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देहरादून में 400 करोड़ की संपत्ति पर चला बुलडोजर, अफगानिस्तान के राजा से था संबंध

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देहरादून। काबुल हाउस पर जिला प्रशासन ने 40 वर्षों की जिद्दोजहद के बाद आखिरकार अपना कब्जा जमा लिया है। शनिवार को प्रशासन की मशीनरी ने यहां अवैध रूप से बनाए गए 15 भवनों को ध्वस्त कर दिया। ताकि यहां की संपत्ति पर दोबारा कब्जा न किया जा सके।

देहरादून की काबुल हाउस प्रॉपर्टी पर आखिरकार प्रशासन ने खाली करवाने की कार्रवाई शुरू की। काबुल हाउस प्रॉपर्टी पर प्रशासन ने अतिक्रमण मुक्त करा लिया गया है। लंबे समय से विवादों में रही देहरादून की काबुल हाउस प्रॉपर्टी पर आखिरकार प्रशासन ने अतिक्रमण मुक्त करा लिया गया है। Kabul House Eviction in Dehradun इस पर धामी सरकार का बुलडोजर चला। सरकार अब खाली जमीन का इस्तेमाल जनहित में करेगी। काबुल हाऊस संपत्ति की कीमत करीब 400 करोड़ रुपए बताई जा रही है।

बताया जा रहा है कि काबुल हाउस आखिरकार 40 साल बाद भू माफिया के चंगुल से मुक्त होने के बाद अब अतिक्रमण हटाए जाने की कारवाई भी शुरू हो गई। इसकों खाली कराने के लिए प्रशासन की ओर से लगभग 300 लोगों को उनके घरों से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।

देहारदून जिलाधिकारी सोनिका की कोर्ट ने 17 अक्टूबर को काबुल हाउस को 15 दिनों के अंदर खाली करने का आदेश दिया था। तब तय समय पर खाली नहीं करने पर प्रशासन ने दो नवंबर को भारी पुलिस बल के साथ जबरन काबुल हाउस के भवन खाली करा लिए थे।

देहरादून जिलाधिकारी सोनिका ने बताया कि काबुल हाउस पर अब सरकार ने पूर्ण स्वामित्व प्राप्त कर लिया है। इस जगह का इस्तेमाल अब सरकार जनहित में करेगी। सरकार तय करेगी की इस प्रॉपर्टी का क्या किया जाएगा क्योंकि अब ये संपत्ति उत्तराखंड सरकार की है। काबुल हाउस मामला भूमाफियाओं ने 40 साल तक लटका कर रखा था। उन्होंने इस पूरे प्रकरण में फर्जी दस्तावेज बनाकर जमीन पर मालिकाना हक लेने की साजिश की लेकिन सरकार ने उनके मंसूबे नाकामयाब कर दिए।

बता दें कि इस ऐतिहासिक काबुल हाउस को साल 1879 में अफगानिस्तान के राजा रहे मोहम्मद याकूब खान ने बनाया था। याकूब खान 1879 से 1923 में अपनी मृत्यु तक यहां रहे थे। फिर उनके वंशज भारत पाक बंटवारे के दौरान पाकिस्तान चले गए थे। जिसके बाद से ही काबुल हाउस के कई लोगों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपना होने का भी दावा किया था। लंबे समय से काबुल हाउस में 16 परिवार रह रहे थे।

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