बहराइच हिंसा: भगवा फहराने पर हत्या—मुख्य आरोपी को फांसी, 9 दोषियों को उम्रकैद

यूपी के बहराइच में सालभर पहले हुई हिंसा में रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या करने वाले सरफराज को फांसी की सजा दी गई है। हत्या में साथ देने पर सरफराज के पिता अब्दुल हमीद, दो भाई- फहीम और तालिब समेत 9 को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
इससे पहले कड़ी सुरक्षा में सभी दोषियों को जेल से कोर्ट लाया गया। अदालत ने बारी-बारी से सभी आरोपियों के खिलाफ सजा सुनाई। इस दौरान कोर्ट में गहमागहमी रही।
रामगोपाल की पत्नी रोली और दोषियों के परिजन कोर्ट पहुंचे थे। एक बच्ची रोती नजर आई। अपराधियों के घरों के बाहर फोर्स तैनात किया गया है।
बहराइच के अपर सत्र न्यायाधीश (ADJ) की कोर्ट ने 13 महीने 28 दिन में गुरुवार को फैसला सुनाया है। दो दिन पहले ही अदालत ने 13 अभियुक्तों में से 10 को मॉब लिंचिंग समेत कई धाराओं में दोषी करार दिया था। कोर्ट ने तीन आरोपियों खुर्शीद, शकील और अफजल को बरी कर दिया है।
बहराइच के महराजगंज बाजार में 13 अक्टूबर, 2024 को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हिंसा हुई थी। इसी दौरान राम गोपाल मिश्रा सरफराज के घर की छत पर चढ़ गया था। उसने वहां लगे इस्लामिक हरे झंडे को उतारकर फेंक दिया था। फिर भगवा झंडा फहराया था। इसपर सरफराज ने पहले सीने पर गोली मारी, फिर उसके साथियों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
रामगोपाल की पत्नी रोली ने फैसले पर कहा-
हम अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं। हमारे पति को गोली मारने वाले को फांसी हो गई। आत्मा को शांति मिली है। योगी जी ने हमारी सभी मांग पूरी कर दी है। हम एक और योगी जी से मिलना चाहते हैं।
जिला शासकीय अधिवक्ता प्रमोद चौहान ने बताया, कोर्ट ने इसे ब्रूटल मर्डर माना है। एक को फांसी दी गई है, बाकी 9 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
मुख्य आरोपी का भाई बोला- हमने कुछ नहीं किया पुलिस जब आरोपियों को कोर्ट लेकर आई तो मुख्य आरोपी सरफराज का भाई मीडियाकर्मियों से भिड़ गया। वैन में बैठे-बैठे उसने कहा, हमने कुछ नहीं किया है। सवाल पूछते हुए बोला- आप लोगों ने मेरा पक्ष लिया, मुझसे पूछा गया। मेरी तरफ से एक भी मुकदमा दर्ज हुआ। आप लोग मेरा पक्ष नहीं दिखा रहे हैं। आपने कैसे कह दिया कि हमने सब किया है। हमने कुछ नहीं किया है।
जानिए 13 अक्टूबर को क्या हुआ
बहराइच से करीब 40 किमी दूर महराजगंज बाजार में 13 अक्टूबर, 2024 को शाम 6 बजे दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस निकाला जा रहा था। इसी दौरान महराजगंज कस्बे में मुस्लिम समाज के लोगों ने डीजे बंद करने को कहा। इस बात पर विवाद हो गया।
जुलूस पर पत्थर फेंके गए। दोनों पक्षों में पथराव-आगजनी के साथ 20 राउंड से ज्यादा फायरिंग हुई। इसी दौरान रेहुवा मंसूर के रहने वाला रामगोपाल मिश्रा, अब्दुल हमीद के घर की छत पर चढ़ गया और वहां लगा झंडा उतार दिया। उसकी जगह पर उसने भगवा झंडा फहराया।
इस दौरान अब्दुल हमीद और उनके बेटे सरफराज और दूसरे आरोपियों ने रामगोपाल को घर के अंदर खींचकर बुरी तरह से पीटा। फिर गोली मार दी। इसके बाद भीड़ हिंसक हो गई।
रामगोपाल की मौत की खबर मिलते ही भीड़ भड़क गई और सड़क जाम कर मूर्ति विसर्जन रोक दिया। रातभर प्रदर्शन चला।
अगले दिन सुबह हिंसा में मारे गए युवक का शव लेकर भीड़ निकली तो पुलिस ने रास्ते में रोका। पुलिस ने समझाया तो परिवार शव लेकर घर चला गया। लेकिन, भीड़ आक्रोशित हो गई। लोगों ने बाइक शोरूम, प्राइवेट अस्पताल में आग लगा दी।
