कृषि क्षेत्र में 85 – 89 प्रतिशत जल का इस्तेमाल होता है देश में
पेयजल और घरेलू उद्देश्यों में सिर्फ 5 प्रतिशत पानी का ही इस्तेमाल
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव यूपी सिंह ने वर्षा जल संग्रहण अभियान के विकेन्द्रीयकरण का आह्वान किया। उन्होंने ‘‘हर काम देश के नाम’’ पहल के तहत राष्ट्रीय जल मिशन (एनडब्ल्यूएम) के ‘‘कैच द रेनः जल संरक्षण के लिए वर्षा जल संग्रहण और कृत्रिम रिचार्ज ढांचों’’ पर कार्यशाला में कहा कि यह बारिश के पानी को उसी जगह जमा करने की योजना है, जहां वह गिरती है, चाहे वह छत, हवाई अड्डा और उद्योग परिसर कोई भी जगह हो। उन्होंने कहा कि जिस तरह ‘‘प्रदूषण का समाधान उसे कम करना है’’ उसी तरह जल संरक्षण के लिए ‘‘बारिश को जमा करो, जहां वह गिरती है’’ का मंत्र कारगर होगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले मन की बात कार्यक्रम को इस विषय के लिए समर्पित किया था। इससे जल संरक्षण के लिए सरकार की प्राथमिकता का पता चलता है। भूमिगत जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए सिंह ने कहा कि देश के पांच बड़े बांध लगभग 250 अरब घन मीटर (बीसीएम) जल का संग्रह करते हैं, वहीं भूमिगत जलवाहिकाओं में लगभग 400 बीसीएम जल जमा है।
उन्होंने कहा कि देश में 1000 मिलीमीटर बारिश होती है, हालांकि इसका वितरण सीमित है, क्योंकि बारिश के सिर्फ 8 प्रतिशत पानी का ही इस्तेमाल हो पाता है और बाकी बेकार चला जाता है। जल संसाधनों के प्रबंधन पर जोर देते हुए सिंह ने कहा कि अगर हम कृषि में जल की खपत में 10 प्रतिशत की बचत करने में कामयाब हो जाते हैं तो यह देश के लिए खासा अहम होगा, क्योंकि देश में 85 – 89 प्रतिशत जल का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में ही होता है।
इसके अलावा पेयजल और घरेलू उद्देश्यों के लिए सिर्फ 5 प्रतिशत पानी का ही इस्तेमाल होता है। जल स्रोतों के पुनरुद्धार के वास्ते जनांदोलन का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि अभी तक मनरेगा संसाधनों और सीएसआर कोष के माध्यम से 500 से ज्या.दा पारम्परिक जल स्रोतों को संरक्षित किया जा चुका है। एनडब्ल्यूएन में अपर सचिव और मिशन निदेशक जी अशोक कुमार ने कहा कि मानसून से पहले वर्षा जल संग्रहण ढांचों को तैयार करने के वास्ते राज्यों और हितधारकों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘‘कैच द रेन’’ अभियान शुरू किया गया है।