RUDRAPRAYAG

फिर श्रद्धालुओं से गुलजार होने लगा बाबा का केदार धाम

सावन के दूसरे सोमवार को पहुंचे दो हजार से अधिक तीर्थयात्री 

व्यापारियों के चेहरों पर लौटी रौनक

बाबा केदार के दरबार में सोमवार को 2 3 16 तीर्थयात्रियों ने किये दर्शन 

रुद्रप्रयाग । बाबा का धाम फिर से गुलजार होने लगा है। सावन के महीने में भारी संख्या में भोले के भक्त केदारनाथ धाम को पहुंच रहे हैं। बरसात और भूस्खलन का डर भी उन्हें नहीं है। बस बाबा की भक्ति में लीन होकर श्रद्धालु धाम पहुंचकर जलाभिषेक कर रहे हैं। तीर्थयात्रियों की आमद बढ़ने से केदारपुरी भी गुलजार होने लगी है और व्यापारियों के चेहरों पर भी मुस्कान लौट आई है। वहीं मंदिर समिति की आय में भी इजाफा हो रहा है।

पिछले कुछ दिनों से बाबा का धाम वीरान पड़ा था। यात्रियों की संख्या नगण्य होने से व्यापारियों के चेहरों पर भी उदासी थी और मंदिर समिति की आय में भी कोई इजाफा नहीं हो रहा था। मगर अब सावन के महीने में बाबा का धाम फिर से गुलजार होने लगा है। तीर्थयात्रियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। एक-दो दिनों से केदार धाम पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या एक से दो हजार के पार पहुंच रही है, जबकि पिछले दिनों दो से तीन सौ के करीब तीर्थयात्री ही बाबा के दरबार में पहुंच रहे थे।

सोमवार को दो हजार तीन सौ 16 तीर्थयात्रियों ने बाबा केदार के दरबार में पहुंचकर मत्था टेका। जिससे यात्रा का आंकड़ा तीन लाख 81 हजार 154 पहुंच गया है। तीर्थयात्रियों की बढ़ती आमद से व्यापारियों के चेहरों में भी फिर से मुस्कान लौट आई है। सावन के महीने में भोले बाबा को जल चढ़ाने के लिए भक्तों का जमावड़ा लग रहा है। केदारनाथ में जलाभिषेक करने का विशेष महातम्य है। जो भक्त सावन मास में यहां पहुंचकर भगवान भोले को जल के साथ ब्रह्मकमल भेंट करता है। भोले उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती ने कहा कि सावन माह में केदारनाथ बाबा के दरबार में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। भारी बारिश के बावजूद भी तीर्थयात्री केदार धाम को पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबा केदार के प्रति श्रद्धालुओं की अगाध आस्था है। देश-विदेश से तीर्थयात्री बाबा के दर पर पहुंचकर मत्था टेक रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से भी मांग की कि यात्रा मार्गों को दुरूस्त किया जाय और पुलिस, एसडीआरएफ व पीआरडी के जवान हर समय यात्रियों की सेवा में तत्पर रहें। जिससे तीर्थयात्रियों को किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े।

श्रावण मास में शिव मंदिरों में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

प्रशासन की ओर से सुरक्षा के नहीं इंतजाम, श्रद्धालुओं को बना है खतरा

कोटेश्वर महादेव मंदिर का महत्व, स्फटिक लिंगां के होते हैं दर्शन

भगवान शिव का आत्मिक मास श्रावण आते ही शिव भक्तों में खासा उत्साह बना हुआ है। श्रावण मास में केदारघाटी के शिवालयों में सैकड़ों की तादात में भक्त तथा तीर्थयात्री आकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। बाबा केदारनाथ, गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर, पंचगददीस्थल औंकारेश्वर, नारायणकोटी नारायण, शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण, गढ़तरा स्थित नलेश्वर, हयूण गांव कोटेश्वर महोदव मंदिर में शिव भक्त रूद्राभिषेक करने पहुंचे।

शिवपुराण में भी भगवान शिव के रूप का वर्णन मिलता है। मान्यता है कि वर्षभर में केवल श्रावण मास में भगवान शिव सुसुप्तावस्था से जागृत अवस्था में आकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। श्रावण मास में माह भर के चार सोमवार को शिवालयों में दुग्धाभिषेक, जलाभिषेक, तेलाभिषेक कर चार पहर की पूजा पूर्ण की जाती है। तुलसीदल, बिल्वपत्र, जनेउ, पंजीरी, फल, फूल पंचामृत, इलायची, लौंग, पान के पत्ते आदि से शिव लिंग की परंपरागत पूजा की जाती है। यजमानों की शांति तथा सुख सम्पन्नता की कामना के लिये ब्राम्हण माह भर शिवालयों में रूद्राभिषेक करते हैं।

मान्यता यह भी है कि श्रावण मास में बरसात का आगमन हरियाली तथा सुख शांति का संदेश लेकर आता है। किसानों की फसल लहलहाने लगती है। संसार का पालनहार भगवान शिव का हिमालय तथा हरियाली से विशेष लगाव है। इसलिए भी शिव शंकर का श्रावण प्रिय मास है। विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर में सोमवार को चार पहर की पूजा का विशेष महत्व है। भक्त रात्रि जागरण करके विभिन्न पूज्य सामग्री से शंकर की पूजा करते हैं। रुद्रप्रयाग के कोटेश्वर मंदिर में गुफा के भीतर सैकड़ों स्फटिक लिंग हैं, जिसके दर्शन से भक्तों की कामनाएं पूर्ण होती हैं। शिव मंदिरों में भक्तों की खासी भीड़ उमड़ रही है।

मौसम खराब होने और लिंक मार्ग बंद होने के बावजूद भी शिव भक्त सैकडों की संख्या में पहुंच रहे हैं, मगर सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम न होने से उन्हें खासा डर बना हुआ है। कोटेश्वर मंदिर में अलकनंदा नदी का पानी शिव मंदिर के भीतर तक आ रहा है। यहां पर सुरक्षा की दृष्टि से न ही रैलिंग का निर्माण किया गया है और न ही प्रशासन की ओर से किसी सुरक्षा कर्मी की तैनाती यहां पर की गयी है। ऐसे में श्रद्धालुओं को हर समय नदी में गिरने का डर बना रहता है।

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