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पार्टियों को मिलने वाले राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता के लिए ‘चुनावी बॉन्ड’

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने मंगलवार को राजनीतिक चंदे में स्वच्छता लाने के लिए चुनावी बॉन्ड लाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह एक हजार रुपये, दस हजार रुपये, एक लाख रुपये, 10 लाख रुपये और एक करोड़ रुपये के मूल्य में उपलब्ध होंगे। इसे अधिसूचित किया जा रहा है। 

लोकसभा में चुनावी बॉन्ड का उल्लेख करते हुए जेटली ने कहा कि इस व्यवस्था से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। इस दिशा में यह एक महत्वूपर्ण कदम है जिसकी घोषणा बजट 2017-18 में सरकार ने की थी। उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड को अंतिम रूप दे दिया गया है और इस संबंध में मंगलवार को ही अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। 

जेटली ने कहा कि मौजूदा समय तो कोई पारदर्शिता नहीं है, जो व्यवस्था अब लागू होगी। उसके आरंभ होने से देश में राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की पूरी प्रक्रिया में काफी हद तक पारदर्शिता आएगी। उन्होंने कहा कि हमने आम बजट के दौरान चुनावी बॉन्ड शुरू करने का ऐलान किया था। सरकार अब इस व्यवस्था को अंतिम रूप दे चुकी है और लागू करने जा रही है। राजनीति दलों को चंदा देने वाले लोग भारतीय स्टेट बैंक की कुछ तय शाखाओं से चुनावी बॉन्ड खरीद सकेंगे। तय मियाद के भीतर पंजीकृत राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर बॉन्ड देने होंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि ये चुनावी बॉन्ड उन्हीं पंजीकृत राजनीतिक दलों को दिये जा सकेंगे जिनको पिछले चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट मिला हो। राजनीतिक दल इन चुनावी बॉन्ड को भुना सकेंगे। 

प्राप्त जानकारी  के अनुसार यह बॉन्ड एक हजार रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये के मूल्य तक में उपलब्ध होंगे।  राजनीतिक दलों को चंदे देने के लिए ब्याज मुक्त बॉन्ड भारतीय स्टेट बैंक से जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्तूबर महीने में खरीदे जा सकते हैं। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़ने ने कहा कि इसमें चंदा देने वाले के नाम का खुलासा नहीं कर सकते। इसका क्या औचित्य है। इस पर जेटली ने कहा कि बॉन्ड खरीदने वाला वही हो सकता है जिसकी बैलेंसशील सही हो। इसलिए चुनावी बॉन्ड पर देने वाले का नाम नहीं होगा और इसे केवल अधिकृत बैंक खाते के जरिये 15 दिन के भीतर भुनाया जा सकेगा।

गौरतलब है कि वित्त मंत्री जेटली ने सदन में यह भी कहा कि वर्तमान समय में राजनीतिक दलों में ज्यादातर चंदा नकदी में मिलता है और इसमें पारदर्शिता न के बराबर होती है। इस व्यवस्था के आने से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में स्वच्छता और काफी हद तक पारदर्शिता आएगी।

devbhoomimedia

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