नारे-जुमलों से खत्म नहीं होगा भ्रष्टाचार : संजीव चतुर्वेदी
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- अधिकारी जनता के नौकर हैं पर समझने लगे हैं खुद को शासक
देहरादून : रमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित आइएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार पर जमकर बरसते हुए कहा कि नारे और जुमलेबाजी से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा। जब तक ईमानदार को निर्भयता का इनाम और भ्रष्टाचारी को दंड मिलना सुनिश्चित नहीं होगा, तब तक भ्रष्टाचार का खात्मा नहीं हो सकता। अगर ईमानदार का उत्पीड़न हुआ तो फिर कौन ईमानदारी दिखाएगा। उन्होंने खुद का ही उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली और हरियाणा में भ्रष्टाचार के मामले उजागर करने पर उनके साथ क्या हुआ यह सबके सामने है। उन्होंने कहा हरियाणा से उत्तराखंड कैडर में आने के लिए भी जमकर संघर्ष करना पड़ा था।
वन विभाग की ओर से सिविल सेवा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि देश में किसी भी प्रकार के संसाधनों की कमी नहीं है। लेकिन, हम भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और कुशासन में आगे बढ़ रहे हैं और ह्यूमन डेवलेपमेंट के मामले में श्रीलंका और भूटान से भी पीछे हैं।
कार्यक्रम में बतौर मुख्यअतिथि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि जिस काम से समाज को नुकसान पहुंचता है, वह साफतौर पर भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा सरकार की नीति स्पष्ट है, भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा और जो भी पकड़ में आएगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा ऐसा कोई नहीं है, जो न जानता हो कि कैसे व्यवस्था सुधरेगी और कैसे सुशासन आएगा। उन्होंने कहा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए अलग से सतर्कता टीम गठित कर रहे हैं। वहीँ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने विश्व पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य में अधिकारियों को प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने की प्रतिज्ञा भी दिलाई।
वहीँ प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने साफगोई से कहा कि अधिकारी जनता के नौकर हैं, लेकिन खुद को शासक समझते हैं। उन्होंने कहा कोई भी अधिकारी एक बार आम आदमी बनकर कोई काम कराने सरकारी महकमे में जाएं तो सही स्थिति का पता चल जाएगा। उन्होंने कहा आम आदमी का काम होना तो बहुत दूर की बात है, अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक कोई भी उससे ठीक से बात तक नहीं करता। जबकि ये सब जनता के पैसे से ही हम तनख्वाह पाते हैं, लेकिन जनता की ही नहीं सुनते। उन्होंने कहा इस परिपाटी को बदलना होगा और जनता में अधिकारियों को विश्वास जगाना होगा कि वे उनकी सेवा के लिए ही तैनात किये गए हैं।