भाजपा सरकार चली कांग्रेस की चाल
सेवानिवृत अधिकारियों को पुनर्नियुक्ति का रास्ता आखिर किसके लिए ?
रिटायर्ड नौकरशाह बन सकेंगे आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड में जहाँ राज्य के बेरोजगारों के लिए रोज़गार की व्यवस्था नहीं है और यही बेरोजगारी राज्य से पलायन का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। लेकिन अब तक की राज्य सरकारों ने सूबे के सेवानिवृत अधिकारियों को पुनर्नियुक्ति का रास्ता खोलकर राज्य के बेरोजगारों के पेट पर लात मारने का काम किया है। इससे यह लगने लगा है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की राह पर चलते हुए प्रदेश की भाजपा सरकार भी रिटायर्ड नौकरशाहों के पुनर्वास करने की राह पर चल पड़ी है।
सूबे की नौकरशाही के इस कदम की जानकारी या तो सरकार को नहीं है या सरकार जानबूझकर गूंगी-बहरी बने होने का नाटक कर रही है। मंगलवार को इसी क्रम में विधानसभा में एक एक संशोधन विधेयक पेश किया गया। जिससे नौकरशाह शिक्षाविदों के स्थान पर विश्वविद्यालय में कुलपति बन जाएंगे। समझा जा रहा है कि राज्य के नौकरशाहों ने किसी चहेते नौकरशाह को सेवा निवृति के बाद एडजस्ट करने के उद्देश्य से यह संशोधन प्रस्तुत किया है। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2017 के माध्यम से कुलपति चयन को समिति एवं पात्राता के संबंध मेंसंशोधन का प्रस्ताव है। इस संशोधन की मंजूरी के बाद 65 साल से कम उम्र के सेवानिवृत्त नौकरशाह भी आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति हो सकते हैं।
सरकार की ओर से मंगलवार को दो संशोधन विधेयक सदन में पेश किए गए। इनमें उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2017 एवं उत्तराखण्ड सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक 2017 को विचार के लिए विधानसभा में प्रस्तुत किया गया है। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम के माध्यम से मूल अधिनियम की धारा 11 की उपधारा 2 में संशोधन का प्रस्ताव है।
कुलपति चयन के लिए संशोधन के उपरांत सर्च कमेटी में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित हाईकोर्ट के सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश, राज्य सरकार द्वारा नामित प्रख्यात शिक्षाविद्, कुलाधिपति द्वारा नामित एक सदस्य, कार्य परिषद के सदस्यों में से राज्य सरकार द्वारा नाम निर्दिष्ट एक सदस्य, सदस्य होंगे, जबकि अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव, आयुष शिक्षा सदस्य सचिव होंगे। राज्य सरकार इन सदस्यों में से किसी एक को समिति का अध्यक्ष नियुक्त करेगी। समिति तीन से पांच ऐसे व्यक्तियों का पैनल तैयार करेगी जो आयुष शिक्षाविद् अथवा शासन के सचिव या उच्च स्तर से सेवानिवृत्त अधिकारी होंगे। कुलपति चयन के समय पैनल में शामिल व्यक्तियों की अधिकतम आयु 65 वर्ष होनी चाहिए। इस प्रकार राज्य सरकार अपनी संस्तुति कुलाधिपति को भेजेगी।