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गैरसैंण राजधानी के समर्थन में निकला कैंडल मार्च

  • मार्च में सैकड़ों की संख्या में शामिल हुए प्रदर्शनकारी
  • राजधानी गैरसैंण बनाये जाने को तेज करेंगे आंदोलन : महिला मंच 

देहरादून : गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाए जाने की मांग दिनो दिन जोर पकड़ती जा रही है। इस मांग को लेकर प्रदेशभर में हो रहे प्रदर्शनो के बीच अस्थाई राजधानी देहरादून में शनिवार को कैंडल मार्च निकाला गया। ‘गैरसैंण राजधानी अभियान’ के तत्त्वावधान में सायं 5 बजे देहरादून के गांधी पार्क से जनगीतों के साथ शुरू  हुआ कैंडल मार्च घंटाघर स्थित ‘उत्तराखंड के गांधी’ इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमास्थल पर पहुंच कर समाप्त हुआ। मार्च में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए. मार्च में शामिल लोगों में युवाओं की सबसे ज्यादा भागीदारी रही।

मार्च में राज्य आंदोलनकारियों, सामाजिक संगठनों, महिला संगठनों और पूर्व सैनिकों की भी अच्छी-खासी मौजूदगी रही। सभी ने एकमत से गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने के लिए प्रदेशस्तर पर आंदोलन छेड़ने का प्रण लिया।  मार्च के माध्यम से गैरसैंण राजधानी अभियान ने सरकार से मांग की कि पहाड़ी राज्य की अवधारणा के प्रतीक गैरसैंण को राज्य की राजधानी घोषित किया जाए। गैरसैंण राजधानी अभियान ने सरकार से मांग की है कि, प्रदेश में वर्तमान में प्रचंड बहुमत की सरकार है और केंद्र में भी समान दल सत्ता में है, ऐसे में डबल इंजन वाली सरकार के पास स्थाई राजधानी घोषित न करने की कोई वजह नहीं होनी चाहिए और यदि सरकार अभी भी स्थाई राजधानी के सवाल को हल नहीं करती तो जल्द ही प्रदेशभर में आंदोलन छेड़ा जाएगा।

वहीँ उत्तराखंड महिला मंच की जिला संयोजक निर्मला बिष्ट ने कहा है कि प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण को बनाये जाने की मांग को लेकर संघर्ष को तेज किया जायेगा और इसके लिए महिलाओं को एकजुट करने का काम किया जायेगा।

कचहरी स्थित शहीद स्थल में पत्रकारों से बातचती करते हुए निर्मला बिष्ट ने कहा है कि मंच गैरसैंण स्थाई राजधानी के लिए युवा शक्ति के हर प्रयास को समर्थन व सहयोग देगा और युवा शक्ति की एकजुटता के लिए भी प्रयास करेगा। उनका कहना है कि राज्य में भाजपा कांग्रेस की निहित स्वार्थी भ्रष्ट राजनीति को ध्वस्त कर उत्तराखंड की बेहतरी व जन मुददो को लेकर राज्य में एक समर्पित नेतृत्वकारी शक्ति के रूप में आगे बढ सके। उनका कहना है कि गैरसैंण स्थाई राजधानी आंदोलन एवं मुजफ्फरनगर कांड के अपराधियों को सजा दिलाये जाने की मांग को मजबूत देने का काम यिका जायेगा और गैरसैंण स्थाई राजधानी महिला संघर्ष मोर्चा का गठन किया जायेगा। उनका कहना है कि इसके लिए ऊषा भटट एवं निर्मला बिष्ट को अधिकृत करते हुए जिम्मेदारी दी गई है।

