Uttarakhand

मंत्रिमंडल ने वर्ष 2017-18 के लिए 40 हजार करोड़ के करमुक्त बजट पर लगाई मुहर

सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने वर्ष 2017-18 के करमुक्त व शून्य घाटे के वार्षिक बजट आकार पर भी मुहर लगाया। बजट आकार करीब 40 हजार करोड़ रखा गया है।

देहरादून : युवा उद्यमियों के लिए उत्तराखंड पसंदीदा जगह बनेगा। उद्यमों की स्थापना में युवाओं को मदद देने के लिए प्रदेशभर में दो लाख वर्गफुट क्षेत्र में इन्क्यूबेशन क्षेत्र विकसित किया जाएगा। ये क्षेत्र विश्वविद्यालयों, आइआइएम समेत विभिन्न संस्थानों में विकसित किए जाएंगे। राज्य मंत्रिमंडल ने स्टार्ट अप नीति-2017 के मसौदे को मंजूरी दी। इस नीति में न्यूनतम 500 करोड़ पूंजी निवेश का लक्ष्य रखा गया है। मंत्रिमंडल ने वर्ष 2017-18 के करमुक्त व शून्य घाटे के वार्षिक बजट आकार पर भी मुहर लगाया। बजट आकार करीब 40 हजार करोड़ रखा गया है।

इसके अतिरिक्त रिवर राफ्टिंग को मनोरंजन कर से मुक्त करने के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पेंशन को 11 हजार से बढ़ाकर 21 हजार करने को भी कैबिनेट ने मंजूरी दी है। कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले भी कैबिनेट बैठक में लिए गए।यह तय किया गया है कि अब नंदा गौरा योजना नाम से एक योजना चलाई जाएगी। पहले इस योजना का लाभ 1700 रुपये मासिक आय वाले परिवारों की बालिकाओं को मिलता था, मगर अब ग्रामीण क्षेत्र में 36 हजार और नगरीय क्षेत्र में 42 हजार रुपये वार्षिक आय पर योजना का लाभ दिया जाएगा।

योजना का लाभ देने की प्रक्रिया को भी बदला गया है। इसके तहत बालिका जन्म लेने के बाद तीन महीने की हो जाएगी तो पांच हजार रुपये, एक साल की होगी तो पांच हजार रुपये दिए जाएंगे।

सचिवालय में गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के सालाना बजट को मंजूरी देने के साथ ही कई अहम फैसले लिए गए। विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी होने की वजह से मंत्रिमंडल के फैसलों की ब्रीफिंग नहीं की गई। सूत्रों के मुताबिक इस बार इको-फ्रेंडली ई-बजट पेश होगा। बजट की सॉफ्ट कॉपी वितरित की जाएगी। बजट आकार करीब 40 हजार करोड़ रखा गया है। इसमें 16048.71 करोड़ का लेखानुदान भी शामिल है। वहीं केंद्र के साथ कदमताल करते हुए राज्य सरकार ने स्टार्ट अप नीति को स्वीकृति दी।

इस नीति में राज्य ने स्टार्ट अप के लिए केंद्र की गाइडलाइन को स्वीकार किया है। इसमें केंद्र की योजनाओं को राज्य की योजनाओं के साथ क्लिप किया गया है। नीति के दायरे में 30 महकमे शामिल किए गए हैं। यह नीति प्रदेश में सात वर्षों तक प्रभावी रहेगी। नीति के तहत राज्यस्तरीय उद्यमिता पैनल की स्थापना की जाएगी। नए उद्यमियों के चयन और प्रोत्साहन को 14 सदस्यीय नवोन्मेष परिषद गठित की गई है। इसके अध्यक्ष ख्यातिप्राप्त सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ होंगे। इसमें प्रमुख सचिव मध्यम एवं लघु उद्योग, सचिव वित्त बतौर सदस्य शामिल रहेंगे। उद्योग निदेशक इसके सदस्य सचिव होंगे।

