Uttarakhand

टीडीसी की बर्बादी के लिए जिम्मेदार बड़ा मगरमच्छ अब भी पकड़ से बाहर

टीडीसी के सभी घपले -घोटालों की निष्पक्ष सीबीआई जांच की उठ रही है मांग 

सेवानिवृत्ति से छह दिन पूर्व टीडीसी के मुख्य अभियंता निलंबित

पंतनगर : उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम लि. (टीडीसी) के मुख्य अभियंता को तो निलंबित कर दिया है। लेकिन टीडीसी को बर्बादी के कगार तक पहुँचाने वाले और टीडीसी में बिहारवाद का बीज बोने वाले बड़े मगरमच्छ अब भी सरकार की नाक के नीचे महत्वपूर्ण पदों पर बैठे मौज ले रहे हैं। उनकी कब और कौन जांच करेगा यह भविष्य के गर्भ में है। सूत्रों का दावा है यदि निष्पक्ष जांच हो तो शासन के केन्द्र में बैठे एक अधिकारी का हाथ भी टीडीसी को बर्बाद करने के मामले में झुलस सकता है, चर्चाएँ तो सरे आम हैं कि चौहान तो केवल एक मोहरा मात्र है जिसे निलंबित कर अन्य लोगों को बचाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। चौहान पर विभिन्न मदों पर करोड़ों का घोटाला करने का आरोप है। घोटाले में और भी अधिकारियों और कर्मचारियों के फंसने की आशंका जताई जा रही है। मुख्य अभियंता इसी माह 30 जून को सेवानिवृत होने वाले थे।

चर्चाएं तो यहाँ तक भी है कि शासन की धुरी बना एक आला अधिकारी जो टीडीसी को पिछले 12 सालों से अपनी फैक्ट्री की तरह चलता रहा है बर्बादी के लिए ख़ासा जिम्मेदार है लेकिन  ऊँची पहुँच और तिकड़मों के चलते अभी तक वह टीडीसी की जांच की आंच से दूर है जबकि टीडीसी में कंपनी सचिव की पुनर्नियुक्ति से लेकर बिहार के ठेकेदारों से साझेदारी कर टीडीसी को करोड़ों की चपत लगाने सहित कई और मामलों में यह अधिकारी लिप्त रहा है लेकिन जांच का शिकंजा केवल छोटे अधिकारियों तक ही सीमित रहा। जबकि टीडीसी के पिछले रिकॉर्ड बताते हैं कि कभी स्वर्णिम  युग में टीडीसी का जलवा हुआ करता था और विश्वसनीयता भी लेकिन शासन की नाक के नीचे बैठे एक अधिकारी ने अपने कुछ ख़ास लोगों के साथ मिलकर टीडीसी को बर्बाद करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। टीडीसी के अधिकारियों का कहना  है कि यदि टीडीसी के पूरे घपले -घोटालों की निष्पक्ष सीबीआई जांच की जाय तो दूध का दूध और पानी का पानी स्वयं ही हो जायेगा।   

यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के जनपद ऊधमसिंह नगर के पंतनगर स्थित ‘उत्तराखंड सीड्स और तराई डेवलपमेंट कारपोरेशन’ के प्रबन्ध निदेशक डॉ पुष्कर सिंह बिष्ट ने नौ सितम्बर 2016 को टीडीसी में चल रही अनियमितता के चलते अपने पद से त्याग पत्र दे दिया था तो वहीँ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी पिछली 24 अगस्त  कोतराई बीज विकास निगम को घाटे से उबारने तथा इसकी पहचान व प्रतिष्ठा को बनाये रखने के लिए सभी सम्भव प्रयास करने के निर्देश दिये थे लेकिन उनके प्रयास भी सचिवालय में बैठे एक अधिकारी के कारण सफल नहीं हो पाए थे ,और टीडीसी दिन ब दिन घाटे में चलती चली गयी।जबकि इससे पहले डॉ. रमेश पोखरियाल ”निशंक” के मुख्यमंत्रित्व काल में टीडीसी बिना नुकसान के चल रही थी और उसके आय बढ़ने की भी उम्मीद की जा रही थी।

कभी पंतनगर बीज के नाम से प्रसिद्ध टीडीसी आज बंदी के कगार पर है। टीडीसी को डुबोने में बड़े से लेकर छोटे अधिकारियों की बड़ी भूमिका रही। समय-समय पर अधिकारियों पर आरोप लगते रहे, लेकिन आज तक किसी ने जांच नहीं की। ज्योति नीरज खैरवाल ने टीडीसी के प्रबंध निदेशक का कार्यभार संभालते ही टीडीसी में हुई वित्तीय धांधली की जांच शुरू की तो एक-एक कर परतें खुलकर सामने आने लगीं। उन्होंने इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी।

प्रदेश के अपर सचिव कृषि डा. रणवीर सिंह ने टीडीसी के मुख्य अभियंता को प्रथम दृष्टया वित्तीय अनियमितताओं का दोषी पाते हुए 24 जून को निलंबन के आदेश जारी कर दिए। निलंबन के आदेश टीडीसी प्रबंधन को प्राप्त हो गए हैं। मुख्य अभियंता 30 जून को ही सेवानिवृत होने वाले थे। घोटाले में अभी निगम के चार-पांच अधिकारियों पर शीघ्र ही गाज गिरने की उम्मीद जताई जा रही है।

मुख्य अभियंता पर आरोप हैं कि उनके कार्यकाल में धनौरी एवं खटीमा संयंत्रों पर स्थापित स्प्रिंकलर सिस्टम का कोई उपयोग न होने पर 3,57,356 और 2,67,192 खर्च करने का आरोप है। इसके अलावा उन्होंने तीन ट्रैक्टर खरीद पर 11,72,652 रुपये खर्च दिखाया, जबकि आज तक इनका कोई उपयोग नहीं हुआ है। उन्होंने सब्जी विधायन संयंत्र हल्दी पर क्रय की गई सीलिंग और पैकिंग की मशीन पर 22,74000 रुपये खर्च किए, जिसका आज तक कोई उपयोग नहीं हुआ। साथ ही निगम में खरीदे गए ट्रैक्टर हैरो, कराहा, लैबलर के खरीद 22,28000 रुपये खर्च किया गया जिसका कोई औचित्य नहीं था। साथ ही मल्टीकलर ¨प्रटेड नेचुरल पॉलिस्टर लिमिटेड से एलडीपी रोल क्रय करने में 20,37000 रुपये का दुरुपयोग किया गया।

मामले में टीडीसी की प्रबंध निदेशक ज्योति नीरज खैरवाल का कहना है कि वित्तीय अनियमितताओं को लेकर जांच में दोषी पाए गए अधिकारी पर कार्रवाई की गई। अब वह निलंबित होकर सेवानिवृत्त होंगे। अधिकारियों को कोई भी अनुचित कार्य करते हुए ध्यान रखना चाहिए कि इसकी जवाबदेही भी उन्हीं की होगी।

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