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प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष के सिर हार ठीकरा फोड़ने की तैयारी में कांग्रेस नेता ! 

  • गुटबाज़ी के हुई हार पर पार्टी के भीतर बदल रहे बोल
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। लोकसभा चुनाव में मिली अप्रत्याशित और भारी हार के बाद और उत्तराखण्ड में सूपड़ा साफ होने के बाद भी कांग्रेस में अंर्तकलह जारी है। हरीश रावत उत्तराखण्ड में कांग्रेस की शर्मनाक हार को प्रदेश संगठन और नेता प्रतिपक्ष को बता रहे हैं। जिससे पार्टी में अंदरूनी घमासान छिड़ गया है।
वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अपनी प्रदेश कार्यकारणी को अब तक विस्तार नहीं दे पाए थे। राजनीतिक गलियारों में जिसका प्रमुख कारण कांग्रेस के जारी गुटबाजी माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले प्रीतम सिंह ने प्रदेश कार्यकारणी के नए सिरे से विस्तार के लिए रणनीति बना ली थी।
बताया जा रहा है कि प्रदेश कार्यकारणी सदस्यों और पदाधिकारियों की तैयार कर ली गयी थी। जिससे चुनाव के बाद घोषित किया जाना था। चुनाव बाद प्रदेश में हुई करारी हार के बाद कांग्रेस प्रदेश कार्यकारणी का नए सिरे से विस्तर अधर में लटकता नजर आ रहा है। क्योंकि हार के बाद हरीश रावत गुट ने हार का सारा ठीकरा प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व प्रदेश की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेयश के सिर फोड़ना शुरू कर दिया है। हार के बाद पार्टी के भीतर घमासान शुरू हो चुका है। अब हरीश रावत गुट पार्टी आलाकमान के सामने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को बदलने की मांग करने का मन बना रहे है।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार कुछ दिनों बाद राजनीतिक हालात सामान्य होने के बाद कांग्रेस के आठ विधायक प्रदेश की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेयश को बदलने की मांग आलाकमान से करने वाले हैं । हरीश रावत के करीबी विधायकों व पार्टी के कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों का मानना है कि प्रदेश की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेयश सदन के भीतर और बाहर भाजपा की त्रिवेन्द्र सरकार को घेरने में असफल साबित हुई हैं।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इंदिरा के नेता प्रतिपक्ष रहते हुए कांग्रेस प्रदेश सरकार के सामने पूरी तरह से नतमस्तक नजर आ रही है। जिस वजह से चुनाव में भी त्रिवेन्द्र सरकार की विफलताओं को भुनाया नहीं  जा सका है। साथ ही हरीश गुट का यह भी आरोप है कि जब से प्रदेश अध्यक्ष अध्यक्ष पद पर प्रीतम सिंह काबिज हुए है तब से प्रदेश संगठन की गतिविधियां न के बराबर हो गयी थी। कांग्रेस का प्रदेश संगठन भी भाजपा की प्रदेश व केन्द्र सरकार को किसी भी मुद्दे पर प्रभावी तरीके से घेरने में असफल रहा। जिससे उत्तराखण्ड में कांग्रेस लगातार हाशिए पर जा रही है। 

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