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बड़ी ख़बर : चमोली में 100 वर्षीय महिला की भूख हड़ताल: सड़क निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों का विरोध जारी

चमोली में 100 वर्षीय महिला की भूख हड़ताल: सड़क निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों का विरोध जारी

चमोली : डुमक गांव के लोग सड़क निर्माण के लिए विरोध कर रहे हैं, जिसमें 100 वर्षीय बच्ची देवी ने भूख हड़ताल शुरू की है। गांववासियों का आरोप है कि सरकार ने उनकी मांगों की अनदेखी की है। प्रदर्शन 39 दिनों से जारी है और सरकार से सड़क निर्माण का काम फिर से शुरू करने की मांग की जा रही है।

उत्तराखंड के चमोली जिले के डुमक गांव में एक 100 वर्षीय महिला, बच्ची देवी, सुर्खियों में हैं। बच्ची देवी ने संकल्प लिया है कि वह तब तक अपना उपवास नहीं तोड़ेंगी जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती। डुमक गांव के निवासियों का सड़क निर्माण के लिए लगातार विरोध जारी है। इस विरोध का 39वां दिन चल रहा है और शनिवार देर रात, बच्ची देवी और अन्य गांववाले उपवास पर बैठ गए। इस बीच, गांववासियों ने एक कैंडल मार्च निकाला और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

डुमक गांव की मांग

डुमक गांव के लोग 1 अगस्त से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे मांग कर रहे हैं कि संजी लगा माइकोट दुर्माक कालगोट सड़क को पुराने मार्ग के अनुसार बनाया जाए और रुके हुए काम को तुरंत शुरू किया जाए। शनिवार देर रात, गांववासियों ने इस मांग को लेकर एक कैंडल मार्च निकाला और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

100 वर्षीय बच्ची देवी की भूख हड़ताल

रविवार को 100 वर्षीय बच्ची देवी ने लगातार उपवास पर बैठने का ऐलान किया। बच्ची देवी ने कहा कि वह तब तक उपवास जारी रखेंगी जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। बच्ची देवी रोजाना विरोध स्थल पर पहुंच रही हैं और उनके साथ अन्य लोग भी इस आंदोलन में शामिल हैं। उपवास पर बैठने वालों में रंजीत सिंह, सुंदर सिंह, महावीर सिंह, विक्रम सिंह आदि शामिल हैं। इसके साथ ही विकास संघर्ष समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह, अंकित सिंह, ज्ञान सिंह, योगांबर सिंह और अन्य गांववाले भी धरना प्रदर्शन में शामिल हुए हैं।

नागरिकों का समर्थन और संघर्ष

इस विरोध के दौरान, डुमक गांव के लोग और आसपास के क्षेत्रों के नागरिक भी समर्थन कर रहे हैं। गांववासियों का कहना है कि सड़क की खराब स्थिति और काम के रुकने के कारण उनकी जीवनशैली प्रभावित हो रही है। वे यह भी आरोप लगाते हैं कि सरकारी अधिकारियों ने उनकी मांगों की अनदेखी की है, जिसके कारण वे इस कठोर कदम को उठाने पर मजबूर हुए हैं।

सरकार की ओर से प्रतिक्रिया

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, स्थानीय प्रशासन और सरकार ने स्थिति को लेकर अपनी चिंता जताई है। हालांकि, अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। सरकारी अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि वे मामले की जांच करेंगे और उचित समाधान निकालने की कोशिश करेंगे। लेकिन गांववासियों की निराशा और उनका आंदोलन अब भी जारी है।

भूख हड़ताल का महत्व और प्रभाव

भूख हड़ताल, जो कि एक शांतिपूर्ण विरोध का तरीका है, समाज और सरकार पर दबाव बनाने का एक प्रभावी तरीका साबित हो सकता है। बच्ची देवी और अन्य विरोधकर्ताओं की भूख हड़ताल ने इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर किया है और सरकार को जनहित में ठोस कदम उठाने की प्रेरणा दी है। यह आंदोलन स्थानीय समस्याओं को उजागर करने और सरकारी ध्यान आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।

निष्कर्ष

चमोली के डुमक गांव में चल रहे इस संघर्ष ने सरकारी सिस्टम और नागरिकों के बीच एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है। 100 वर्षीय बच्ची देवी की भूख हड़ताल और गांववासियों का आंदोलन इस बात की पुष्टि करता है कि नागरिक अधिकारों की रक्षा और मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता की मांग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान दे और गांववासियों की जायज मांगों का समाधान निकाले। इस आंदोलन की सफलता, न केवल डुमक गांव बल्कि पूरे उत्तराखंड राज्य में नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

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