लखनऊ से एसटीएफ चीफ और एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अमिताभ यश भी बहराइच पहुंचे। उन्होंने आगजनी कर रही भीड़ को पहले रोका, नहीं मानी तो हाथ में पिस्टल लेकर दौड़ा लिया।
मामले की कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई। रामगोपाल मिश्रा की हत्या और हिंसा फैलाने के आरोपियों के खिलाफ करीब एक हजार लोगों पर केस दर्ज किया। पुलिस ने हत्या मामले में कुल 13 लोगों को अभियुक्त बनाया।
30-90 दिन में अपील दायर करने का अधिकार
दोषसिद्धि और सजा के फैसले के बाद, दोषी को अपील दायर करने का अधिकार होता है। अपील 30-90 दिनों के भीतर की जा सकती है, जिसमें सजा को कम करने, रद्द करने की मांग की जा सकती है। यदि फांसी की सजा हो तो पुष्टि आवश्यक है। पीड़ित पक्ष फांसी की मांग कर सकता है यदि आजीवन कारावास हो।
पढ़िए रामगोपाल के परिवार ने हत्या के दिन क्या कहा था
मौत से 85 दिन पहले हुई था शादी रामगोपाल की शादी उसकी हत्या से करीब 85 दिन पहले रोली से मंदिर में लव मैरिज थी। शादी में बहुत कम लोग थे। शादी के बाद दोनों पक्षों के लोगों ने इस रिश्ते को मान लिया था। राम गोपाल पहले लखनऊ में रहता था। रोली ने हिंसा के एक दिन बाद भास्कर से बातचीत में कहा था- उस दिन गांव में भंडारा था, वहीं पति खाना बना रहे थे। लौटे तो कहा कि मैं विसर्जन में जा रहा हूं।
रोली ने बताया- मैंने बाइक की चाभी छिपा दी थी। कह रही थी, मत जाइए। उन्होंने जिद की और चले गए। शाम को 5 बजे फोन आया कि उन्हें गोली लगी है। कहा गया कि पैर में लगी है, जान नहीं जाएगी। हम हॉस्पिटल पहुंचे। वहां जो देखा, वह बहुत भयानक था। मेरे पति को बेदर्दी से मारा गया। उनके गले पर चाकू के निशान थे। पैर के सारे नाखूनों को प्लास से खींच लिया गया था। हाथ और पेट में गोलियों के निशान थे। एकदम जानवरों की तरह मारा गया था।
तीनों भाइयों की 25 साल की उम्र में मौत राम गोपाल के 4 भाई और दो बहन थे। दो भाइयों की पहले ही मौत हो चुकी है। एक ने फांसी लगा ली थी, दूसरे भाई की डूबने से मौत हुई थी। मौत के समय दोनों की उम्र 25 साल से कम थी। अब राम गोपाल मिश्रा की भी 25 साल से कम उम्र में मौत हो गई। राम गोपाल की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। वह कहती हैं- मेरे बेटे का पूरा शरीर छलनी कर दिया। नाक पर मारा, गर्दन पर मारा, सिर पर मारा। हमारा पूरा घर बर्बाद कर दिया।
पिता ने कहा था- बेटा विसर्जन में न गया होता तो ठीक रहता
राम गोपाल मिश्रा के पिता कैलाश चंद्र मिश्रा सड़क पर बैठकर हर आने-जाने वालों को देख रहे थे। उन्हें कुछ समझ ही नहीं आ रहा। कहते हैं- बेटा मेरा सहारा था। मुझे कहीं जाना होता था, तो वहीं बाइक से लेकर जाता था। दूसरा बेटा बाइक चला ही नहीं पाता था। अब बहू को लेकर चिंता है। अब उसका क्या होगा? आखिर में वह कहते हैं, बेटा विसर्जन में न गया होता तो ठीक रहता। कम से कम उसकी जान तो बच जाती।
CM योगी से मां ने कहा था- हमारा सब कुछ छिन गया
एक साल पहले रामगोपाल मिश्रा के घर वालों ने सीएम योगी से मुलाकात की थी। इस दौरान पिता कैलाश, मां और पत्नी रोली रोने लगी थीं। मां मुन्नी देवी ने कहा था- बेटे को बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला गया। हमारा सब कुछ छिन गया।
पत्नी रोली भी घूंघट डाले सीएम के सामने बैठी थीं। उसने रोते हुए कहा था-दुनिया उजड़ गई मेरी। न्याय चाहिए। पिता भी 22 साल के जवान बेटे की हत्या की बात करते-करते रो पड़े। उन्होंने गमछे से अपने आंसू पोछे थे। कुछ देर के लिए सीएम ऑफिस में सन्नाटा छा गया था। सीएम सभी को देखते रहे थे। ढांढस बंधाते हुए कहा था- आपकी पूरी मदद की जाएगी।
योगी ने परिवार को 10 लाख रुपए, एक प्रधानमंत्री आवास, आयुष्मान कार्ड और पत्नी रोली को संविदा पर नौकरी देने की बात कही थी।



