सत्ता लोलुप विधायक और मलाई का इंतज़ार
देहरादून : सत्ता लोलुप विधायकों में शुमार धनोल्टी के विधायक प्रीतम सिंह पंवार का राजनीतिक इतिहास ही कुछ ऐसा रहा है कि जिसकी सत्ता वे उसके साथ. उत्तराखंड क्रांतिदल से लेकर कांग्रेस और कांग्रेस से लेकर अब भाजपा में जाने का उनका सफ़र कुछ इसी तरह का रहा है.
जहाँ तक भीमताल के विधायक राम सिंह कैडा की बात की जाय तो अभी पहली बार कांग्रेस के प्रत्याशी को हराकर निर्दलीय विधायक के रूप में विधान सभा पहुंचे हैं लेकिन उनके इस कदम को उनके क्षेत्र की जनता किस रूप में लेती है इसका परिणाम कुछ समय बाद ही देखने को मिलेगा. लेकिन पुरोला से चुनाव लड़ चुके प्रीतम सिंह पंवार अब जनता के सामने एक्सपोज्ड हो चुके हैं कि वे सत्ताधारी दल के साथ पींगे बढाने में ज्यादा विश्वास रखते हैं.
जहाँ तक उनके इलाके की जनता द्वारा उनको चुने जाने की बात की जाय तो क्षेत्र की जनता ने उनको भाजपा और कांग्रेस को नकारते हुए मत दिया था, इसका सीधा और साफ़ सन्देश यह है कि इलाके की जनता भाजप व कांग्रेस को हराने वाले के पक्ष में थी, प्रीतम सिंह पंवार को उत्तराखंड क्रांति दल ने ही एक नेता के रूप में पहचान दी थी जब वे उसे की दर किनार करके मंत्रिपद पाने के लालच में वे कांग्रेस के साथ हो लिए, कांग्रेस ने उनको क्या कुछ नहीं दिया यह बात सबके सामने है लेकिन एन चुनाव के दौरान वे एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में धनोल्टी विधानसभा से चुनाव लड़ने पहुंचे तो वहां की जनता ने भाजपा और कांग्रेस के विरुद्ध जाकर उन्हें निर्वाचित करके विधानसभा में भेजा. लेकिन उनकी अतिमहत्वाकांक्षा यहाँ भी हिलोरे मरने लगी और उन्होंने तीसरी बार पल्टी मारी और सत्ता की मलाई चाटने भाजपा की जमात में शामिल हो गए.
अब भाजपा पर निर्भर करता है कि वह सत्ता की मलाई चाटने में माहिर हो चुके ऐसे विधायक को और मलाई चाटने का अवसर देती है या उसके मुंह के आगे से मलाई की थाली हटाकर भाजपा के लिए संघर्ष करने वाले विधायक को वह थाली परोसती है. बहरहाल यह अभी भविष्य के गर्भ में है कि भाजपा की अगली रणनीति क्या होगी और वह ऐसे सत्तालोलुप विधायकों को क्या सबक सिखाती है.