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मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को IMPCL मोहान अल्मोड़ा में विनिवेश प्रक्रिया को तत्काल रोकने को लिखा पत्र

परम्परागत शास्त्रीय विधि से दवा निर्माण का भविष्य है IMPCL 

हजारों परिवारों को रोजगार देने का कार्य कर रही है IMPCL 

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

विनिवेश प्रक्रिया रोकने से हजारों संख्या में किसानों, मौनपालकों, जड़ी-बूटी उत्पादकों, गौपालकों एवं मिट्टी का कार्य करने वाले कारीगरों के परिवारों का रोजगार समाप्त होने से बच सकेगा और परम्परागत शास्त्रीय विधि से दवा निर्माण का भविष्य भी सुरक्षित रहेगा। : मुख्यमंत्री 

देहरादून : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्रीय आयुष मंत्री श्री श्रीपद नायक को पत्र लिखकर उत्तराखण्ड राज्य के जनपद अल्मोड़ा में स्थित मिनी रत्न कम्पनी इण्डियन मैडिसिन्स फार्मास्युटिकल्स कारपोरेशन लि. ( IMPCL) में प्रारम्भ विनिवेश प्रक्रिया को तत्काल रोकने हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित करने का अनुरोध किया है।

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि इण्डियन मैडिसिन्स फार्मास्युटिकल्स कारपोरेशन लि. (IMPCL) मोहान अल्मोड़ा के पर्वतीय क्षेत्र में स्थापित भारत सरकार का उद्यम है। उक्त उद्यम में लगभग 500 से अधिक कार्मिक प्रत्यक्ष तथा लगभग 5000 व्यक्ति अप्रत्यक्ष रूप से जुड़कर जीविकोपार्जन कर रहे हैं। उक्त उद्यम लगातार लाभ अर्जित कर मिनी रत्न कम्पनी के रूप में अपना स्थान प्राप्त कर चुका है।    

IMPCL मोहान अल्मोड़ा पूर्णतः शास्त्रीय पद्धति पर आधारित दवा निर्माण कम्पनी के रूप में कार्य करते हुए स्थानीय स्तर से जड़ी-बूटी, गौमूत्र, कण्डे, मिट्टी के बर्तन, शहद आदि खरीद कर जहाँ एक ओर हजारों परिवारों को रोजगार प्रदान करने का कार्य कर रही है वहीं शास्त्रीय पद्धति में दवा निर्माण हेतु लोगों को पशुपालन मुख्यतः गौपालन, मौनपालन तथा जड़ी-बूटी उत्पादन हेतु भी प्रोत्साहित करती है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि संज्ञान में आया है कि वर्तमान में  IMPCL के विनिवेश की प्रक्रिया प्रारम्भ की जा रही है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से उक्त उद्यम के  विनिवेश प्रक्रिया को तत्काल रोकने हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित करने अनुरोध किया। इससे हजारों संख्या में किसानों, मौनपालकों, जड़ी-बूटी उत्पादकों, गौपालकों एवं मिट्टी का कार्य करने वाले कारीगरों के परिवारों का रोजगार समाप्त होने से बच सकेगा और परम्परागत शास्त्रीय विधि से दवा निर्माण का भविष्य भी सुरक्षित रहेगा।

गौरतलब हो कि कुछ समय पहले आयुष मंत्रालय के अधीन आईएमपीसीएल आयुर्वेदिक और यूनानी औषधियां बनाने वाले संस्थान में विनिवेश को लेकर चर्चाओं में है। इसमें सरकार की 98.11 प्रतिशत हिस्सेदारी है और शेष 1.89 प्रतिशत हिस्सेदारी उत्तराखंड सरकार के एक लोक उपक्रम की है। चर्चा है कि केंद्र सरकार ने अनुरोध प्रस्ताव आमंत्रित करते हुए कहा, भारत सरकार आईएमपीसीएल में दो स्तरीय नीलामी प्रक्रिया में अपनी शत प्रतिशत हिस्सेदारी का रणनीतिक विनिवेश करने पर विचार कर रही है। आयुष मंत्रालय को कंपनी की संपत्ति का मूल्यांकन करने के लिये मूल्यांकनकर्ता की जरूरत है।इसके बाद से यहाँ कार्यरत कर्मचारियों में अपने भविष्य को लेकर भय व्याप्त है। 

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