उनका कहना है कि मंच उत्तराखंड में भाजपा सरकार के द्वारा जिस प्रकार से शासनादेश जारी कर रहा है वह जन विरोधी है और राज्य में प्रेस को नियंत्रित करने का कुत्सित प्रयास किया गया है जिसके लिए जनांदोलन चलाया जायेगा। उनका कहना है कि सरकार प्रेस की आजादी पर हमला करने का प्रयास कर रही है जिसे किसी भी दशा में सहन नहीं किया जायेगा। इस अवसर पर वार्ता में शकुन्तला गुसांई, पदमा गुप्ता आदि मौजूद थे।

  • आंदोलनकारियों का सरकार के खिलाफ क्रमिक अनशन जारी

देहरादून । उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी मंच ने अपनी सात सूत्रीय मांगों के समाधान के लिए अपने आंदोलन को जारी रखते हुए प्रदेश सरकार को के खिलाफ प्रदर्शन कर धरना दिया। वहीं आंदोलनकारी क्रमिक अनशन पर बैठे रहे लोगों ने कहा कि अब सरकार के खिलाफ आर पार का आंदोलन चलाया जायेगा।

उनका कहना है कि आज आंदोलन करते हुए 196 दिन हो गये हंै। यहां मंच से जुडे हुए आंदोलनकारी कचहरी स्थित शहीद स्थल में अध्यक्ष नंदाबल्लभ पांडेय के नेतृत्व में इकटठा हुए और वहां पर उन्होंने अपनी सात सूत्रीय मांगों के समाधान के लिए प्रदर्शन करते हुए धरना दिया और अपने क्रमिक अनशन को जारी रखा।

क्रमिक अनशन में कुसुम देवी, दर्शनी देवी, विमला देवी बरमोली, इंदु आहूजा, रेखा बिष्ट, बीना, सुशीला नेगी, कृष्णा रावत, कुसुम रावत, अनिता नेगी, विमला देवी, जगदेश्वरी अंथवाल, पिंकी, शकुन्तला रावत, सुमति पंुडीर, सरस्वती बडोनी, ममता नेगी, दीपा नेगी, शांति बुरोला, जानकी देवी आदि आंदोलनकारी बैठे। आंदोलनकारियों ने कहा है कि सरकार आंदोलनकारियों के हितों के प्रति गंभीर नहीं दिखाई दे रही है जिसके लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। वहीं वह सरकार की जन विरोधी नीतियों से नाराज दिखाई दे रहे है। अभी तक 10 प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण नहीं मिल पाया है जो चिंता का विषय है।

वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी का दर्जा आंदोलनकारियों को शीघ्र ही प्रदान किया जाना चाहिए और सेनानियों के आश्रितों को रोजगार में समायोजित किये जाने तथा समीवर्ती जिलों से पलायन पर पूर्ण रूप से रोक लगाये जाने और आंदोलनकारियों को दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को शीघ्र ही प्रदान किया जाना चाहिए। कहा कि समूचे उत्तराखंड को आरक्षित किया जाये और मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहे के दोषियों को फांसी दिये जाने की मांग की गई है लेकिन अभी तक इस ओर किसी भी प्रकार की कोई नीति तैयार नहीं की गई है।

धरने में विनोद असवाल, प्रेम सिंह नेगी, सरोज थपलियाल, एम एस भंडारी, विरेन्द्र कुकशाल, पुष्पा राणा, सुधा रावत, संध्या रावत, रेखा पंवार, विमला रावत, जगदम्बा नैथानी, विमला पंवार, नीमा हरबोला, कांति काला, तारा पांडेय, राम प्यारी, आरती ध्यानी, सैमर सिंह नेगी, सुशीला भटट, विश्म्बरी रावत, पुष्पा रावत, हिमानंद बहुखंडी, सुनील जुयाल, सत्येन्द्र नौगांई, वीर सिंह, एम एस रावत, जानकी भंडारी, मनोहरी रावत, प्रभा वोरा, कमला थापा, फूला रावत, जयंती पटवाल, राधा तिवारी, पुष्पा नेगी, बना रावत, कीर्ति रावत, गोदाम्बरी भटट, प्रभात डंडरियाल सहित अनेक आंदोलनकारी मौजूद थे।

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