नोटबंदी से पर्वतीय इलाकों में रुकी पेंशन
रुद्रप्रयाग : नोटबंदी ने रुद्रप्रयाग जिले सहित पर्वतीय अंचलों के दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थित सहकारी बैंकों की कमर तोड़ कर रख दी है। सभी मिनी बैंको में नोट बंदी के बाद पहले एक हजार व पांच सौ के नोट बदलने पर रोक लगाने और अब बैंकों के पैसा न दिए जाने से इन बैकों से जुड़े लगभग कई हजार उपभोक्ता परेशान है। यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सरकार द्वारा दी जाने वाली विधवा, वृद्ध, विकलांक समेत अन्य पेंशन भी नहीं मिल रही है।
उदाहरण के लिए रुद्रप्रयाग के साठ हजार ग्रामीण उपभोक्ता विभिन्न क्षेत्रों में स्थित 37 मिनी सहकारी बैंकों से जुडे हुए हैं। लेकिन नोट बंदी के बाद इन बैंकों के बुरे हाल हैं। इन बैंकों में बड़ी संख्या में उपभोक्ता जुडे होने के बावजूद पैंसा नहीं मिल पा रहा है।
पूर्व में उपभोक्ता पहले इन बैंकों से अपने पुराने एक हजार व पांच सौ के नोट नहीं बदल पाए, और अब इनके पास कैश न होने से उपभोक्ताओं को पैसा नहीं दे पा रहे हैं। स्टेट बैंक की मैन ब्रांच से इन्हें सप्ताह में मात्र चौबीस हजार रुपए ही एक मिनी बैंक शाखा को दिए जा रहे हैं। ऐसे में वह अपने ग्राहकों को कैश नहीं दे पा रहे हैं।
वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोगों को सरकार द्वारा दी जाने वाली पेंशन भी नहीं मिल पा रही है, कैश न होने से विधवा, विकलांग, वृद्व, किसान पेंशन नहीं मिल पा रही है। बचत खातों से भी ग्राहकों को पैसा नहीं निकाल पा रहे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी जनता परेशान हो गई है।
पर्वतीय इलाके के ग्रामीणों को उम्मीद है कि आने वाले दस दिन बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के मुताबिक पचास दिन पूरे हो जाएंगे, और इसके बाद उन्हें राहत मिल सकेगी। लीड बैंक अधिकारी रुद्रप्रयाग शंकर लाल का कहना है कि सभी बैंकों को पैसा आवश्यकतानुसार दिया जा रहा है। जिस अनुपात में पैसा आ रहा है उसी अनुपात में दिया जा रहा है।