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उत्तराखंड एसटीएफ की बड़ी कार्रवाई: फर्जी डॉक्टर बनकर ठगी करने वाला शातिर गिरफ्तार

50 लाख की साइबर ठगी का मास्टरमाइंड है गिरफ्तार हिमांशु शिवहरे 

50 लाख की साइबर ठगी का मास्टरमाइंड है गिरफ्तार हिमांशु शिवहरे 

 

फर्जी प्रोफाइल और व्हाट्सएप नंबर से पीड़ितों को देते थे झांसा

 

साइबर क्राइम पुलिस टीम की दूसरी बड़ी गिरफ्तारी, आगे की जांच जारी

 

पीड़ित को झांसे में लेने के लिए फेसबुक पर फर्जी प्रोफाइल एवं अंतरराष्ट्रीय व्हाट्सएप नंबर ( +44 सीरीज़ ) का इस्तेमाल किया गया

 

पीड़ित को “फर्जी मित्र”, “जाली कस्टम अधिकारी” व “झूठा बैंक अफसर” बनकर विभिन्न बहानों से कुल लगभग ₹50 लाख 01 हज़ार 218 रुपये की ठगी की गई।

 

अभियुक्त ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (फेसबुक, व्हाट्सएप) और SMS/कॉल का इस्तेमाल कर खुद को *विदेशी डॉक्टर, कस्टम अधिकारी* एवं बैंक अधिकारी बताकर सुनियोजित साइबर अपराध अंजाम दिया।

 

अभियुक्तों ने पीड़ित को नकली दस्तावेज़ — पासपोर्ट, फ्लाइट टिकट, बैंक मैसेज, QR कोड — दिखाकर विश्वास में लिया और बार-बार धनराशि जमा कराने हेतु दबाव बनाया।

 

अभियुक्त के बैंक खातों के खिलाफ देश के विभिन्न राज्यों में साइबर अपराधों की शिकायतें दर्ज हैं ।

 

देहरादून। उत्तराखण्ड के पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ के नेतृत्व में साइबर पुलिस सक्रिय रूप से लोगों के पैसे की सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान चला रही है और देश भर से साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी कर रही है। साइबर अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके पीड़ितों को न्याय दिलाने का काम भी जोर-शोर से किया जा रहा है। साइबर क्राइम पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कठोर कदम उठाए जा रहे हैं। अभियोगों की समीक्षा ADG लॉ एवं आर्डर/साइबर डॉ. वी. मुरुगेसन तथा IG लॉ एवं आर्डर/साइबर डॉ. नीलेश आनंद भरने द्वारा समय-समय पर दिए जाने वाले दिशा-निर्देशों के अनुरूप की जाती है।

 

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ नवनीत सिंह द्वारा जानकारी दी गई कि एक प्रकरण देहरादून निवासी द्वारा  दिसम्बर 2024  को साइबर थाना देहरादून में दर्ज कराया गया था।पीड़ित को फेसबुक पर “Dr. Loveth Gibson” नामक फर्जी प्रोफाइल से फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी गई। उसके बाद व्हाट्सएप चैट, कॉल और SMS संदेशों के माध्यम से लगातार संपर्क किया गया। एक अज्ञात महिला ने भारत आने का झूठा बहाना बनाया और फिर “ *जाली कस्टम अधिकारी* सरवन खान” तथा “झूठा बैंक अफसर डेविड जॉनसन” ने विभिन्न कारणों — कस्टम क्लियरेंस, बैगेज चार्ज, घरेलू उड़ान टिकट, RBI नियम व विदेशी मुद्रा शुल्क — का हवाला देकर पीड़ित से बड़ी धनराशि की मांग की। पीड़ित को व्हाट्सएप पर QR कोड, फर्जी फ्लाइट टिकट, नकली पासपोर्ट तथा बैंक संदेश भेजे गए और भावनात्मक दबाव बनाकर लगातार पैसे ट्रांसफर करवाए गए।  नवम्बर से दिसम्बर 2024 के बीच पीड़ित ने अलग-अलग बैंक खातों में कुल लगभग *₹50,01,218/- (पचास लाख एक हज़ार दो सौ अठारह रुपये)* जमा किए।बाद में जब पीड़ित ने संदेह होने पर धनराशि वापस लेने का प्रयास किया, तो अंतरराष्ट्रीय नियमों और टैक्स का बहाना बनाकर रकम लौटाने से इंकार कर दिया गया। इस प्रकार, अंतरराष्ट्रीय व्हाट्सएप नंबर, फर्जी पहचान और तकनीकी साधनों का प्रयोग कर सुनियोजित तरीके से साइबर ठगी को अंजाम दिया गया।

 

