तो क्या दून विश्वविद्यालय बीते कई वर्षों से छात्रों के भविष्य के साथ अब तक कर रहा था खिलवाड़ ?
विदेशी भाषा के पाठ्यक्रमों के लिए विश्व विद्यालय के पास एडवायजरी और एकेडमिक काउंसिल नहीं है मंजूरी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : जेएनयू की तर्ज पर उत्तराखंड में बनाया गया दून विश्व विद्यालय क्या विदेशी भाषाओँ के संचालित हो रहे पाठ्यक्रमों को हवा में चला रहा है, इस बात का खुलासा दून विश्व विद्यालय में अध्ययन कर रहे एक छात्र चाइनीज भाषा के एक छात्र की ओर से दाखिल आरटीआई में खुलासा हुआ है कि विदेशी भाषा के पाठ्यक्रमों के लिए एडवायजरी और एकेडमिक काउंसिल की आज तक विश्व विद्यालय ने मंजूरी नहीं ली है जबकि वह इन पाठ्यक्रमों को पिछले आठ वर्षों से चला रहा है ।
मामले के खुलने के बाद दून विश्वविद्यालय के प्रशासन ने एडवायजरी और एकेडमिक कमेटी से मंजूरी मंजूरी लेने का निर्णय लिया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि क्या दून विश्वविद्यालय बीते कई वर्षों से क्या छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा था जो पकड़ में आने के बाद वह अब अपनी गलती सुधारने की बात कर रहा है ?
गौरतलब हो कि दून विश्व विद्यालय में वर्ष 2012 से ही जर्मन, चायनीज, फ्रैंच, स्पैनिश, जापनीज जैसी विदेशी भाषाओं का सर्टिफिकेट कोर्स चल रहा है। बीते आठ वर्षों से क्या विश्व विद्यालय को इस बात का पता नहीं चला कि उनके यहां जिन विदेशी भाषाओँ का अध्ययन करवाया जा रहा है उसके लिए विश्व विद्यालय ने एडवायजरी और एकेडमिक काउंसिल से मंजूरी ही नहीं ली है।
सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि विदेशी भाषाओं के पाठ्यक्रम की जानकारी भी विश्व विद्यालय की वेबसाइट पर नहीं डाली गई है। इससे एक बात यह भी साफ़ हो जाती है कि विश्व विद्यालय के संज्ञान में यह जानकारी रही होगी। हालांकि इन आठ वर्षों में यहां से हजारों छात्र सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद पासआउट हो चुके हैं।