UTTARAKHAND
मंत्रीमंडल की बैठक में एमवी एक्ट के तहत जुर्माने में राहत 50 फीसदी की दी गई छूट

मुख्यमंत्रियों के भूतपूर्व होने पर नहीं मिलेगा सरकारी आवास
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट में ये दी राहत
– धारा 177, 178, 178(2), 178(3) 112 के नियम में दिए गए जुर्माने को यथावत रखा।
– बगैर लाइसेंस पकड़े जाने पर केंद्र के तय जुर्माने पांच हजार को घटाकर ढाई हजार रुपये किया।
– गलत पंजीकरण (नंबर प्लेट) पर 10 हजार रुपये के जुर्माने को पांच हजार रुपये किया गया।
– मोबाइल पर बात करने पर 5 हजार से घटाकर पहली बार 1 हजार, दूसरी बार 5 हजार जुर्माना।
– प्रदूषण सर्टिफिकेट न होने पर 10 हजार को पहली बार ढाई हजार, दूसरी बार पांच हजार जुर्माना।
– धारा 180 में जुर्माना को 5000 से घटाकर 2500 रुपये किया गया।
– धारा 7 में गाड़ी के मोडिफिकेशन पर जुर्माना एक लाख से घटाकर 50 हजार किया।
– धारा 182 (ख) में 10000 रुपये जुर्माने को घटाकर 5000 रुपये किया।
– ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण के लिए 10000 की जगह 2500 का जुर्माना।
– क्षमता से अधिक सवारी ले जाने पर 200 रुपये प्रति सवारी जुर्माना।
– सीट बेल्ट न पहनने पर एक हजार रुपये और दूसरी बार दो हजार रुपये जुर्माना।
– अग्निशमन व एंबुलेंस को रास्ता ना देने पर 10000 से घटाकर 5000 रुपये किया जुर्माना।
– गतिसीमा से अधिक पर वाहन चलाने पर दो हजार रुपये किया गया है जुर्माना।
– वाहन से रेस और स्टंट करने पर पर केंद्रीय एक्ट की तरह पांच हजार रुपये जुर्माना।
देहरादून : उत्तराखंड सरकार ने संशोधित मोटर यान अधिनियम में केंद्र द्वारा तय जुर्माने के सापेक्ष नियमों के उल्लंघन के मामले में खासी राहत दे दी है। सरकार ने कई मामलों में कंपाउं¨डग फीस केंद्र द्वारा तय जुर्माने से आधी कर दी है। हालांकि, ये कम्पाउंडिंग दरें अभी तक प्रचलित दरों के मुकाबले दो गुना से लेकर पांच गुना अधिक हैं।
वहीं उत्तराखंड में भूतपूर्व होने वाले मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास की सुविधा न दिए जाने के प्रावधान को कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे दी है। उत्तराखंड पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुुविधा बहाल करने के लिए कैबिनेट ने पूर्व जिस अध्यादेश को मंजूरी दी थी, उसमें ये प्रावधान शामिल नहीं था। लेकिन बाद में सरकार ने इसमें यह प्रावधान कर दिया कि 31 मार्च 2019 से कोई पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी आवास व अन्य सुविधाओं का हकदार नहीं होगा।
अधिसूचना में यह भी स्पष्ट कहा गया है कि 31 मार्च 2019 से कोई पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी आवास व अन्य सुविधाओं का हकदार नहीं होगा। भूतपूर्व होने वाले ऐसे मुख्यमंत्रियों को वाहन, चालक, जनसंपर्क अधिकारी, चतुर्थ श्रेणी कर्मी, टेलीफोन अटेंडेंट, सुरक्षा गार्ड, चौकीदार, ओएसडी की सुविधा नहीं मिलेगी।
कैबिनेट ने सड़क दुर्घटना की वजह बनने वाले बिना लाइसेंस, बिना हेलमेट, ओवर स्पीड व दुपहिया वाहन में ट्रिपल राइडिंग जैसे नियमों के उल्लंघन के लिए तय जुर्माने में कोई बदलाव नहीं किया है। टिपल राइ¨डग व हेलमेट न पहनने पर 1000 रुपये के जुर्माने के साथ ही तीन माह तक लाइसेंस निलंबित करने की संस्तुति की गई है।
सचिवालय में हुई कैबिनेट की बैठक के फैसलों को सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने ब्रीफ किया। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने मोटरयान अधिनियम के कुछ प्रावधानों में ढील देने की इजाजत राज्यों को दी है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने नए मोटर यान अधिनियम के तहत यातायात नियमों की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करने पर केंद्र द्वारा तय जुर्माने की दरों के सापेक्ष राज्य में कम्पाउंडिंग फीस की दरों पर मुहर लगा दी है।
सरकार ने व्यावसायिक वाहन संचालकों पर कोई खास नरमी नहीं दिखाई है। यात्रियों को न बिठाने, परिवहन अधिकारी के कार्य में बाधा डालने, जानबूझ कर सूचना न देने जैसे छह तरह के नियमों के उल्लंघन के लिए केंद्र के समान ही शुल्क रखा गया है। यात्री व वाहन चालकों द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर केंद्र द्वारा तय दरों में सरकार ने राहत देते हुए अनेक मामलों में कंपाउं¨डग की दरों को आधा कर दिया है। यानी, इन जुर्मानों पर विभाग में ही भुगतने पर उन्हें राहत मिलेगी।
अब 42 उम्र तक बन सकेंगे प्रवक्ता
उत्तराखंड में राजकीय माध्यमिक स्कूलों में प्रवक्ता पदों की भर्ती के लिए सरकार आयु सीमा में बढ़ोतरी की है। अब 42 वर्ष की आयु वाले अभ्यर्थी भी प्रवक्ता पद के लिए आवेदन कर सकेंगे। अभी तक यह आयु सीमा 35 वर्ष निर्धारित थी। इस कारण हजारों अभ्यर्थी आवेदन करने से वंचित रह रहे थे। बुधवार को कैबिनेट ने उत्तराखंड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा नियमावली में संशोधन की मंजूरी दे दी है।
प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में प्रवक्ता पदों की भर्ती के लिए आयु सीमा 21 से 35 वर्ष निर्धारित थी। सेवा नियमावली में संशोधन कर अब सरकार ने अधिकतम आयु सीमा को 42 वर्ष किया गया। सरकार के इस फैसले से उन अभ्यर्थियों को राहत मिली है।
आयु सीमा के चलते प्रवक्ता पद के लिए आवेदन करने से वंचित थे। सीधी भर्ती के लिए अभ्यर्थी की आयु रिक्त पदों की विज्ञप्ति वर्ष की पहली जुलाई को 21 से 42 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रवक्ता हिंदी पद के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर, संस्कृत विषय में स्नातक, एलटी डिप्लोमा व शिक्षा शास्त्र में बीएड अनिवार्य शैक्षिक अर्हता रखी गई है।
वहीं, प्रवक्ता संस्कृत के लिए मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातकोत्तर, संस्कृत कालेज से आचार्य साहित्य, व्याकरण, ज्योतिष, आचार्य वेद और आचार्य तुलनात्मक दर्शन की उपाधि निर्धारित की गई है।