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खजुरानी में पीडि़त परिवार को समुचित चिकित्सा सुविधा दिलाए जाने की मांग

देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने जनपद अल्मोड़ा के चौखुटिया तहसील के खजुरानी गांव से लौटने के उपरान्त कांग्रेंस भवन में आयेाजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए वहां की वास्तविक स्थिति से अवगत कराया। खजुरानी गांव की परिस्थितियों को जानने के उपरान्त प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को पत्र लिखकर पीडित परिवार की समुचित चिकित्सा सुविधा करने का आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में किशोर उपाध्याय ने कहा है कि ग्राम खजुरानी पोखेड़ा चौखुटिया जिला अल्मोड़ा में स्व. नायक लालसिंह बिष्ट के परिवारजनों जिनमे श्रीमती जानकी देवी पत्नी स्व. खुशाल सिंह बिष्ट, अर्जुन सिंह बिष्ट पुत्र स्व. लालसिंह बिष्ट, दीवान सिंह बिष्ट पुत्र स्व.खुशाल सिंह बिष्ट, हर्ष सिंह बिष्ट पुत्र स्व. खुशाल सिंह बिष्ट तथा कु. नीतू पुत्री स्व. खुशाल सिंह बिष्ट शामिल हैं, अत्यंत दयनीय परिस्थितियों में खजुरानी में निवास कर रहे हैं।

उपाध्याय ने कहा कि अभी कुछ समय पहले ही 15 अप्रैल  को उनकी 17 वर्षीय सुपुत्री कु. सरिता का निधन हो गया, उससे 6 माह पहले लालसिंह का निधन हो गया जो कि गम्भीर समस्या से ग्रस्त परिवार की रीढ़ थे और उससे पांच वर्ष पहले स्व. लालसिंह की पुत्री कु. लक्ष्मी का भी निधन हो गया तथा इससे पूर्व स्व.  लालसिंह बिष्ट के सुपुत्र का निधन हुआ। अर्जुन सिह बिष्ट, दीवान सिह बिष्ट तथा हर्ष सिंह बिष्ट इस समय अत्यंत गम्भीर रूप से अस्वस्थ हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आप समझ सकते हैं कि अपनों को तिल-तिल मृत्यु की तरफ जाते हुए देखना कितना त्रासद होगा और जानकी देवी जिस तरह की स्थिति में होंगी आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं। उनको यह भी डर है कि उनकी सुपुत्री कु$ नीतू जो कि कक्षा 8वीं की छात्रा हैं इसी तरह की बीमारी से ग्रसित न हो जाय। कु. नीतू भी जब उसके खेलने और खाने के दिन हैं तो कैसे इस तरह की मानसिक परिस्थितियों की त्रासदी का मुकाबला कर रही होगी।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से स्थानीय लोगों ने परिस्थितियों का विवरण दिया कु. सरिता शरीर से इतनी जीर्ण-शीर्ण हो चुकी थी कि वह स्वयं भोजन भी ग्रहण नहीं कर सकती थी और ऐसी परिस्थितियों में जानकी देवी कितने अस्वस्थ लोगों की देखभाल कर सकती है। पानी रखा हो और कोई इतना असमर्थ हो जाय कि उसे स्वयं पी न सकते तो क्या हम उसे बिना पानी की मौत नहीं कहेंगे? इसी तरह कु. सरिता भी बिना किसी के सहारे के अनाज ग्रहण नहीं कर सकती थी, इसलिए हम कह सकते हैं कि उसकी भूख से मृत्यु हुई हैै।

उन्हेांने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि अवलिम्ब कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के अनुरूप स्व. लालसिह बिष्ट के परिवार की चिकित्सा एवं सुरक्षा के लिए समुचित प्रयास किये जाने चाहिए और अगर सरकार ने 29 अप्रैल तक समुचित कदम नहीं उठाये तो कांग्रेस को यह अनुमति मिलनी चाहिए कि कांग्रेसजन उस परिवार की समुचित चिकित्सा आदि की व्यवस्था कर सके।

devbhoomimedia

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