आज भी रहस्यमयी है जयपुर का पद्मावती विवाद का नाहरगढ़ किला!

संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती के रिलीज होने से पहले ही राजा महाराजाओं का शहर जयपुर इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है। इस फिल्म को लेकर राजपूत समाज में काफी रोष है। राजपूत देश भर में इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं। लेकिन शुक्रवार को जो घटना जयपुर के नाहरगढ़ किले में घटी है। उसने इस विवाद को और भी संगीन बना दिया है।
नाहरगढ़ किले की दुर्ग के साथ एक युवक का शव लटका मिला है। शव के पास कुछ पत्थर भी मिले। जिनपर पद्मावती को लेकर धमकी लिखी हुई है। इस पूरी घटना का वीडियो रोंगटे खड़े करना वाला है। पद्मावती के विवाद से मारे गए युवक चेतन सैनी की मौत का मामला जुड़ने से ये विवाद अब और बढ़ गया है। हालांकि पुलिस का कहना है कि चेतन की मौत का पद्मावती विवाद से कोई लेना देना नहीं है। ये सुसाइड या मर्डर हो सकता है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। लेकिन इस पूरे मामले ने नाहरगढ़ किले को एक बार फिर सुर्खियों में ला खड़ा किया है।
इस किले का निर्माण 1734 में जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जय सिंह II ने करवाया था। अरावली की पहाड़ियों पर बने इस विशाल किले की किलाबंदी कुछ किलोमीटर पर स्थित जयगढ़ किले तक जाती है। सवाई राम सिंह ने इसे किले में 1868 में फिर से सुधार करवाए थे।
नाहरगढ़ का किला देखते ही युवाओं में अलग ही जोश आ जाता है। और इसकी बहुत बड़ी वजह आमिर खान की फिल्म रंग दे बसंती को माना जा सकता है। इस फिल्म में ऐतिहासिक किले नाहरगढ़ को युवाओं की पार्टी और नाइट लाइफ के अड्डे के रूप में दिखाया गया है। ‘अपनी तो पाठशाला मस्ती की पाठशाला’ गाना युवाओं को खूब पसंद आया और इसके साथ ही युवाओं में नाहरगढ़ जाकर पार्टी करने का क्रेज भी बढ़ा। यहां पड़ाव नाम का एक रेस्टोरेंट एंड बार भी है। जहां लोग जमकर देर रात तक पार्टी करते हैं। लोग यहां बेफिक्र होकर घूमते हैं। लेकिन इस बेफिक्री में ये बात भूल जाते हैं कि ये जगह पिंक सिटी का क्राइम हब भी है।
सून-सान पहाड़ी इलाका क्राइम के लिए बेस्ट लोकेशन मुहैया कराता है। ऐसा नहीं है कि चेतन पहला है, जिसकी मौत नाहरगढ़ में हुई है। यहां पहले भी कई मर्डर और रेप की खबरें सामने आ चुकी हैं। दिन को खूबसूरत दिखने वाला किले का रास्ता, शाम के बाद कहीं से सेफ नहीं दिखता। लेकिन रात को ऊंचाई पर बने किले से पूरा जयपुर देखने के मन को लोग नहीं मार पाते और पार्टी का सामान लेकर नाहरगढ़ के लिए रवाना हो जाते हैं।
करीब एक साल पहले यहां एक प्रेमी ने अपनी प्रेमिका को मारने की कोशिश की थी। उसे मरा हुआ समझ कर प्रेमी निकल गया। लेकिन किसी तरह अगले दिन वो लड़की पहाड़ उतर कर नीचे आई और पुलिस को पूरा मामला बताया। अब आप खुद सोचिए नाहरगढ़ कितना सेफ है। यहां कौन किसको मार काट के फेंक दे, किसी को कुछ पता नहीं चलता। कहानियां सिर्फ वही सुना पाते हैं, जो बचकर निकल पाते हैं। ऐसा नहीं है कि पुलिस यहां क्राइम रोकने के लिए कुछ नहीं करती।
रात को भी पुलिस की पेट्रोलिंग जीप घूमती है। लेकिन इलाका इतना बड़ा और घना है कि पुलिस का हरएक हरकत पर नजर रख पाना मुश्किल है। एक दिक्कत ये भी है कि किले तक जाने वाले रास्ते दो है। किले का सीधा रास्ता थोड़ा खतरनाक जरूर है। लेकिन ये कई किलोमीटर के पहाड़ घूमकर आने वाले रास्ते के मुकाबले कुछ मिनटों का ही है।
नाहरगढ़ के रास्ते और किले को एक और चीज भी डरावना बनाती है। और वो है यहां मौजूद जंगली जानवर और भूत-प्रेतों के किस्से। यहां तेंदुओं और लकड़बग्घों जैसे जानवरों का दिखना आम है। रात के वक्त ये शिकारी जानवर शिकार पर निकलते हैं और कई बार इनके इनसानों पर हमलों की खबरें भी सामने आईं हैं। कहा जाता है कि राठोड़ वंश के राजकुमार नाहर सिंह भोमिया की आत्मा ने इसे किले के निर्माण में बाधा डाली थी। लेकिन बाद में किले के अंदर उनके नाम का मंदिर बनने के बाद दोबारा उनकी आत्मा ने कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।