29 अप्रैल प्रातः सवा छह बजे खुलेंगे बाबा केदार के कपाट

उदित घिल्डियाल
उखीमठ (रुद्रप्रयाग) : शिव के ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ धाम के कपाट आगामी 29 अप्रैल प्रातः खुलने का दिन निकाला गया है । महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर मंगलवार प्रातः केदारनाथ मंदिर के रावल भीमाशंकर लिंग ने की कपाट खुलने की तिथि व समय की घोषणा करते हुए कहा कि रावल गद्दी के सम्मुख आचार्य व वेदपाठियों द्वारा पंचांग गणना के आधार पर तिथि निर्धारित की गयी है। इसके बाद अब घोषित तिथि के तीन दिन पहले केदारनाथ भगवान की चलविग्रह डोली के प्रस्थान की तैयारियां भी शुरू हो जाएगी।
आज प्रातः से ही ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी । इस अवसर पर यहां बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे । परंपरा रही है इस दिन से लोग केदारनाथ यात्रा तैयारियों में जुट जाते हैं।
वहीं ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में महाशिवरात्रि पर्व पर भोले बाबा के कीर्तन-भजनों के साथ ही चार पहर की पूजा अर्चना भी शुरू हो गई है। केदारनाथ के कपाट की तिथि तय करने को मंदिर समिति ने तैयारियां भी पूरी कर ली हैं। ओंकारेश्वर मंदिर को सजाया गया है। मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने बताया कि बुधवार को केदारनाथ मंदिर के कपाट के अलावा केदारनाथ भगवान की चलविग्रह डोली के प्रस्थान की भी तिथि तय की जाएगी।
इस तिथि की घोषणा करते हुए मंदिर के रावल भीमाशंकर लिंग ने कहा कि 26 अप्रैल को डोली रामपुर फाटा जाएगी, जबकि बाबा की उत्सव डोली 27 को गौरीकुंड, 28 को केदारनाथ धाम पहुंचेगी जहां 29 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर विश्व प्रसिद्ध धाम के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। इस मौके पर केदारनाथ विधायक मनोज रावत, रावल भीमाशंकर लिंग, बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, शिव सिंह, युद्धवीर पुष्पवान, पुजारी राजशेखर लिंग, शंकर लिंग, राजकुमार नौटियाल, आचार्य स्वयंबर सेमवाल, विश्वमोहन जमलोकी, नवीन मैठाणी सहित बड़ी संख्या में हक-हकूकधारी एवं भक्त उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि बीते साल तीन मई को सुबह 8:50 केदारनाथ के कपाट खुले थे ,भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथि हर साल महाशिवरात्रि पर्व पर तय होती है, जबकि मंदिर के कपाट भैया दूज पर बंद होते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। तीन धामों के बाद अब चौथे धाम केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथि पंचांग गणना के अनुसार पुरोहितों, वेदपाठी, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति व हक हकूकधारियों की मौजूदगी में तय की जाती रही है।