावत के मुताबिक लड़ाकू भूमिका निभाते समय महिला जवानों को वो सभी टास्क करने होंगे जो पुरुष जवान करते हैं। युद्ध मोर्चे के दौरान इन हालातों को महिला सैन्यकर्मी स्वीकार करती हैं तो हम उनकी तैनाती पर विचार कर सकते हैं। बिपिन रावत ने ये प्रेस कॉन्फ्रेंस ठीक उस मुद्दे के बाद की है जब देश के अर्धसैनिक बल के जवान अपनी शिकायतें वीडियो के जरिए सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं।

हाल ही में बीएसएफ जवान तेज बहादुर ने जवानों को दिए जाने वाले खाने की वीडियो बनाई, जो कि सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। हालात देखते हुए पीएमओ ने गृह मंत्रालय से जवानों की शिकायत पर रिपोर्ट भी मांगी थी।

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