देहरादून : वन अधिनियम उलंघन के आरोप में जिला व सत्र न्यायालयों से जमानत न मिलने के बाद पौड़ी जेल में बंद नामी उद्योगपति थापर, नंदा व खन्ना सहित अन्य आरोपी जमानत पाने की जुगत में लगे हुए हैं।
ज्ञात हो कि नए साल पर उत्तराखंड के पौड़ी जिले की लैंसडोन वन प्रभाग के रिजर्व फॉरेस्ट कोल्हूचौड़ गेस्ट हाउस में जश्न मनाना उद्योगपतियों को महंगा पड़ा । एक गुप्त सूचना के आधार पर कि लैंसडौन वन प्रभाग के कोल्हूचौड़ फारेस्ट गेस्ट हाउस में आर्मी की वर्दी में कुछ आसामाजिक तत्वों के आटोमैटिक वैपन के साथ घुसने की सूचना मिली थी, और यह भी आशंका जताई गई कि ये लोग वन्यजीवों का शिकार भी कर सकते हैं। पौड़ी के एसएसपी मुख्तार मोहसिन के अनुसार इस सूचना के बाद पौड़ी पुलिस ने लैंसडोन वन प्रभाग के अधिकारियों के साथ कोल्हूचौड़ गेस्ट हाउस परिसर में सर्च ऑपरेशन चलाया।
पुलिस टीम जब मौके पर पहुंची तो कोल्हूचौड़ गेस्ट हाउस परिसर में कुछ लोग आग जलाए हुए बैठे थे। कई लोग टैंट हाउस और गेस्ट हाउस के कमरों में मौजूद थे। पुलिस ने जब उनसे गेस्ट हाउस में रुकने की अनुमति दिखाने को कहा तो उन्होंने मोहिंदर सिंह के नाम से गेस्ट हाउस के तीन सूट बुक करने की पर्ची दिखाई। आरक्षित वन क्षेत्र में अन्य लोगों के रुकने, टैंट लगाने और टैंट में रहने वालों के बारे में वह कुछ नहीं बता पाए। ये लोग बिना अनुमति के आरक्षित वन क्षेत्र में प्रवेश कर ठहरे हुए थे। ऐसा वन अधिकारियों का कहना था और उनके द्वारा वन अतिचार (फारेस्ट ट्रेसपास) किया गया था, जिसके लिए उनके खिलाफ वन अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई की गई। एसएसपी ने बताया कि गेस्ट हाउस की तलाशी लेने पर एक कमरे से अलग-अलग ब्रांडों की 171 बोतल विदेशी शराब बरामद हुई । गेस्ट हाउस के दूसरे कमरे से पुलिस को जर्मन निर्मित 300 बोर की राइफल और 23 जिंदा कारतूस मिले थे।
इस मामले में पुलिस व वन विभाग की टीम ने थापर ग्रुप की जेसीटी लिमिटेड कंपनी के मालिक समीर थापर, कारगो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन जयंत नंदा सहित 16 रईसजादों को वन अतिचार (फारेस्ट ट्रेसपास) के आरोप में गिरफ्तार किया था।मामले में एक डीएफओ को भी सरकार ने तुरंत कार्रवाही कर निलंबित कर दिया।
वहीँ जिला व सत्र न्यायालयों से जमानत न मिलने के बाद उद्योगपतियों में बैचैनी बढ़ गयी है। चर्चाओं के अनुसार जेल में बंद उद्योगपतियों के परिजन अब अपनी राजनीतिक व प्रशासनिक (दिल्ली व उत्तराखंड) संबंधों के द्वारा येन केन प्रकारेण सूबे के उच्च न्यायालय को प्रभावित करने की कोशिश में हैं। वहीँ सूत्रों का तो यहाँ तक कहना है कि इस मामले में इनकी पैरवी उत्तराखंड सरकार का एक रसूखदार अधिकारी कर रहा है। आरोपियों द्वारा जिला व सत्र न्यायालयों से जमानत न मिलने के निर्णय के बाद नैनीताल उच्च न्यायालय में जमानत की अपील की गयी थी, जिसमे उच्च न्यायलय ने 18 जनवरी को मामले पर सुनवाई की तारीख रखी है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में आरोपियों द्वारा उच्च न्यायालय में मामले की अग्रिम सुनवाई की अपील भी की गयी थी जिसे न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया था।