इंडियन पेंगोलिन की संख्या में हो रही लगातार कमी!
रामनगर : इंडियन पेंगोलिन (सल्लू सांप) की संख्या में तेज़ी से कमी आती जा रही है धीरे धीरे इंडियन पैंगोलिन खात्मे के कगार पर है। यह केवल एशिया में ही पाई जाती है ये एक ऐसा जीव है जो चीटी और दीमक को अपना भोजन बनता है और इन्ही को खाकर जीता है।
इंडियन पैंगोलिन का शिकार उसके मांस और उसके बेशकीमती शल्क के लिए किया जाता है, पैंगोलिन का मांस और शल्क चायना में पारंपरिक दवाइयां बनाने किया जाता है। 2013 में चायना में जब एक जगह छापा मारा गया तो इंडियन पैंगोलिन का 10 हज़ार किलो मांस पकड़ा गया था, जो कम से कम एक हज़ार इंडियन पैंगोलिन को मार के प्राप्त किया गया होगा इंडियन पैंगोलिन को आम भाषा मे सल्लू सांप भी कहा जाता है।
ये फारेस्ट इको सिस्टम के लिए काफी महत्व पूर्ण है ये पेड़ो को सुवस्थ रखने में काफी अहम भूमिका अदा करता है पेड़ो पर लगी दीमक साफ करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहता है इंडियन पैंगोलिन की ओर सरकार ध्यान नही दे रही है क्योकि इसका सरकारों की नज़र में ख़ास महत्व नहीं है जितना कि टाइगर या दूसरे अन्य जीव जन्तुओ का है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक इंडियन पैंगोलिन की कीमत लाखों में है इस लिए भी भारत मे इसका बहुत शिकार होता है मगर अधिक ध्यान न दिए जाने के कारण इसकी संख्या इतनी तेजी से गिर रही है कि अगके कुछ सालों या महीनों में ये विलुप्तप्रायः हो जायँगे।
फिलहाल इस जानवर को लेकर कॉर्बेट पार्क के अधिकारियो की नींद ज़रूर खुली है ओर वो अब इस ओर ध्यान देने की कर रहे है और एक गस्ती दल बनाके जल्द इनकी संख्या का अनुमान लगाने और इनकी सुरक्षा के लिए प्रोग्राम तैयार करने की बात कह रहे हैं, मगर जब तक केंद्र और राज्य सरकार इस ओर ध्यान नही देती ऐसे जीवो का बचना मुश्किल है, क्योकि वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट में इन जीवों को लेकर बदलाव की ज़रूरत भी अब महसूस की जा रही है और इनकी सुरक्षा के लिए टाइगर प्रोजेक्ट जैसे कोई प्रोजेक्ट चलाए जाने की आवश्यक्ता है नहीं तो जल्द ऐसे छोटे और दुर्लभ जीव हमे जंगलो में नही बल्कि किताबो में ही देखने को मिलेंगे।