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टेस्ट के नाम पर ठगी से बचें : स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन लें संज्ञान

स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और स्थानीय निकाय भी अपनी जिम्मेदारी निभायें तथा लोक-जीवन से खिलवाड़ करने वाले तत्वों पर कठोर अंकुश लगाएं

रमेश गैरोला “पहाड़ी”

2 मार्च 2021 को दोपहर मुझे सूचना मिली कि मेरे मोहल्ले खुरड़ (वार्ड नम्बर 3, नगरपालिका परिषद, रुद्रप्रयाग) में स्वास्थ्य की जाँच करने के लिए एक संस्था द्वारा शिविर लगाया गया है। मैं भी जिज्ञासावश वहाँ पहुँचा। देखा तो सामुदायिक भवन के एक कमरे, जो सीमेंट का गोदाम बना हुआ है, तमाम दीवालों और छत पर मकड़जाले लगे हैं, धूल और मिट्टी से कमरा और बाहरी परिसर भरे हुए हैं, उसके बाहर प्लास्टिक की 2 कुर्सियां लगीं हुईं हैं, जिसमें से एक पर एक युवक बैठा हुआ है। पूछा तो उसने बताया कि “डॉक्टर साब” अंदर हैं। अंदर 3 कर्मचारियों के साथ एक नौजवान बैठा निर्देश दे रहा था और 4 लोग, जिनमें 3 महिलाएं और एक पुरुष थे, जाँच के लिए अपना खून दे रहे थे। लोग आते जा रहे थे और 50 रुपये के साथ खून भी देते जा रहे थे। मैंने जानकारी ली तो डॉक्टर बताए जा रहे युवक ने बताया कि उनकी रतूड़ा में बद्रीनाथ रोड पर हेल्थ कार्ड (HEALTH KARD) नाम की संस्था है, जो हॄदय रोग, मधुमेह, गठिया आदि रोगों को काबू करने तथा पहाड़ में स्वास्थ्य सेवा को सुदृढ करने के लिए 30-50 रुपये में घर-घर जाकर खून की जाँच कर रही है और लोगों को उनके स्वास्थ्य के बारे में बता रही है। फिर ईलाज भी किया जाएगा।

मैंने उनसे कहा कि इतने गंदे और अस्वास्थ्यकर स्थान पर आपको किसने यह स्वास्थ्य सम्बन्धी जाँच करने की अनुमति दी है, तो वे अनेकों तर्क देने लगे। गरीब लोगों के सस्ते ईलाज और भला करने के बात भी करने लगे। मैंने उनसे मुख्य चिकित्सा अधिकारी, नगरपालिका, प्रशासन का अनुमति-पत्र दिखाने को कहा तो उनका कहना था कि उनके पोर्टल पर सब कुछ है और ऑनलाइन सब कुछ देखा जा सकता है लेकिन प्रत्यक्षत: वे कोई प्रमाण नहीं दिखा पाये। फिर उसने बताया कि वह डॉक्टर नहीं, पैथोलॉजिस्ट है और उनके पास ऑनलाइन महानिदेशक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा की अनुमति है। मैंने कहा कि बिना CMO की अनुमति के आप यह शिविर नहीं लगा सकते।मैंने मुख्य चिकित्साधिकारी को फोन किया तो वे जिलाधिकारी के साथ जखोली में तहसील दिवस में व्यस्त थे। मैंने वार्ड मेम्बर से जानना चाहा तो उनके बेटे ने तुरन्त ही पहुँच कर बताया कि नगरपालिका की ओर से उन्हें कोई अनुमति नहीं है। सूचना अवश्य थी कि कोई मेडिकल कैम्प लग रहा है।

मैंने उनसे कहा कि वे जब तक कोई अनुमति-पत्र नहीं दिखाते, उन्हें यहाँ कोई जाँच नहीं करने दी जाएगी तो काफी बहस के बाद वे अपना सामान समेट कर चले गए। देर शाम मैंने मुख्य चिकित्साधिकारी को पुनः फोन किया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसी कोई अनुमति किसी भी संस्था को नहीं दी है और यदि महानिदेशक द्वारा भी कोई अनुमति जारी की जाती है तो जिलों में मुख्य चिकित्साधिकारी की अनुमति के बिना ऐसे कोई शिविर आयोजित नहीं किए जा सकते।
जन सामान्य को भी ऐसे फर्जी स्वास्थ्य शिविरों से सावधान रहना चाहिए। स्वास्थ्य व चिकित्सा अत्यंत संवेदनशील विषय हैं। इसमें केवल ठगी ही नहीं जुड़ी है, बल्कि हमारा स्वास्थ्य का मामला भी जुड़ा हुआ है, जिसमे थोड़ी सी भी असावधानी हमारे स्वास्थ्य व जीवन के लिए भारी पड़ सकती है।

सावधान रहें, सुरक्षित रहें।

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