आपदा प्रबंधन के लिए एक वालंटियर कोर स्थापित करने की जरूरतः सीएम
आपदा प्रबंधन पर राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित
आपदा के मामलों में हमारे रेस्पोंस में कुशलता आई : मुख्यमंत्री
आपदा प्रभावित गांवों के लिए बनायीं गयी पुनर्वास नीति : राजेन्द्र भंडारी
देहरादून । न्यू कैंट रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास में आयोजित आपदा प्रबंधन की राज्य स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आपदा प्रबंधन में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शामिल करने पर बल देते हुए कहा है कि इससे हम आपदा प्रबंधन का एक अच्छा परिमार्जित माॅडल बना सकते हैं। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आपदा से गांवों को बचाना है तो हरियाली को बढ़ाने, बरसात के पानी को संरक्षित करने व परम्परागत खेती को अपनाना होगा। पिछले वर्षों में हमारी आपदा प्रबंधन की क्षमता में बहुत सुधार हुआ है। भारत सरकार के पास एनडीआरएफ है तो हमारे पास एसडीआरएफ है। आपदा प्रबंधन के लिए एक वालंटियर कोर भी स्थापित किए जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमारे रेस्पोंस में कुशलता आई है। इसी का परिणाम है कि राज्य में पर्यटकों की संख्या वर्ष 2012 के बराबर हो गई है। बिना नेशनल हाईवे को बंद किए कांवड़ यात्रा को सफलतापूर्वक संचालित किया गया है। अर्धकुम्भ के आयोजन व चार धाम यात्रा में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। इससे राज्य के रूप में हमारे आत्मविश्वास को बल मिला है। चारधाम यात्रा में इस बार 15 लाख से अधिक श्रद्धालु आए हैं। हमारी प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। हम देश के सबसे तेजी से आगे बढ़ते राज्यों में शामिल हैं। इस वर्ष एक हजार सड़कों पर काम प्रारम्भ किया गया है। ब्लाॅक स्तर तक सड़कों को हाॅट मिक्स बनाया गया है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आपदा से गांवों को बचाना है तो हरियाली को बढ़ाने, बरसात के पानी को संरक्षित करने व परम्परागत खेती को अपनाना होगा। साथ ही परम्परागत शैली के मकानो को प्रोत्साहित करना होगा। खेतों में जुताई जरूरी है। इससे बरसात का पानी जमीन के अंदर जाएगा और भूमि की नमी बरकरार रहेगी। गांवों के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारना होगा। हमें अब केदारनाथ जैसी बड़ी आपदाओं के चिंतन से बाहर निकलकर माइक्रो लेवल की प्लानिंग करनी चाहिए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कार्यशाला में भागीदारी कर रहे ग्राम प्रधानों से आग्रह किया कि गांवों में जल संरक्षण, जानवर रोधी दीवारें बनाने व भीमल, रामबांस आदि के वृक्षारोपण पर अधिक ध्यान दें।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए आपदा प्रबन्धन मंत्री राजेन्द्र भण्डारी ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं, नगर निकायों एवं ग्राम स्तर पर स्थानीय समुदायों की आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रतिभागिता है। लगभग सभी घटनाओं में वहाॅं पर उपस्थित स्थानीय समुदाय को पहली प्रतिक्रिया करनी पड़ती है। ऐसे में उनकी भूमिका आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हो जाती है। आपदाओं की सूचना समय पर आपदा नियंत्रण कक्ष एवं स्थानीय पुलिस फायर व एंबुलेस सेवा को दिये जाने में भी ग्राम स्तर पर हमारे नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस दृष्टि से यह कार्यशाला और भी लाभदायक हो जाती हैं क्योंकि प्रथमबार राज्य स्तरीय कार्यशाला में ग्राम प्रधानों द्वारा भी प्रतिभाग किया गया है। राज्य सरकार द्वारा ग्राम स्तर पर जागरूकता एवं सुनियोजित प्रतिवादन की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण योजनाऐं संचालित की गयी हैं। इनमें न्याय पंचायत स्तर पर 10 दिवसीय खोज एवं बचाव प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसमें अबतक 486 न्याय पंचायतों में 12150 स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित किया गया है।
