करोड़ों की लूट में साजिशकर्ता सहित पुलिसकर्मियों की हुई गिरफ्तारी

- हाईप्रोफाइल लूट में दारोगा भी था शामिल
- एक बार फिर खाकी हुई दागदार
देवभूमि मीडिया ब्यूरो

शनिवार से ही मामले के हाथ में आने के बाद से एसटीएफ प्रकरण की जांच कर रही थी। एसटीएफ की टीम ने पहले पर्याप्त और मजबूत साक्ष्य एकत्र किए और उसके बाद ही आरोपियों की गिरफ्तारी को अंजाम दिया। इस बीच, आरोपितों पर लूट के अलावा अपहरण, सरकारी पद का दुरुपयोग का मामला भी दर्ज कर लिया गया है। अभी तक केवल लूट का मामला दर्ज था। पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि आरोपितों को बुधवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
उत्तराखंड पुलिस के दामन को कलंकित करने वाली यह वारदात चार अप्रैल की रात को अंजाम दी गई थी। डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल ने बताया कि प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार निवासी कैनाल रोड, बल्लूपुर वारदात के दिन डब्ल्यूआइसी में अनुपम शर्मा से प्रापर्टी से संबधित रकम लेने गए थे। वहां से लौटते समय होटल मधुबन के सामने एक सफेद रंग की स्कार्पियो के चालक ने ओवरटेक कर उन्हें रोक लिया। उनके रुकते ही स्कार्पियो से दो वर्दीधारी पुलिसकर्मी उतरे।
चुनाव की चेकिंग के नाम पर उन्होंने कार की तलाशी ली और उसमें रखा बैग कब्जे में ले लिया। जब अनुरोध ने इसका कारण पूछा तो वर्दीधारियों ने बताया कि स्कार्पियो में आइजी बैठे हैं और वे वाहनों में ले जाए जा रहे कैश की चेकिंग कर रहे हैं। कैश जब्त कर सरकारी स्कार्पियो में रख दिया गया। एक पुलिसकर्मी अनुरोध के साथ उनकी कार में आइजी की कार के साथ चलने लगा। सर्वे चौक के पास अनुरोध के साथ बैठे पुलिसकर्मी ने कार रोक दी और खुद उतर गया और उन्हें धमकाकर वहां से चुपचाप चले जाने को कहा। अगले दिन अनुरोध ने दून पुलिस से संपर्क किया।
नकदी जब्त करने की बात सुन पुलिस हैरान रह गई, क्योंकि किसी भी स्तर पुलिस तक यह जानकारी नहीं पहुंची थी। तब पुलिस जांच शुरू की तो पाया कि स्कार्पियो आइजी गढ़वाल के नाम आवंटित है और उसमें बैठे दरोगा दिनेश नेगी, सिपाही हिमांशु उपाध्याय और मनोज अधिकारी ने वारदात को अंजाम दिया है। मामले में दस अप्रैल को डालनवाला कोतवाली में लूट की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते जांच एसटीएफ को सुपुर्द कर दी गई।
मंगलवार को एसटीएफ ने साजिशकर्ता अनुपम शर्मा समेत तीनों पुलिस कर्मियों को पूछताछ के लिए बुलाया था, जहां चारों को गिरफ्तार कर लिया। डीआइजी ने बताया कि मुकदमा आइपीसी की धारा 341 (किसी को गलत तरीके से रोकना), 365 (अपहरण) व 170 (सरकारी पद का दुरुपयोग) की धारा जोड़ दी है। जबकि पहले मुकदमा 392 (लूट) और 120बी (साजिश रचना) की धाराओं में दर्ज हुआ था।