सूबे के नौकरशाहों की गुप्त योजना पर पानी फेर गए तोगड़िया

प्रदेश के डॉक्टरों की मनचाही मुराद पूरी कर गए डॉ.प्रवीण तोगड़िया
कश्मीर के पत्थरबाजों के साथ सेना को उन्हीं की भाषा में पेश आना चाहिए
स्वास्थ्य सेवाओं में ब्यूरोक्रेट नहीं किए जाएंगे सहन: डॉ. प्रवीण तोगड़िया
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगड़िया ने उत्तराखंड के नौकरशाहों की स्वास्थ्य विभाग में महानिदेशक के पद पर आईएएस अधिकारी की तैनाती की योजना को यह कहकर समाप्त कर दिया कि स्वास्थ्य सेवाओं में ब्यूरोक्रेट सहन नहीं किए जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग में नीति बनाने के लिए डॉक्टर खुद सक्षम हैं ।
गौरतलब हो कि डॉ.प्रवीण तोगड़िया स्वयं भी एक अच्छे डॉक्टर हैं और डॉक्टरों की परेशानियों से खुद भी वाकिफ हैं। यहाँ यह बात भी काबिलेगौर हो कि सूबे की ब्यूरोक्रेसी पिछले कुछ सालों से राज्य में स्वास्थ्य महानिदेशक के पद पर आईएएस बैठाने की गुप्त रूप से योजना बना रहे थे, जिसका प्रांतीय चिकित्सा संघ कई बार विरोध भी कर चुका है, लेकिन ब्यूरोक्रेट राज्य के नेताओं को अपना पाठ पढ़कर आईएएस को चिकित्सा विभाग का सर्वे सर्वा बनांने पर आमादा थे , लेकिन आज विहिप सुप्रीमो की इस घोषणा को अफसरशाही की योजना पर ब्रेक के रूप में देखा जा रहा है।
रविवार को डॉ. प्रवीण तोगड़िया देहरादून के सहारनपुर चौक के पास एक होटल में आयोजित इंडिया हेल्थ लाइन के हेल्थ एम्बेसडर बनो कार्यक्रम के शुभारंभ पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने एमसीआइ को एनएमसीआइ किए जाने का विरोध किया।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में नीति बनाने के लिए डॉक्टर खुद सक्षम हैं। छह जून को दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन में वह हिस्सा लेंगे। दवाओं की ऑनलाइन बिक्री का भी उन्होंने विरोध किया।
वहीँ विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि अब बहुत हो गया ,कश्मीर में सेना पर पत्थर फेंकने वालों से दुश्मन सैनिकों जैसा बर्ताव होना चाहिए। यह देश के दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि इन पर बम बरसाए जाने चाहिए।
डॉ. तोगड़िया ने बातचीत में कहा कि केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की तीन दिवसीय बैठक में कश्मीर में धारा 370 हटाने पर कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन पत्थरबाजों के साथ सेना को उन्हीं की भाषा में पेश आना चाहिए। केंद्र सरकार को इसके लिए रणनीति तैयार करनी होगी। उन्होंने कहा जब महाराष्ट्र में आंदोलन करने वाले किसानों पर गोलियां चलाई जा सकती हैं तो फिर सेना पर पत्थर फेंकने वालों पर गोलियां क्यों नही चलाई जा सकती।
गंगा की अविरल धारा पर भी उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार को धरातल पर कार्य करने होंगे। एक सवाल के जवाब में कहा कि मौजूदा आर्थिक विकास का मॉडल देश में फेल है। यह वह विकास मॉडल है, जो आजादी के बाद अपनाया गया। इससे गरीब और गरीब हो रहा है। इस आर्थिक विकास मॉडल पर एक बार पुन: विचार करने की सख्त जरूरत है। यह माडल कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में बिलकुल व्यवहारिक नहीं है।