लाई जाएगी स्टार्ट अप पॉलिसी 

स्टार्ट अप नीति के तहत नए उद्यमियों को उद्योगों की स्थापना में पेश आने वाली अड़चनें दूर करने, जरूरी जानकारी मुहैया कराने के लिए हाईस्पीड इंटरनेट सुविधायुक्त इनक्यूबेटर क्षेत्र विकसित होंगे। इन्हें राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षण संस्थानों में भी स्थापित किया जाएगा। इस नीति के जरिए राज्य में सेवा क्षेत्र, पर्यटन, आतिथ्य, कृषि आधारित क्षेत्र, औद्यानिकी-पुष्पोत्पादन समेत राज्य सरकार के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में उद्यमियों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा।

​इसके अलावा आठवीं और फिर दसवीं कक्षा में जाने पर एक-एक किस्त दी जाएगी। इस प्रकार 51 हजार रुपये की कुल सात किस्तें बालिका को प्रदान की जाएंगी। सातवीं किस्त सोलह हजार की होगी, जो उसे विवाह पर प्रदान की जाएगी। यह भी तय किया गया है कि चेक या ड्राफ्ट के बजाय सीधे ई-पेमेंट होगी।

लाभार्थियों का चयन करने के लिए संबंधित जिले के सीडीओ की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें जिला कार्यक्रम अधिकारी और लीड बैंक का कार्यक्रम अधिकारी उपाध्यक्ष होगा। लीड बैंक का एक प्रतिनिधि और बाल विकास परियोजना अधिकारी सदस्य होंगे।

एक अन्य फैसले में वर्ष 1975-1977 में इमरजेंसी के दौरान मीसा के अंतर्गत राज्य की जेलों में बंदी बनाए गए राज्य के मूल निवासियों को 16 हजार रुपये पेंशन दिए जाने का फैसला हुआ है। अन्य भाजपा शासित राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड में हुए इस फैसले का लाभ 22 बंदियों को मिलेगा।

इसी क्रम में यह भी तय हुआ है कि केंद्र की तर्ज पर राज्य में भी स्टार्ट अप पॉलिसी लाई जाएगी। यह योजना सात साल के लिए होगी। इसमें राज्य सरकार ने लगभग तीस विभागों को चिह्नित किया है, जिनमें बागवानी, उद्यानिकी, टूरिज्म, फूड प्रोसेसिंग आदि प्रमुख हैं। 

उद्यमिता को बढ़ावा देने के मकसद से लाई जाने वाली इस योजना के लिए दो लाख वर्ग फिट का इनक्यूबेशन सेंटर बनाया जाएगा। औद्योगिक घरानों को आकर्षिक कराकर पांच सौ करोड़ रुपये के पूंजी निवेश से इसे आरंभ किया जाएगा।

साथ ही केंद्र की योजनाओं से इसे लिंक भी किया जाएगा। इसकी देखरेख के लिए राज्य स्तरीय उद्यमिता पैनल की स्थापना होगी और एक इनवोशन परिषद का भी गठन होगा, जिसमें प्रमुख सचिव एमएसएमई की अध्यक्षता में निदेशक उद्योग को सदस्य बनाया जाएगा।

इस परिषद में कुल 14 सदस्य होंगे। कैबिनेट ने गन्ना किसानों के लिए वर्ष 15-16 के बकाया 44.53 करोड़ के भुगतान का भी निर्णय लिया है। 

अन्य प्रमुख फैसले :-
– गौरा देवी और नंदा देवी कन्याधन योजनाओं का मर्जर करके अब नंदा गौरा योजना नाम से एक योजना चलाई जाएगी।
– वर्ष 1975-1977 के दौरान मीसा के अंतर्गत राज्य की जेलों में बंदी बनाए गए राज्य के मूल निवासियों को मिलेगी पेंशन।
– केंद्र की तर्ज पर राज्य में भी स्टार्ट-अप पॉलिसी लाई जाएगी। सात साल की योजना के लिए तीस विभाग किए गए चिन्हित।
– गन्ना किसानों के लिए वर्ष 15-16 के बकाया 44.53 करोड़ के भुगतान संबंधी प्रस्ताव भी कैबिनेट से हुआ मंजूर।

devbhoomimedia

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