POLITICS

महावीर सिंह रांगड़ की सक्रियता से महारानी के माथे पर बल!

  • टिहरी राज परिवार को जनता आखिर कब तक ढोती रहेगी ?
  • पूर्व सांसद विजय बहुगुणा इस समय सक्रिय नजर नहीं आ रहे 
  • रानी की निष्क्रियता से लोगों और कार्यकर्ताओं में नाराजगी!

गिरिराज उनियाल 

देहरादून : टिहरी संसदीय क्षेत्र आजादीके बाद से इस सीट पर उपचुनाव सहित 18 बार मतदान हुआ। 10 बार कांग्रेस और 8 बार भाजपा को जीत मिली। जिसमें 10 मर्तबा जनता ने राजपरिवार पर भरोसा किया। यह सीट भाजपा और कांग्रेस के इर्द -गिर्द ही घूमती रही। इस सीट के इतिहास पर सबसे पहले 1952 में कमलेंदूमति शाह कांग्रेस ,1957,1962,1967,में इस सीट पर मानवेंद्र शाह कांग्रेस से 1971 में परिपूर्णानन्द पैन्यूली कांग्रेस, 1977 में त्रेपन सिंह नेगी जनता पार्टी, 1980 में त्रेपन सिंह नेगी कांग्रेस, 1984 ,1989 में ब्रह्मदत्त कांग्रेस, 1991,1996,1998,199,2004 तक लगातार भाजपा के मानवेंद्र शाह, रहे 2006 में मानवेंद्र शाह की मौत के बाद उपचुनाव 2007 में विजय बहुगुणा कांग्रेस के विजयी रहे । 2009 में भी विजय बहुगुणा कांग्रेस से चुने गये।

विजय बहुगुणा को पार्टी ने प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया तो उनको इस सीट पर इस्तीफा देना पड़ा।लेकिन2012 के उपचुनाव में वे अपने पुत्र साकेत बहुगुणा को नहीं जीता पाये। और एक बार फिर इस सीट पर राजपरिवार की बहू माल्याराज लक्ष्मी शाह कमल खिलाने में सफल रही। 2014 में रानी ने इस सीट पर भाजपा को भारी जीत दिलाई। ये सच है कि राजपरिवार पर जनता ने विश्वास किया। लेकिन रानी की निष्क्रियता से लोगों और कार्यकर्ताओं में नाराजगी है।क्षेत्र में उनकी मौजूदगी भी ना के बराबर रहती है आम कार्यकर्ता से दूरी बनाये रखती है अपनी सांसद निधि तक का सही जगह उपयोग नहीं कर पाती।

लोगों का मानना है कि उनकी निधि को कुछ लोग अपने हित में खर्च करवाते हैं संसदीय क्षेत्र के लोग इस समय बदलाव चाहते हैं ऐसे में पार्टी यदि किसी अन्य के नाम पर विचार करती है तो कुछ नाम सामने आ रहे हैं इनमें मसूरी विधायक गणेश जोशी जिन्होंने अभी अपनी दावेदार की है हालांकि जोशी जनता के बीच काम करते हैं केवल मसूरी विधानसभा में ही उनका बहुत प्रभाव है लेकिन पहाड की मसूरी को छोड़कर या यों कहे दून की कुछ विधानसभा छोड़कर अधिकांश विधानसभा में उनकी तैयारी अभी तक नहीं देखी जा रही है ।

कार्यकर्ताओं की बार बार एक नये चेहरे को लेकर उत्सुकता बनी रहती है वो हैं भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व में संगठन मंत्री और वर्तमान मे भाजपा के उपाध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला हैं जिन पर कार्यकर्ता हमेशा दबाव बनाते हैं लेकिन गैरोला खुद संगठन के कामों में व्यस्त रहते हैं कार्यकर्ताओं में जबरदस्त पकड़ होने के बावजूद गैरोला खुद संगठन की राजनीति अधिक पसंद करते हैं रानी के लिए थोड़ा सकुन इस बात का था कि पूर्व मुख्यमंत्री और इस क्षेत्र के पूर्व सांसद विजय बहुगुणा इस समय सक्रिय नहीं दिखाई दे रहे हैं।

लेकिन धनोल्टी के पूर्व विधायक और वर्तमान में गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ भी विधानसभा का टिकट कटने के बाद से टिहरी लोकसभा सीट पर आंख गढ़ाए हुए हैं और उन्होंने पिछले डेड साल से इस संसदीय सीट पर पसीना बहा रहे हैं हर विधानसभा मेंउनकी तैयारी चल रही है टिहरी उत्तरकाशी और देहरादून जनपद की कुछ विधानसभा इस संसदीय क्षेत्र में है।

रांगड़ टिहरी जनपद से हैं घनसाली प्रतापनगर, धनोल्टी, टिहरी उत्तरकाशी की तीन विधानसभा, देहरादून के चकराता, विकासनगर, सहसपुर कैंट, राजपूर,मसूरी, ये सब विधानसभा इस संसदीय क्षेत्र में आती हैं और रांगड़ की इन पर तैयारी जोरों पर चल रही है। अपने सरल स्वभाव से लोगों में अपनी पकड़ बना रहे हैं मुख्यमंत्री रावत के करीबी और संघ में अच्छी पकड़ उनके लिए फायदेमंद हो सकती है गुटबाजी से दूर रह कर अपनी साफ सुथरी छवि, और युवा चेहरा होने का उन्हें फायदा मिल सकता है। उनकी इस सक्रियता के चलते रानी के माथे पर बल पड़ना लाजमी है। 

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