सरकार ने दी नमाज के लिए ‘छुट्टी’ तो.. .’छुट्टी’ पर मचा घमासान,
देहरादून : विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड सरकार ने वोट बैंक के लिए नया दांव खेला है। उत्तराखंड कैबिनेट ने सरकारी संस्थानों में काम करने वाले मुस्लिम समुदाय के कर्मचारियों को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए शुक्रवार को अल्पकालीन अवकाश देने का ऐलान किया है।कैबिनेट के इस फैसले के बाद देशभर में हलचल मच गई है। चर्चा है कि भाजपा इसे आगामी विधानसभा चुनाव में भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। वहीँ जुमे की नमाज के लिए सरकारी कर्मचारियों को अवकाश देने पर मचे सियासी घमासान ने उत्तराखंड सरकार को बैकफुट पर ला दिया है। फैसले पर उत्तराखंड से लेकर दिल्ली तक विपक्षी दलों का जोरदार विरोध देख सीएम के मीडिया सलाहकार को सफाई देने उतरना पड़ा।
वहीँ इस मामले में मचे घमासान के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा : जुमे की नमाज अदा करने के लिए मुस्लिम सरकारी कर्मचारियों को 90 मिनट के अवकाश का निर्णय हमने भाजपा के एक मुख्यमंत्री (नाम नहीं लिया) के आइडिया पर लिया है। भाजपा को आपत्ति है तो अपने उस सीएम से बात करनी चाहिए।
विपक्षी दलों ने कांग्रेस सरकार के फैसले को बांटने वाला बताया। वहीं सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी सरकार के फैसले का जोरदार विरोध हुआ। चौतरफा विरोध होता देखकर सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा। सोमवार सुबह ही दिल्ली में भी भाजपा के नेता फैसले के विरोध में मुखर दिखे। उधर, शिव सेना की प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने कांग्रेस सरकार पर मुस्लिमों के तुष्टिकरण की राजनीति खेलने का आरोप लगाते हुए मामले को संसद में उठाने की बात कही।
भाजपा नेता नलिन कोहली ने कहा कि वोट के लिए उत्तराखंड की हरीश सरकार किसी भी हद को लांघ सकती है। हिंदू बोलें कि हमें सोमवार को शिव जी की पूजा के लिए दो घंटे की छुट्टी चाहिए। मंगलवार को हनुमान पूजा के लिए छुट्टी चाहिए तो क्या सरकार उन्हें भी अवकाश देगी?
वहीँ भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी ने कहा कि सीएम हरीश रावत केवल वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं, जिसके चलते उन्होंने समाज को बांटने वाला निर्णय लिया। सरकार को विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना होग। इसके साथ ही सोशल मीडिया में भी जमकर इस फैसले पर सरकार को घेरा गया।
राज्य सरकार के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर भी तरह-तरह की पोस्ट और कमेंट्स किए जा रहे हैं। जिनमें लोग अन्य धर्मों के विशेष दिनों पर भी अल्पकालीन छुट्टियां देने की मांग कर रहे हैं।भाजपा के किसी नेता ने इस बात पर खुलकर मीडिया में कोई बयान तो जारी नहीं किया है, लेकिन अंदर खाने इस फैसले के विरोध की रणनीति बनाए जाने की जानकारी मिल रही है।
बीते शनिवार को कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जुमा की नमाज पढ़ने को सरकारी सेवा में कार्यरत अल्पसंख्यक कर्मियों को हर शुक्रवार को 12.30 से 2 बजे तक अल्पकालिक अवकाश देने का ऐलान किया था।प्रदेश कैबिनेट की बैठक में इसके प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी।
चुनाव से ठीक पहले हुई इस कैबिनेट की बैठक में सरकार की ओर से अल्पसंख्यकों को लुभाने की कोशिश की गई है। बता दें कि प्रदेश में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक कर्मचारी हैं।