विधायकों के चाटुकारों को चुनाव लड़वाने से कार्यकर्ताओं में खासी नाराज़गी !

- पार्टी के बागी प्रत्याशियों से चाटुकारों माथे पर बल!
- पार्टी में मची खलबली का अंदाजा पार्टी संगठन को भी नहीं
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : स्थानीय निकाय चुनाव में देहरादून मेयर की सीट पर विजय प्राप्त करना भाजपा की असली परीक्षा मानी जा रही है। भाजपा में जिस तरह टिकट बंटवारा हुआ । उससे भाजपा मूल के कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी देखने को मिल रही। जानकारों के अनुसार कई वार्डों में पार्टी को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। क्योंकि लम्बे समय से पार्टी का झंडा डंडा उठाने वाले कार्यकर्ताओं की दावेदारी को दरकिनार कर विधायकों ने अपने-अपने चाटुकारों को टिकट तो दिलवा दिया लेकिन कई जगह पार्टी के बागी प्रत्याशियों ने उनके माथे पर बल डाल दिया है जिससे पार्टी में खलबली मची हुई है इसका अंदाजा पार्टी संगठन को भी नहीं था।
देहरादून नगर निगम के सभी टिकट विधायकों की मर्जी से दे तो दिये लेकिन कई विधायकों के खिलाफ कार्यकर्ताओं में भारी रोष है। सबसे अधिक विरोध धर्मपुर विधानसभा और रायपुर और मसूरी विधान सभा क्षेत्रों में है। पार्टी के भीतर और बाहर चर्चा है कि पूर्व मेयर और वर्तमान विधायक चमोली ने जिस तरह से केदारपुर मोथरोंवाला दीपनगर सेंवला व अन्य वार्डों में अपनी मनमानी की और केदारपुर से पार्टी संघ से जुड़े और पार्टी के पुराने कार्यकर्ता,पत्रकार,राज्य आन्दोलनकारी रहे गिरिराज उनियाल का टिकट काट कर 74 साल के मोथरोवाला के बुजुर्ग दर्शन लाल बिंजोला को सामान्य सीट पर और दीपनगर से डीएवी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष महेश जगुड़ी की जगह ओबीसी के नवीन क्षेत्री जो विधायक के करीबी बताये जा रहे हैं और जो अभी कुछ समय पहले ही ”आप पार्टी” से भाजपा में आये को टिकट दिया गया, के खिलाफ पार्टी के कार्यकर्ताओं में रोष का सबब बना हुआ है। वहीं दीपनगर मे पिछले चुनाव में पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके दिनेश सती ,सेवला में पुराने कार्यकर्ता दिनेश चौहान का टिकट काटकर सामान्य सीट पर महिला को टिकट दे दिया जाना भी पार्टी के लिए मुसीबत बन गया है।
धर्मपुर विधानसभा में अधिकांश वार्डों पर टिकट वितरण को लेकर कार्यकर्ताओं के निशाने पर विधायक विनोद चमोली बताये जा रहे हैं। कई वार्डों में कार्यकर्ता बागी होकर निर्दलीय चुनाव में कूद गये। वहीं विधायक चमोली एक न्यूज चैनल में अपनी पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवार गामा को कांग्रेस के उम्मीदवार से कमजोर कहने के मामले में भाजपा के निशाने पर हैं ।चर्चा यह भी है कि सुनील उनियाल गामा को टिकट मिलने से वे नाराज हैं ।
यही हाल रायपुर विधान सभा के विधायक उमेश शर्मा काऊ का भी बताया जा रहा है जिन्होंने टिकट बंटवारे में अपनी मनमानी की पार्षदों खासकर सीएम के करीबियो का टिकट काटकर अपने चेलों को देकर ये साफ कर दिया कि संगठन उनकी मुट्ठी में है। नीरु भटट, बीना उनियाल, वर्षा बडोनी जो निवर्तमान पार्षद हैं का टिकट कटने से कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी है। बीना उनियाल और वर्षा बडोनी के अलावा कई वार्डों में भाजपा कार्यकर्ता बागी होकर निर्दलीय चुनावी मैदान में कूद गये। पार्टी कुछ विधायकों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में हैं। चर्चा यह भी है कि कुछ विधायक निकाय चुनाव के बहाने मुख्यमंत्री को ही घेरना चाहती है अब देखना है कि संगठन और सरकार अपने दम पर ऐसे बागियों से किस तरह निबटती है ।