CHAMOLI

अनसूया माता मंदिर को सरकार देवी दर्शन सर्किट से जोडे़गी : महेन्द्र भट्ट

  •  विधायक महेंद्र भट्ट ने मेले का पूजा अर्चना के साथ किया उद्घाटन
  • 400 से अधिक निःसंतान दंपतियों ने कराया पंजीकरण 

गोपेश्वर (चमोली) : बद्रीनाथ विधायक महेन्द्र भट्ट ने कहा सरकार अनसूया मंदिर को देवी दर्शन सर्किट से जोडे़गी ताकि यहाँ और अधिक संख्या में  स्थानीय ही नहीं बल्कि देश विदेश के श्रद्धालु भी माँ  के दर्शनों का लाभ उठा सकें । इस दौरान उन्होंने अनसूया मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए धर्मशाला बनाने के लिए 5 लाख रुपये देने की घोषणा की तथा राजकीय इंटर कालेज  बैरागना के लिए कंप्यूटर के लिए 2 लाख रुपये देने की घोषणा की।

बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट ने पूजा अर्चना के साथ मेले का उद्घाटन के साथ ही पौष माह की पूर्णिमा पर शुरू होने वाले दत्तात्रेय जयंती पर आयोजित होने वाला अनसूया मेला शनिवार को शुरू हो गया।  इससे पूर्व पांच देवियों की डोलियों के साथ भारी संख्या में श्रद्धालु संतान की कामना के लिए अनसूया मंदिर पहुंचे। 

उन्होंने कहा कि मां सती अनसूया का यह दरबार हजारों निसंतान दंपतियों के घर आंगन में संतान सुख प्रदान कर चुका है। इस अवसर पर अनसूया मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष बीएस झिंक्वाण व अन्य पदाधिकारियों ने अनसूया मंदिर से संबंधित और क्षेत्रीय मांगों को क्षेत्रीय विधायक के सामने रखा। जिसमें अनसूया जाने वाले मार्ग को सणगु गदेरे तक मोटर मार्ग के साथ अन्य मांगें रखी गई। इस अवसर पर पूर्व प्रमुख भगत सिंह बिष्ट, वर्तमान प्रमुख प्रमिला सजवाण, जिपस भागीरथी कुंजवाल, अनिता डिमरी आदि मौजूद थे। 

सती मां अनसूया के बारे में मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती के दिन जो इस मंदिर में संतान कामना के लिए आता है उसे अवश्य संतान प्राप्त होती है। इस बार भी इस मंदिर में संतान कामना के लिए दंपत्ति पहुंचे है। मंदिर समिति के अध्यक्ष बीएस झिंक्वाण ने बताया  कि इस बार चार सौ से अधिक निसंतान दंपतियों ने संतान पूजा अर्चना के लिए पंजीकरण करवाया है। इसमें देश के अलग-अलग कोनों से श्रद्धालु लोग पहुंचे हैं। 

सती मां अनसूया से मिलने के लिए मंडल से भगवती ज्वाल्पा की डोली, बेरागना देवलधार, कठूर व बणद्वारा से मां भगवती की डोली अनसूया मंदिर में पहुंची। सती मां अनसूया की यही विशेषता है कि भगवान ब्रह्मा विष्णु महेश को भी शिशु बनना पड़ा। संस्कृत महाविद्यालय मंडल के प्राचार्य डा. ओम प्रकाश डिमरी ने बताया कि आज ही के दिन अर्थात दत्तात्रेय जयंती के दिन मां भगवती अनसूया ने उन्हें शिशु बनाया था। जब वे भ्रम वश भगवती की सतित्व की परीक्षा के लिए मां के आश्रम में पहुंचे थे। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में जप और यज्ञ करने वालों को संतान की प्राप्ति होती है। इसी मान्यताओं के अनुसार, इसी स्थान पर माता अनसूया ने अपने तप के बल पर ‘त्रिदेव’ (ब्रह्मा, विष्णु और शंकर) को शिशु रूप में परिवर्तित कर पालने में खेलने पर मजबूर कर दिया था। बाद में काफी तपस्या के बाद त्रिदेवों को पुन: उनका रूप प्रदान किया और फिर यहीं तीन मुख वाले दत्तात्रेय का जन्म हुआ। इसी के बाद से यहां संतान की कामना को लेकर लोग आते हैं। यहां ‘दत्तात्रेय मंदिर’ की स्थापना भी की गई है। अनसूया मंदिर के पूजारी परिवार के डा. प्रदीप बताते है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मां अनुसूया के सतीत्व की परीक्षा लेनी चाही थी, तब उन्होंने तीनों को शिशु बना दिया। यही त्रिरूप दत्तात्रेय भगवान बने। उनकी जयंती पर यहां मेला और पूजा अर्चना होती है। 

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