CRIME

पेटीएम केवीसी के नाम पर धोखाधड़ी में झारखंड के तीन युवक गिरफ्तार

झारखंड के देवघर से गिरफ्तार करके लाए गए तीनों अभियुक्त

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

देहरादून। पेटीएम की केवाईसी कराने के नाम पर साइबर ठगी करके खाते से लगभग साढ़े चार लाख रुपये निकालने के मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किए हैं। पुलिस ने गहन जांच के बाद झारखंड से इन लोगों की गिरफ्तारी की है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से नौ मोबाइल फोन और पुराने और नये 47 सिम कार्ड बरामद किए हैं। 

पुलिस के अनुसार, 19 फरवरी 2020 को टीना गुप्ता निवासी, तिरूपति एन्क्लेव, शक्तिविहार, सहस्त्रधारा रोड ने थाना रायपुर में तहरीर दी कि 18 फरवरी को उनके पास एक व्यक्ति ने काॅल कर खुद को पेटीएम कम्पनी का नुमाइन्दा बताते हुए पेटीएम की केवाईसी करवाने के लिए एक साफ्टवेयर इन्स्टाल करने को कहा। इसके बाद उक्त व्यक्ति ने उनके एकाउंट व डेबिट कार्ड की जानकारी लेकर उनके खाते से लगभग 4 लाख 45 हजार रुपये निकाल लिए। इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

तफ्तीश के लिए पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अरुण मोहन जोशी ने निरीक्षक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व एक कोर टीम का गठन किया।टीम ने वादिनी द्वारा उपलब्ध कराए नम्बरों पर सर्विलांस के माध्यम से जानकारी प्राप्त की तो लोकेशन झारखंड के जामताड़ा जिले की मिली। आईडी जनपद 24 परगना पश्चिमी बंगाल की पाई गई।  सर्विलांस टीम को अभियुक्तों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कुछ फर्जी पेटीएम वॉलेट की जानकारी भी मिली,जिनकी आईडी लखनऊ तथा दिल्ली की होने की जानकारी मिली। पुलिस टीमों को तत्काल झारखंड, पश्चिमी बंगाल, दिल्ली तथा लखनऊ के लिए रवाना किया गया।

फोन नंबरों की आईडी से प्राप्त पतों पर दबिश देकर तस्दीक किया गया, किन्तु पुलिस टीमों को उसमे कोई खास सफलता प्राप्त नहीं हुई। ज्यादातर पते फर्जी पाए गए। इसी बीच सर्विलांस टीम को उक्त अभियुक्तों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे एक नये नम्बर की जानकारी मिली, जो शरीद पुत्र चिराउद्दीन निवासी ग्राम बदिया थाना करौं जनपद देवघर झारखंड के नाम पर रजिस्टर्ड होना ज्ञात हुआ। जिस पर झारखंड रवाना हुई पुलिस टीम ने देवघर में गोपनीय जांच की। 

स्थानीय मुखबिर के माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई कि शरीद नाम का उक्त व्यक्ति अपने दो अन्य साथियों के साथ बदिया में ही है और कहीं जाने की फिराक में है, जिस पर पुलिस टीम ने शरीद को उसके दो अन्य साथियों तनवीर आलम तथा नबुवत अन्सारी के साथ बदिया से गिरफ्तार कर लिया। इनके कब्जे से ठगी में इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन, सिमकार्ड तथा नकदी बरामद हुई। तीनों अभियुक्तों को न्यायालय देवघर के समक्ष पेश कर अभियुक्त को ट्रांजिट रिमांड पर देहरादून लाया गया। इन अभियुक्तों में शरीद अन्सारी पुत्र सिराउद्दीन निवासी ग्राम बदिया थाना करौं, जनपद देवघर, झारखंड, उम्र 28 वर्ष, तनवीर आलम पुत्र इतरूद्दीन, उम्र 19 वर्ष तथा नबुवत अन्सारी पुत्र स्व.इस्माइल, उम्र 25 वर्ष शामिल हैं। 

लाइफ स्टाइल बदलने के लिए करते हैं साइबर ठगी

पुलिस के अनुसार, पूछताछ में मालूम हुआ कि उक्त गैंग का सरगना शरीद अन्सारी पूर्व में पश्चिम बंगाल के आसनसोल जिले के होटल रायल में काम करता था। उसके गांव बदिया व आस-पास के इलाके बस्कुपी तथा मदनकट्टा के अधिकतर लोग आनलाइन ठगी के मामलों में संलिप्त हैं। जिनके रहन-सहन को देखकर उसने भी आनलाइन ठगी की योजना बनाई। शरीद ज्यादा पढा लिखा नहीं था, इसलिए  पड़ोस में रहने वाले नबुवत अन्सारी व तनवीर आलम को अपनी इस योजना के बारे में बताते हुए उन्हें अपने साथ शामिल कर लिया। नबुवत अन्सारी 12 वीं तक पढा-लिखा है तथा उसके पास एडवांस कम्प्यूटर कोर्स का डिप्लोमा भी है। तनवीर आलम पूर्व में कोलकता के होटलों में काम करता था तथा पिछले कुछ समय से बेरोजगार था। 

ठगी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सिमों को ये लोग पश्चिम बंगाल के 24 परगना, मुर्शिदाबाद व अन्य जनपदों से लाते थे। उक्त स्थानों पर फर्जी सिम आसानी से उपलब्ध हो जाते थे। वहां से लाए गए सिमों में से कुछ को  इस्तेमाल कर लेते थे तथा कुछ को गांव के ही अन्य लोगों को ऊंचे दामों में बेच देते थे। ये लोगों को काॅल करके पेटीएम की केवाईसी करवाने या अन्य चीजों का प्रलोभन देते थे। फर्जी पेटीएम वालेट में उसके एवज में 01 रुपये ट्रांसफर करवाकर, इस दौरान उनके मोबाइल में प्राप्त ओटीपी की जानकारी प्राप्त कर लेते थे। ओटीपी प्राप्त होते ही उनके खातों से समस्त धनराशि को अपने फर्जी वालेट में स्थानान्तरित कर उसे तत्काल् अलग-अलग पेटीएम वालेटों में ट्रांसफर कर लेते थे। 

पूर्व में बनाए गए फर्जी वालेट में किसी प्रकार की धनराशि नहीं छोडते हैं, क्योंकि शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत करने पर पुलिस द्वारा सर्वप्रथम उक्त वालेट को फ्रीज कर दिया जाता है। अलग-अलग पेटीएम वालेट में ट्रांसफर की गई धनराशि को बैंकों, पोस्ट आफिस के खातों में डालकर उसकी निकासी की जाती है। ये धनराशि ऐसे व्यक्तियों के बैंक खातों में डाली जाती है जो बेहद गरीब या उम्रदराज हों तथा आसानी से पैसों के लालच में उनकी बातों पर विश्वास कर लें। ऐसे व्यक्तियों को उनके खातों में आये पैसों का 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा देते हैं, शेष धनराशि को निकाल ली जाती है। पुलिस के अनुसार अभियुक्तों से 9  मोबाइल फोन, इस्तेमाल किए गए 27 सिमकार्ड, 20 नये सिमकार्ड, 53,050 रुपये मिले। जांच टीम में  निरीक्षक देवेन्द्र सिंह चौहान, एसआई सुरेन्द्र राणा, नीरज त्यागी, प्रवीण सैनी,  आशीष, कांस्टेबल ललित, महेश उनियाल,पोपीन,  विनोद, अरुण,राजीव, शामिल हैं। 

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