‘रिश्वतखोर’ डीएफओ तीन रूपये टीन मांग रहा कमीशन !

- राज्य का पहला अधिकारी जो अपनी ही प्रोन्नति के खिलाफ लाया स्टे
देहरादून। सरकार भले ही के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस कि बात कर रही है। लेकिन अधिकारी सरकार के फरमान से इतने बेख़ौफ़ नज़र आ रहे हैं कि खुले आम रिश्वत की मांग तक करने लगे हैं। ताज़ा मामला चम्पावत के डीएफओ अशोक कुमार गुप्ता का है जिनका ऑडियो टेप सार्वजनिक ही नहीं हुआ बल्कि सोशल मीडिया में भी तैर रहा है।
ऑडियो में डीएफओ लीसा कम्पनी के मालिक से भुगतान की बात के साथ-साथ रिश्वत की मांग भी करता सुनायी दे रहा है। सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि बरेली निवासी इस लीसा फैक्ट्री मालिक ने एक माह पूर्व मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा था कि डीएफओ उनसे भुगतान के नाम पर रिश्वत कि मांग कर रहा है।
वायरल हुए ऑडियो टेप के अनुसार डीएफओ अशोक कुमार गुप्ता लीसा टीन के सप्लायर से प्रतिटिन तीन रूपये के हिसाब से कमीशन मांग रहे है, जोकि लाखों रुपए बैठता है। सूबे के वन विभाग में सीधे तौर पर रिश्वत मांगे जाने की इस घटना की राजधानी से लेकर हल्द्वानी तक खासी चर्चा है।
सोशल मीडिया पर चल रहे सन्देश में कहा गया है कि अशोक कुमार गुप्ता यह वह डीएफओ है जिन्होंने जुगाड़ से चंपावत वन प्रभाग में दोबारा तैनाती लेकर 5-6 साल एक ही वन प्रभाग रहने का रिकॉर्ड कायम किया है। सन्देश में कहा गया है कि इससे पहले चम्पावत आरक्षित वन क्षेत्र में बिना वन भूमि हस्तांतरण के अवैध रूप से सडक बनाये जाने पर भी गुप्ता चर्चाओं में रह चुके हैं ।
सन्देश में कहा गया है कि चम्पावत इलाके में लीसा चोरी , अवैध पेड़ों का कटान के मामले भी कथित रूप से इस चर्चित आईएफएस के तार जुड़े हुए है, ये वही डीएफओ है जो कि कमिश्नर कुमाऊं की मीटिंग में मोबाइल पर कैंडी क्रेश खेलते भी ये पकड़े गए और अखबारी सुर्खियी में आ गये थे। इतना ही नहीं सन्देश में यह भी कहा गया है कि यह उत्तराखंड के पहले अधिकारी हैं जिनका वन संरक्षक के पद पर पदोन्नति होने के बावजूद इन्होने माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल से अपने खुद के ही पदोन्नति के खिलाफ स्टे ऑर्डर लाकर डीएफओ चंपावत के पद पर बने रहने का कारनामा किये हुए है? आखिर क्या वजह है कि ये डीएफओ की कुर्सी पर कई सालों से चिपके हुए है? वजह साफ है इस कुर्सी के जरिये वो लीसा, लकड़ी के कारोबार में कथित रूप से अपना काला धंधा चला रहे है?
राजधानी के आईएफएस अधिकारियों में चर्चा यह भी है कि गुप्ता अब कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में डायरेक्टर की पोस्टिंग की जुगाड़ में लगे हुए हैं ? इस मामले की जानकारी के लिए जब डीएफओ गुप्ता का फ़ोन लगाया गया तो उनका फ़ोन नहीं लगा। वहीं डीएफओ के कारनामों पर कम्पनी के संचालक ने आरोप लगाते हुए कहा कि डीएफओ गुप्ता 2014 से उसका शोषण कर रहा है।