प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत *वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ उत्तराखण्ड के दिशा निर्देशन में  मामले का प्रवेक्षण  अपर पुलिस अधीक्षक स्वप्न किशोर, सहायक पुलिस अधीक्षक कुश मिश्रा व पुलिस उपाधीक्षक, अंकुश मिश्रा एवं विवेचना विकास भारद्वाज निरीक्षक* , साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन, देहरादून के सुपुर्द कर अभियोग के शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये । साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/ रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बरों / व्हाट्सअप की जानकारी हेतु सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनियों, मेटा कम्पनी से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया। प्राप्त डेटा के विश्लेषण से  प्रकाश मे आये अभियुक्त हिमांशु शिवहरे पुत्र मुकेश शिवहरे निवासी ग्राम जौरा, पो. जौरा, जिला मुरैना, मध्य प्रदेश के रूप में की गई जो फर्जी प्रोफाइल व अंतरराष्ट्रीय मोबाइल नंबरों उपयोग कर करोडो की साइबर ठगी को अंजाम देने के लिए अलग-अलग नामों से प्रोफाइल व इंटरनेशनल नंबरों का इस्तेमाल किया जाता था इसी क्रम में आरोपी अभियुक्त हिमांशु शिवहरे पुत्र मुकेश शिवहरे को रुचिरा पेपर मिल फैक्ट्री के पास, कालाआम्ब, हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया गया व साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन द्वारा न्यायालय में उपस्थित कराकर अग्रिम विवेचनात्मक कार्यवाही विधिक प्रावधानों के तहत की गई  ।

 

*अपराध का तरीका* – अभियुक्त द्वारा पीडित को अंतरराष्ट्रीय व्हाट्सएप नंबर और फर्जी फेसबुक पहचान का उपयोग कर पीड़ित को झांसे में लिया गया। “फर्जी मित्र” के रूप में Dr. Loveth Gibson से संपर्क कर पहले विश्वास जीता गया। इसके बाद “जाली कस्टम अधिकारी सरवन खान” और “झूठा बैंक अफसर डेविड जॉनसन” ने फोन कॉल, चैट और SMS के माध्यम से दबाव बनाते हुए विभिन्न बहानों — कस्टम क्लियरेंस, बैगेज चार्ज, फ्लाइट टिकट, RBI नियम व विदेशी मुद्रा शुल्क — का हवाला देकर लगातार धनराशि मांगी गई।QR कोड, नकली पासपोर्ट, फर्जी फ्लाइट टिकट और बनावटी बैंक संदेश दिखाकर पीड़ित को भ्रमित किया गया। भावनात्मक ब्लैकमेल और तकनीकी साधनों से मानसिक दबाव बनाकर कुल *₹50,01,218/* – की साइबर ठगी की गई।

 

प्रारंभिक पूछताछ में यह तथ्य भी प्रकाश में आया कि इसी प्रकरण में इससे पूर्व एक अभियुक्त की गिरफ्तारी की जा चुकी है। जांच से स्पष्ट हुआ है कि यह गिरोह संगठित रूप से कार्य कर रहा था, जिसमें विभिन्न आरोपी अलग-अलग भूमिकाएँ निभाते थे। गिरफ्तार किया गया अभियुक्त हिमांशु शिवहरे भी इसी नेटवर्क का सक्रिय सदस्य है, जो फर्जी प्रोफाइल और अंतरराष्ट्रीय मोबाइल नंबरों का प्रयोग कर करोड़ों रुपये की साइबर ठगी को अंजाम देता था। उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस टीम की सतत कार्रवाई के परिणामस्वरूप इस प्रकरण में अब तक कुल दो गिरफ्तारियाँ की जा चुकी हैं।

 

*गिरफ्तार अभियुक्त का नाम व पता* – हिमांशु शिवहरे पुत्र मुकेश शिवहरे निवासी ग्राम जौरा, पो. जौरा, जिला मुरैना, मध्य प्रदेश

*गिरफ्तारी का स्थान* – अभियुक्त को रुचिरा पेपर मिल फैक्ट्री, कालाआम्ब, हिमाचल प्रदेश क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया।

 

*बरामदगी* – 1 मोबाइल फोन

 

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड नवनीत सिहं द्वारा जनता से अपील की है कि डिजिटल अरेस्ट एक स्कैम है जो वर्तमान में पूरे भारत वर्ष में चल रहा है, कोई भी सी0बी0आई0 अफसर, मुम्बई क्राईम ब्रान्च, साइबर क्राइम, IT या ED अफसर या कोई भी एजेंसी आपको व्हाट्सएप के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट करने हेतु नोटिस प्रेषित नहीं करती है। साथ ही कोई व्यक्ति आपको फर्जी दस्तावेज, अवैध सामग्री आदि के नाम पर आपको डरा धमका रहा है या पैसों की मांग कर रहा है तो इस सम्बन्ध में STF/साइबर थानों में अतिशीघ्र अपनी शिकायत दर्ज करायें। उक्त सम्बन्ध में ज्यादा से ज्यादा जागरुक हों। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार के लोक लुभावने अवसरों/फर्जी साइट/धनराशि दोगुना करने व टिकट बुक करने वाले अंनजान अवसरो के प्रलोभन में न आयें । किसी भी प्रकार के ऑनलाईन कम्पनी की फ्रैन्चाईजी लेने, यात्रा टिकट आदि को बुक कराने से पूर्व उक्त साईट का स्थानीय बैंक, सम्बन्धित कम्पनी आदि से पूर्ण वैरीफिकेशन व भली-भाँति जांच पड़ताल अवश्य करा लें तथा गूगल से किसी भी कस्टमर केयर का नम्बर सर्च न करें व शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन से सम्पर्क करें । अगर आपको ऐसी ही कोई कॉल या मैसेज आए तो इसकी शिकायत जरूर करें। सरकार ने साइबर और ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए संचार साथी वेबसाइट पर चाक्षु पोर्टल लॉन्च किया है। आप इस तरह की घटना की शिकायत *1930 साइबरक्राइम हेल्पलाइन* पर या *http://www.cybercrime.gov.in* पर भी दर्ज करा सकते हैं।

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