उन्होंने कहा प्रशिक्षण प्राप्त स्वयंसेवकों को विवरण वैबसाईट पर रखा गया है जिससे समय आने पर उनका उपयोग भी आपदा प्रबन्धन कार्याेें में किया जा सके। भूकम्प सुरक्षित निर्माण को बढ़ावा दिये जाने के लिये अभियन्ताओं तथा राज मिस्त्रियों को प्रशिक्षण आपदा प्रबन्धन विभाग की ओर से दिया जा रहा है। इन कार्यक्रमों के अन्तर्गत 1460 राजमिस्त्री तथा 50 प्रदर्शन ईकाइयों का भी निर्माण किया गया है। जीर्ण क्षीर्ण भवनों को भूकम्प सुरक्षित बनाये जाने के लिये रेट्रों फिटिंग का कार्य भी किया जा रहा हैं एवं प्रदेश के 07 स्कूलों को इस विधि से भूकम्प सुरक्षित बनाया गया है। समय-समय पर घटित आपदाओं से कई गाॅंव प्रभावित हुए हैं। ऐसे गाॅंवों के लिये अलग से पुर्नवास नीति बनाई गयी है एवं पहली बार इस वर्ष इसके लिये समुचित बजट व्यवस्था करते हुए राज्य स्तर पर एक समिति का भी गठन किया गया है। इस वर्ष से इन गाॅंवोें को आपदा सुरक्षित बनाये जाने या अतिआवश्यकता होने पर पुर्नवासित किये जाने हेतु भी सुनियोजित कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। राज्य स्तर पर विभागीय ढाॅंचे को सुदृ़ढ़ किये की दृष्टि से राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के लिये सचिवालय का गठन किया गया है। इसके पदों सृजन की कार्यवाही पूर्ण कर ली गयी है। एवं शीघ्र ही इन पदों के सापेक्ष विशेषज्ञों आदि की नियुक्ति के लिये भी समयबद्ध प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि राज्य आपदा प्रबन्धन बल को उन्नत उपकरण दिये जा रहे हैं। वर्तमान में उन्हें लगभग 15 करोड़ के उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं एवं अन्य उपकरणों के लिये कार्यवाही की जा रही है। आपदा प्रबन्धन बल की 02 और कम्पनियाॅं स्थापित करने हेतु भी प्रयास किया जा रहा है। राज्य आपदा प्रबन्धन कार्ययोजना तैयार कर ली गयी है एवं विभिन्न विभागों से भी विभागवार आपदा प्रबन्धन योजनाऐं तैयार किये जाने का अनुरोध किया गया है, जिससे आपदा घटित होेंने पर सुनियोजित एवं समेकित प्रतिक्रिया हो सके। राज्य में राज्य स्तर पर तथा सभी जिलों में आपातकालीन परिचालन केन्द्र सभी दिवसों एवं 24 घंटे प्रतिदिन संचालित किये जा रह हैं। इसके साथ ही मौसम सम्बन्धी जानकारियों एवं आपदा से सम्बन्धित जानकारियों को बल्क एस0एम0एस0 के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य स्तर पर टाॅलफ्री नम्बर 1070 एवं जनपद स्तर पर 1077 उपलब्ध है।
आपदा प्रबंधन मंत्री श्री भण्डारी ने कहा कि राज्य स्तर पर प्रदेश के समस्त विकास खण्डों तहसीलों तथा ग्रामों को जी0आई0एस0 प्रणाली में मानचित्रित किया गया है। इसके साथ ही सड़कों, नदी नालों, पुलिस अवस्थापना, चिकित्सालयों व खाद्य गोदमों की भी जी0आई0एस0 मैपिंग की गयी है। इस कार्य को आगे बढ़ाने से आपदा प्रबन्धन एवं आपदा न्यूनीकरण की योजनाओं में काफी सहयोग मिलेगा। विभाग द्वारा अपने स्तर पर मूसरी नैनीताल एवं बागेश्वर शहरों का भूकम्प जोखिम आंकलन तैयार किया गया है। इसके बाद देहरादून व हरिद्वार सहित 07 अन्य शहरांे के लिये भी इस तरह का आंकलन तैयार किये जा रहे हैं। जिससे इन शहरों में भूकम्प की स्थिति में क्षतियों को कम करने में मदद मिलेगी।
