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एंग्लो इंडियन सदस्य जार्ज आईवान ग्रेगरी मैन बने 71वें विधायक

देहरादून । उत्तराखंड की चौथी विधानसभा में एंग्लो इंडियन सोसायटी के प्रतिनिधि विधायक के रूप कर्जन रोड, डालनवाला,देहरादून स्थित कारमैन स्कूल के जार्ज आईवान ग्रेगरी मैन को नामित किया गया है।

वे 1 मई से प्रारंभ हो रहे जीएसटी विधेयक पारित करने को बुलाये गये विशेष सत्र में भाग लेगें। राज्यपाल डाक्टर कृष्णकांत पॉल से जारी अपना प्रमाणपत्र आज उन्होंने विधानसभा भवन जाकर प्राप्त कर लिया है।

इससे पहले भाजपा सरकार में मैन के छोटे भाई की पत्नी मनोनीत विधायक थी। कांग्रेस के दोनों कार्यकाल में सेंट थामस स्कूल के प्रधानाचार्य गार्डनर दो बार मनोनीत विधायक रहे हैं।

गौरतलब हो कि प्रदेश में सरकार बन जाने के दिन से ही सियासी हवाओं में सवाल तैर रहा था कि क्या सरकार पूर्ण बहुमत से भी ज्यादा सदस्यों के बाद भी विधानसभा में एंग्लो इंडियन सदस्य का मनोनयन करेगी। देश के कई राज्यों में एंग्लो इंडियन के मनोनयन की परंपरा नहीं है। शनिवार को अपर सचिव विधायी भारतभूषण पांडेय ने जार्ज आईवान के मनोनयन की अधिसूचना जारी कर दी है। जार्ज डालनवाला क्षेत्र में निवास करते हैं और कारमैन स्कूल में प्राचार्य हैं।

मनोनयन के बाद वह भाजपा कार्यालय पहुंचे जहां उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का आभार प्रकट किया। प्रदेश अध्यक्ष ने उनका स्वागत करते हुए उन्हें मनोननय की बधाई दी और उम्मीद जताई कि वे एंग्लो इंडियन समुदाय के हितों के लिए काम करेंगे।

जार्ज आईवान ग्रेगरी मैन देहरादून में पले-बढ़े। दिल्ली सेंट स्टीफन कॉलेज से उन्होंने बीए किया। डीएवी पीजी कॉलेज से उन्होंने स्नातकोत्तर की उपाधि ली। इसके बाद वह अध्यापन कार्य से जुड़ गए।

उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की सरकार के समय से आंग्ल भारतीय को प्रतिनिधित्व देने की परंपरा चली आ रही है। वर्ष 2002 में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत तो मिला था। मगर उसका संख्या बल 36 के जादुई आंकडे पर सिमट गया था। विधानसभा में संख्या बल को बढ़ाने के लिए तत्कालीन सरकार ने आंग्ल भारतीय समुदाय के प्रतिनिधि का मनोनयन किया। हालांकि भाजपा नेता अजेन्द्र अजय ने एक जनहित याचिका के जरिये सरकार के इस कदम को अदालत में चुनौती दी। लेकिन, बहुमत के संकट में फंसी खंडूड़ी सरकार के समय याचिका वापस ले ली गई।

संविधान में आंग्ल भारतीय समुदाय के प्रतिनिधि को भी निर्वाचित सदस्यों की तरह सदन में वोट देने का अधिकार है। वर्ष 2007 में भाजपा सत्तारुढ़ हुई तो वह बहुमत के आंकड़े से दो दो कदम दूर थी। 34 की संख्या को जादुई आंकड़े में बदलने के लिए यूकेडी व निर्दलीय सदस्यों का साथ लेने के अलावा आंग्ल भारतीय समुदाय के प्रतिनिधि का मनोनयन किया गया। वर्ष 2012 में कांग्रेस 32 सीटों पर अटकी तो उसने एक बार फिर आंग्ल भारतीय समुदाय के प्रतिनिधि को मनोनीत किया।

भाजपा 57 सीटों के प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई। बहुमत के मामले में वह सर्वाधिक सहज स्थिति में है। इन हालातों में उस पर आंग्ल भारतीय समुदाय के प्रतिनिधि के मनोनयन का कोई सियासी दबाव नहीं था। वित्तीय संकट के हो रहे प्रलाप के बीच ये भी समझा रहा था कि शायद सरकार इस बार एंग्लो इंडियन के मनोनयन से परहेज करेगी।

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