गौरतलब हो कि आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विभाग, उत्तराखण्ड शासन द्वारा राज्य स्तरीय आपदा प्रबन्धन विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सोमवार को न्यू कैंट रोड़ सिथत मुख्यमंत्री आवास में किया गया। उत्तराखण्ड राज्य आपदा के प्रति अति संवेदनशील है। आपदा प्रबन्धन वर्तमान समय में आपदा सुरक्षा की महत्वपूर्ण इकाई है, जिसके लिये आवश्यक है कि सार्वजनिक प्रतिष्ठान, स्वैच्छिक संगठन न नागरिक संगठन सभी हित धारक अपना सहयोग उत्तराखण्ड सरकार को प्रदान करें ताकि आपदा सुरक्षा सम्बन्धित विभिन्न पक्षों पर विस्तृत चर्चा के उपरान्त एक सुदृढ़ रणनीति विकसित हो सकें। इसी उद्देश्य के साथ इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में लगभग 500 से अधिक प्रतिभागियों ने अपनी उपस्थति दर्ज करायी। कार्यशाला में राज्य सरकार के आला अधिकारियों, गैर-सरकारी संस्थाओं/संगठनों/शैक्षणिक संस्थाओं के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ ही सैन्य बल के अधिकारियों ने भी अपने अनुभव जनता के साथ साझा किये।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री श्री रावत द्वारा केदारनाथ घाटी के प्रभावितों हेतु विश्व बैंक सहायतिति परियोजना से राज्य सरकार द्वारा बनाये गये ओ.डी.सी.एच. या भवन स्वामी द्वारा संचालित मकान धारकों को भवन बीमा प्रमाण पत्र भी वितरित किये गये। कार्यशाला का मुख्य बिन्दु रहा जिन लोगों को ओ.डी.सी.एच. की सुविधायें प्राप्त हुयी थी उनमें से चुन्निदा लाभार्थियों को मंच पर आकर जनता के समक्ष राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवायी जा रही सुविधाओं को जनता के साथ बाॅटने का अवसर प्राप्त हुआ।
कार्यशाला के दौरान सचिव, आपदा प्रबन्धन अमित नेगी द्वारा ओ.डी.सी.एच., सड़क, पेयजल, विद्युत आदि पर चर्चा एवं राज्य सरकार की उपलब्धियों को जनता के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि केदार घाटी में 2013 में आयी आपदा सेे केदारनाथ मन्दिर सहित केदारनाथ घाटी बुरी तरह प्रभावित हुयी थी किन्तु उत्तराखण्ड सरकार की सकारात्क सोच, सुदृढ़ नीति के साथ केदारनाथ घाटी का पुनर्निर्माण हुआ और एक बार फिर से जनता की आस्था के प्रतीक श्री केदारनाथ जी को पुनः स्थापित किया गया।
अपर सचिव सी. रवि शंकर जी ने आपदा प्रबन्धन की भावी योजनाओं के विषय पर प्रस्तुतीकरण किया। आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र के डा. पीयूष रौतेला अधिशासी निदेशक द्वारा राज्य में भूकम्प के विशेष परिप्रेक्ष्य में पारम्परिक घरों की तकनीकी पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला में आपदा से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर चर्चा हुयी जैसे सामुदायिक रेडियो, ढाल स्थरीकरण, जलवायु परिवर्तन, भूकम्प के परिप्रेक्ष्य में त्वरित चेतावनी तंत्र, विद्यालयी सुरक्षा के सन्दर्भ में श्रेष्ठ प्रणालियाँ, आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में अतंरिक्ष विभाग द्वारा उपयोग में लायी जा रही तकनीकियों पर प्रकाश डाला गया। साथ ही राज्य आपदा प्रतिवादन बल की की संरचना एवं उसकी कार्यप्रणाली एवं उनके द्वारा आपदा राहत एवं बचाव के सम्बन्ध में प्रस्तुतीकरण दिया गया। कार्यशाला के मुख्य आकर्षणों में से एक रहा यू.डी.आर.पी. एवं यू.ई.ए.पी. द्वारा आपदा उपरान्त किये गये कार्यो की जानकारी हेतु प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। साथ ही साथ एस.डी.आर.एफ. द्वारा उपयोग में लायें जा रहे आधुनिक उपकरण आदि को प्रदशित किया गया।
कार्यशाला का समापन आपदा प्रबन्धन विभाग के उप सचिव श्री संतोष बड़ोनी द्वारा मा. अतिथियों, जनप्रतिनिधियों एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया। कार्यशाला में सलाहकार प्रयागदत्त भटट्, बलबीर सिंह नेगी, पूरन सिंह रावत, श्री बलवन्त सिंह बोहरा एवं श्रीमती तारा पांगती, नगर निगम एवं नगर पालिका के अध्यक्ष, जिला पंचायत अध्यक्ष, प्रधान ग्राम पंचायत मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन, सचिव, आपदा प्रबन्धन विभाग, अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण, व इस आयोजन में विशेष रूप से आमंत्रित केन्द्रीय वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों के विशेषज्ञ एवं राज्य के अन्य प्रतिनिधि उपस्थित रहे।